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चुनाव के लिए तपिश में जलते ईरान-अमेरिका

१८ अक्टूबर २०११

हाल में अमेरिका ने ईरान को अलग थलग करने की खूब कोशिशें की हैं. पर ईरान का रुख नरम नहीं पड़ा है. अचानक उभरे इस तनाव का वक्त अहम है क्योंकि दोनों देशों के नेताओं चुनाव का सामना करना है.

तस्वीर: AP Graphics

अगले साल चुनावों में उतरने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी है कि इस्लामिक गणराज्य ईरान को बेहद कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. यह गुस्सा वॉशिंगटन में सऊदी अरब के राजनयिक की हत्या की साजिश में ईरान के शामिल होने के आरोपों के बाद सामने आया है. अमेरिका ने सैनिक कार्रवाई का विकल्प भी खुला रखा है.

अमेरिका संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी पर भी दबाव बना रहा है कि परमाणु असलहे से जुड़े ईरान के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं. एजेंसी अगले महीने अपने आंकड़े सार्वजनिक कर सकती है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इन आंकड़ों से ईरान की परमाणु बम बनाने की तथाकथित मंशा सामने आ सकती है, जो पश्चिम को ईरान के खिलाफ गोलबंदी के लिए एक और वजह देगी.

ओबामा अपने ऊपर लगने वाले इस आरोप को धो देना चाहते हैं कि ईरान को लेकर उनका रुख नरम रहा हैतस्वीर: picture alliance / ZUMA Press

चुनावों के लिए तेवर!

ईरान में भी मार्च में संसदीय चुनाव होने हैं. उसके बाद वहां 2013 में राष्ट्रपति चुनाव होंगे. ईरान ने अमेरिका के सभी आरोपों को न सिर्फ नकार दिया है बल्कि बड़े तीखे अंदाज में उसका जवाब दिया है. तेहरान में एक पश्चिमी राजनयिक ने कहा, "लगता नहीं कि अगले डेढ़ साल में दोनों ही पक्षों की तरफ से संबंध सुधारने के लिए कोई कोशिश होगी. इसके उलट संभव है कि दोनों तरफ से रुख और ज्यादा कड़ा ही होगा क्योंकि दोनों नेता अपने अपने चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहेंगे."

वैसे जानकार लोगों को नहीं लगता कि यह विवाद सैन्य संघर्ष तक भी पहुंच सकता है क्योंकि ऐसा संकट से जूझ रही मौजूदा विश्व अर्थव्यवस्था के हक में नहीं होगा. वॉशिंगटन की संस्था फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अली वाएज कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि ईरानी नेतृत्व को अमेरिका के साथ सैन्य संघर्ष का डर लगता होगा. उनके लिए तो चुनावी साल में युद्ध विरोधी अमेरिकी जनता ही सबसे अहम कारक होगी."

इसके बावजूद यह अचनाक बढ़ी तनातनी अमेरिका के डेमोक्रैटिक प्रशासन और महमूद अहमदीनेजाद की कट्टर इस्लामिक सरकार के लिए फायदे का सौदा हो सकती है क्योंकि इसके जरिए ओबामा प्रशासन ने रिपब्लिकन पार्टी के उस आरोप का जवाब भी दे दिया है कि वह ईरान पर नरमी बरत रहे हैं. उधर अहमदीनेजाद भी देश के कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं क्योंकि वे उन पर उलेमाओं की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं.

पाबंदियों की परवाह नहीं

ईरान ने रविवार को मांग की कि सऊदी राजदूत की हत्या के आरोप में जिस व्यक्ति को अमेरिका में हिरासत में लिया गया है, उसे उसके साथ पूछताछ करने दी जाए. ईरान किसी भी 'अनुचित कदम' का कड़ा जवाब देने की बात कर रहा है. अमेरिकी अधिकारियों ने माना है कि यह साजिश सामान्य नहीं है लेकिन उन्हें इस बात का भी भरोसा है कि ईरानी अधिकारियों का इसमें हाथ है.

अमेरिका का कट्टर विरोध राष्ट्रपति अहमदीनेजाद की राजनीतिक ताकत हैतस्वीर: picture-alliance/photoshot

वाएज कहते हैं, "ईरान पर दबाव में अभूतपूर्व तरीके से उतार चढ़ाव देने को मिल रहा है. इस बात का कोई संकेत नहीं है कि बढ़ता हुआ दबाव ईरान के नेताओं को रुख बदलने के लिए मजबूर करेगा." लंदन स्थित ईरान मामलों के एक जानकार बाकर मोईन कहते हैं कि अतिरिक्त प्रतिबंधों की ईरानी नेता चिंता नहीं करते क्योंकि वे इसके असर को कम से कम कर लेते हैं. मोईन के मुताबिक, "अगर वे आर्थिक रूप से इसे नियंत्रित नहीं कर सकते तो इससे उनका गणित गड़बड़ा सकता है. ऐसी हालत है नहीं, क्योंकि उन्हें अब भी तेल से बराबर आमदनी हो रही है."

ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन को रोकने से मना कर दिया जिसके बाद 2006 से अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. पश्चिमी जगत का संदेह है कि ईरान चोरी छिपे परमाणु बम बना रहा है, लेकिन ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का मकसद शांतिपूर्ण बताता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल

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