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चुनावी समर पूरा, नतीजे का इंतजार

४ दिसम्बर २०१३

दिल्ली के चुनाव होने के साथ ही भारत में पांच राज्यों की चुनावी जंग पूरी हो गई. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में नया रंग भरा, तो कांग्रेस बीजेपी सांस रोके नतीजों का इंतजार कर रही है.

तस्वीर: DW/A. Chatterjee

दिल्ली की कुर्सी लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पास रही है, जबकि वह चौथी बार भी चुनाव जीतने का इरादा रखती हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में उतरने के बाद से दिल्ली की जंग बेहद दिलचस्प हो गई है. सिर्फ एक साल में पार्टी ने अच्छी खासी पकड़ बना ली है और चुनाव के बाद के सर्वेक्षणों का कहना है कि दिल्ली में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा.

हालांकि भारत में पिछले एक दशक में आम तौर पर चुनाव सर्वे गलत साबित होते आए हैं लेकिन इसके बाद भी उनका रिवाज चलता आ रहा है. दिल्ली के चुनाव होने के बाद सी वोटर ने एक बार फिर अपना सर्वे पेश किया है, जिसमें बीजेपी को चार राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने की बात कही जा रही है.

सुरक्षा के कड़े बंदोबस्ततस्वीर: DW/A. Chatterjee

ढाई घंटा ज्यादा वोटिंग

दिल्ली में इस बार वोटरों के उत्साह को देखते हुए भी कांग्रेस के लिए मुश्किल बढ़ती दिख रही है. शाम पांच बजे तक करीब 65 फीसदी वोटरों ने अपने वोट दे दिए थे. इसके बाद भी लाखों लोग लाइन में लगे थे. चुनाव आयोग ने इसे देखते हुए वोट देने का वक्त ढाई घंटा बढ़ा दिया. दिल्ली की ही तरह दूसरे राज्यों में भी 60 से 70 फीसदी तक मतदान हुआ है, जो पुरानी परंपरा के मुकाबले बहुत ज्यादा है.

दिल्ली में अब तक कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर होती आई है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने समीकरण बदल दिया है. अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि अगर वे संतुलन प्रभावित करने की स्थिति में आए, तो वह किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं देंगे और दिल्ली में विधानसभा के चुनाव दोबारा कराने होंगे.

सर्वेक्षण और भविष्यवाणी

हालांकि भारत के वोटरों का मन टटोलना बेहद मुश्किल होता है और हाल के सालों में राजनीतिक पंडितों की सारी भविष्यवाणियां खारिज हुई हैं. फिर भी मतदान के बाद लोगों में नतीजे जानने की उत्सुकता लगी रहती है और इसी को ध्यान में रख कर चुनाव बाद सर्वेक्षण किए जाते हैं. ऐसे ही सर्वेक्षण में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का दबदबा होगा. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अभी भी बीजेपी के हाथ में है, जबकि राजस्थान में कांग्रेस का शासन था. चुनाव आयोग ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर रोक लगा रखा है क्योंकि इन दिनों सुरक्षा के लिहाज से चुनाव कई चरणों में होते हैं और एक जगह के सर्वेक्षण या नतीजों का असर दूसरी जगह के वोटरों पर पड़ सकता है.

लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लियातस्वीर: DW/A. Chatterjee

इस बार के वोटिंग के बाद सबसे दिलचस्प यह देखना होगा कि कितने वोटर अपने प्रत्याशियों को नकारते हैं. भारत में पहली बार वोटरों के पास नेता को नकारने यानी नोटा का अधिकार मिला है. वोटिंग मशीनों में इसके लिए अलग बटन तैयार किया गया है.

इन चुनावों के बाद भारत को सीधे आम चुनाव का सामना करना है, जिसमें बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. कहा जाता है कि इन चुनावों का असर लोकसभा चुनावों पर पड़ेंगे, लेकिन पिछले सालों में ऐसी बात नहीं देखी गई है. दरअसल इन राज्यों की सरकारें अपनी मीयाद ही ऐसे वक्त में पूरी करती हैं, जिसके कुछ दिन बाद केंद्र सरकार की मीयाद पूरी होती है. अगर पिछली बार का जिक्र किया जाए, तो दो बड़े राज्य छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश बीजेपी के खाते में गए थे और दिल्ली तथा राजस्थान कांग्रेस के पास. हालांकि इसके बाद भी केंद्र में कांग्रेस ने जीत हासिल की.

सभी पांचों राज्यों के वोट के नतीजे रविवार आठ दिसंबर को आएंगे.

एजेए/एनआर (पीटीआई, डीपीए)

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