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चुनाव के बाद उछले बाजार

९ दिसम्बर २०१३

भारत में प्रांतीय चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मुंबई में शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. रुपया भी तेज हुआ और शेयर तो रिकॉर्ड ऊंचाइयों तक पहुंच गया.

तस्वीर: Getty Images/Afp/Narinder Nanu

बीजेपी की कामयाबी से निवेशकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. और ऐसा संदेश जा रहा है कि इन चुनावों के नतीजों का असर अगले साल के आम चुनावों पर पड़ सकता है. मुंबई का शेयर सूचकांक सेंसेक्स उछल कर 21,483 तक पहुंच गया. इससे पहले तीन नवंबर को यह 21,321 तक पहुंचा था, जो अब तक का सबसे ऊंचा रिकॉर्ड था.

इसके अलावा भारतीय मुद्रा यानी रुपया भी अपनी खोती साख पर फिर से पकड़ बनाता दिख रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह बेहतर होकर 60.84 तक पहुंच गया. अगस्त के बाद यह रुपये की सबसे अच्छी कीमत है. शुक्रवार को यह डॉलर के मुकाबले 61.42 पर बंद हुआ था.

मुंबई शेयर बाजारतस्वीर: UNI

आईडीबीआई कैपिटल की सोनम उदासी का कहना है, "बाजार में इस उम्मीद से उछाल आया है कि बीजेपी को अगले साल के चुनाव में भारी जीत मिल सकती है. इससे फैसले लेने में और बदलाव में आसानी हो सकती है क्योंकि तब उसे किसी सहयोगी पार्टी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा." हालांकि भारत में पिछले दो दशक से कोई भी पार्टी अकेले अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है.

नवंबर में निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने भारत की रेटिंग बढ़ा दी और इसे "अंडरवेट" से "मार्केट वेट" का दर्जा दे दिया. निवेशकों के बीच यह संदेश जाता दिख रहा है कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी अपनी कारोबार नीतियों की वजह से बदलाव ला सकते हैं. गोल्डमैन के विश्लेषकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "इक्विटी निवेशकों का मानना है कि बीजेपी व्यापार जगत के करीब है और मोदी बदलाव के एजेंट हैं."

भारत में चार राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी सबसे ताकतवर पार्टी बन कर उभरी है, जिसे तीन राज्यों में साफ बहुमत मिल गया है. दिल्ली में उसे बहुमत नहीं मिला लेकिन वह सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. दिल्ली में भ्रष्टाचार विरोधी आम आदमी पार्टी ने शानदार कामयाबी हासिल की है.

जानकारों का कहना है कि ये नतीजे लोगों की भावनाओं को दिखाते हैं कि वे मौजूदा स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं. दस साल से भारत में राज कर रही कांग्रेस पार्टी पर हाल के दिनों में बड़े भ्रष्टाचार के मामले लगे हैं और देश में लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है.

राज्यों के चुनाव गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी इम्तिहान जैसे थे. हाल के दिनों में ऐसा दिखता है कि उन्हें भारत के मध्य वर्ग का समर्थन मिल रहा है. हालांकि 2002 के गुजरात दंगों के दाग वह अब तक साफ नहीं कर पाए हैं.

एजेए/ओएसजे (एएफपी)

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