बाइसेक्सुअल लोगों की समस्याओं को एलजीबीटी समुदाय भी अपना नहीं समझता. पेरिस में रहने वाली बाइसेक्सुअल साउदे राद बताती हैं कि कैसे ईरान में उनके साथ हिंसा और जुल्म हुए लेकिन साथ देने के बजाय लोगों ने उन्हीं पर सवाल उठाए.
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जब साउदे राद ने अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में ऑनलाइन लिखा तो उन्हें लगा कि कई और लोग भी अपनी पीड़ा खुलकर बताएंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. राद एक बाइसेक्सुअल है. लोगों का साथ मिलने की बजाय उन्हें अपमानित होना पड़ा. यहां तक कि फेसबुक यूजर्स ने राद के ईरानी पति द्वारा की गई हिंसा को भी नजरअंदाज कर दिया. लोगों ने ये तक कहा कि उसका पति सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर गुस्सा रहा होगा. कुछ ने तो पति की हिंसा को प्यार जताने का तरीका बता डाला.
38 साल की राद आज पेरिस में रहती हैं. बीते वक्त को याद करते हुए बताती हैं, "सोशल मीडिया पर लोग घरेलू हिंसा को वैध कह रहे थे जिसकी वजह से मुझे अस्पताल ले जाया गया. शारीरिक और मानसिक कष्टों का का सामना करना पड़ा."
एलजीबीटी समुदाय के लिए ईरान दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक है. ग्लोबल एलजीबीटी अधिकार समूह (आईएलजीए) के अनुसार, इस्लामिक दंड संहिता में समलैंगिक संबंध के लिए मृत्युदंड और समलैंगिकों के लिए 100 कोड़े की सजा तक शामिल हैं.
राद ने ब्रिटेन में रहने वाली ईरानियन जैनब पाइकम्बारजादेह के साथ मिलकर 2015 में बाइसेक्सुअलिटी को लेकर फारसी भाषा में पहली वेबसाइट 'डॉजेन्सगारा' शुरू की.
एलजीबीटी समुदाय के भीतर भी बाइसेक्सुअल लोगों के साथ भेदभाव देखने को मिलता है. बाईसेक्सुअल को नजरअंदाज और भेदभाव करने वालों की चर्चा करते हुए राद कहती हैं, "ईरानी प्रवासियों में एलजीबीटी कार्यकर्ताओं के बीच काफी दूरियां है. सभी इसे एक कलंक मानते हैं." वे यह नहीं जानते कि हम क्या चाहते हैं. वे हमें लालची समझते हैं. वे हमारे समुदाय को गाली देते हैं. हम वास्तव में एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को ऐसा सोचने नहीं दे सकते. बाइसेक्सुअलिटी एक वैध और मौजूदा सेक्सुअलिटी है."
छिपी हुई जिंदगी
दो एक्टिविस्टों ने सेक्स, जेंडर और सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में लोगों को समझाने के लिए फारसी भाषा में वेबसाइट शुरू की. दुनिया में करीब 11 करोड़ लोग फारसी भाषा बोलते हैं. 20 साल की उम्र में डॉजेन्सगारा शब्द की खोज करने वाली राद बताती हैं, "वहां इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी." इस साइट में लंदन स्थित एलजीबीटी ऑनलाइन स्टेशन रेडियो रंगीनकमन के साथ बनाए गए यूटयूब वीडियो, पॉडकास्ट और दुनिया भर के बाइसेक्सुअल ईरानियों के बारे में लिखित कहानियां मिलती हैं.
समलैंगिक होने पर ये देश देते हैं मौत
ब्रूनेई में समलैंगिकों को पत्थर मारकर मौत के घाट उतारने की इजाजत दी जाने पर दुनिया भर में आलोचना हुई. इसके बाद ब्रुनेई ने अपना फैसला टाल दिया. चलिए जानते हैं कि दुनिया में समलैंगिकों के लिए सबसे बुरे देश कौन से हैं.
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प्यार की सजा मौत
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन का कहना है कि ब्रूनेई दुनिया का सातवां देश है जहां समलैंगिक संबंधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. वहीं बहुत से ऐसे देश भी हैं जहां समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं.
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यहां मिलती है मौत
जिन छह अन्य देशों में समलैंगिक सेक्स की सजा मौत है उनमें ईरान, सऊदी अरब, यमन, नाइजीरिया, सूडान और सोमालिया शामिल हैं. मॉरेटानिया का कानून समलैंगिकों को पत्थर मार कर मौत की सजा की अनुमति देता है, लेकिन वहां सजा ए मौत पर रोक है.
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मलेशिया
मलेशिया में गुदा मैथुन और समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध है. पिछले साल वहां दो महिलाओं को समलैंगिक संबंध कायम करने का दोषी पाया गया और उन्हें बेंत मारने की सजा दी गई. दुनिया भर में इस सजा की आलोचना हुई.
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रूस
रूस में 2013 में एक व्यापक कानून बना जिसके तहत नाबालिगों में समलैंगिक 'दुष्प्रचार फैलाने' को प्रतिबंधित किया गया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस कानून के बाद वहां समलैंगिकों पर हमले बढ़े हैं.
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नाइजीरिया
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में गुदा मैथुन के लिए कैद का प्रावधान है, लेकिन 2014 में पारित एक कानून ने समलैंगिक शादियों और संबंधों पर भी प्रतिबंध लगा गया. समलैंगिक अधिकारों की बात करने वाले संगठनों की सदस्यता लेने पर भी रोक लगा दी गई.
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जापान
बेहद आधुनिक समझे जाने वाले जापान में भी ट्रांसजेंडरों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं. वहां सेक्स चेंज कराने वाले लोगों को उनकी नई लैंगिक पहचान को कानूनी मान्यता मिलने से पहले नसबंदी कराने के लिए मजबूर किया जाता है.
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अजरबैजान
अजरबैजान में समलैंगिक शादियां और समलैंगिकों जोड़ों से बच्चे गोद लेने पर प्रतिबंध है. 2017 में वहां एलजीबीटी समुदाय के लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई, जिसमें मानवाधिकार समूहों के मुताबिक पुरुष समलैंगिकों को पीटा गया और उनका शोषण हुआ.
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तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया में भी समलैंगिक शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसका दोषी करार दिए जाने पर 30 साल तक की सजा हो सकती है.
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अमेरिका
अमेरिका में हाल के सालों में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर जितनी प्रगति हुई, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उस सब पर पानी फेर देना चाहते हैं. उनकी सरकार ट्रांसजेंडर लोगों की अमेरिकी सेना में भर्ती पर भी रोक लगाना चाहती है.
वेबसाइट में अमेरिका की एक समलैंगिक ईरानी नीमा निया द्वारा ईरान के एलजीबीटी+ समुदाय के छिपे हुए जीवन के बारे में लिखित एक कॉमिक "वन ऑफ अस" मिलता है. साइट पर मैक्सिकी कलाकार फ्रिदा काहलो और अमेरिकी कवि वाल्ट व्हाइटमैन जैसे प्रसिद्ध बाइसेक्सुअल लोगों के प्रोफाइल भी हैं. लंदन स्थित मानवाधिकार समूह स्मॉल मीडिया के एक सर्वे मुताबिक ईरान में गे और लेस्बियन लोगों की तुलना में बाइसेक्सुअल लोग कम सामने आते हैं. स्टडीज के मुताबिक बाइसेक्सुअल लोग, गे, लेस्बियन और अन्य लोगों की तुलना में मानसिक और स्वास्थ्य समस्याओं से अधिक घिरे होते हैं, जो सीधा-सीधा उनके साथ होने वाले दोहरे भेदभाव से जुड़ा है.
सोशल मीडिया पर लोकप्रियता
डॉजेन्सगारा के इंस्टाग्राम पर 8300 फॉलोअर हैं. राद इस बात का खुलासा नहीं करती हैं कि साइट पर कितने लोग आते हैं. साइट में ईरान में प्रतिबंधित है और सिर्फ और वीपीएन या अन्य तरीकों से यूजर्स साइट तक पहुंच पाते हैं.
डॉजेन्सगारा वेबसाइट को देखने वाले में से एक 25 वर्षीय फरीमन काशानी हैं. इन्हें ईरान में एक महिला सहपाठी के साथ एक लड़के की तरह व्यवहार करने का आरोप में 12 मनोवैज्ञानिकों के पास ले जाया गया था. एक मनोवैज्ञानिक ने कहा लड़की की तरह पली-बढ़ी 20 साल की काशानी एक ट्रांसजेंडर है और लिंग बदलने के लिए उन्हें सर्जरी करानी होगी.
लेकिन काशानी को सर्जरी के लिए पुरुष होने से जुड़े दस्तावेज चाहिए थे और इसके मां-बाप की अनुमति जरूरी थी. मकान मालिक द्वारा यौन शोषण किए जाने और तेहरान विश्वविद्यालय से बाहर निकाल जाने के बाद 2016 में काशानी तुर्की भाग गई.
वे कहती हैं, "मैं इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी. मैं आत्महत्या करना चाहती थी."
डॉजेन्सगारा देखने के बाद काशानी को पता चला कि वे ना तो महिला हैं और न ही पुरुष. साथ ही उन्हें महसूस हुआ कि सर्जरी आवश्यक नहीं है. काशानी बताती हैं, "मुझे पता चला कि मुझे पुरुष या महिला के रूप में फिट होने की आवश्यकता नहीं है. मैं खुद को टैग नहीं करती, जो भी मुझे अच्छा लगता है मुझे उससे प्यार हो जाता है."
पेशे से कंप्यूटर प्रोग्रामर काशानी को तुर्की में शरणार्थी का दर्जा मिला हुआ है. यहां उन्हें एक अन्य ईरानी शरणार्थी से प्यार हो गया. वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि मेरी लव लाइफ और सेक्स लाइफ बिल्कुल सही है. मैं ईरान में भी यह नहीं कह सकती थी. हम साथ नहीं रह सकते थे."
कई इस्लामी देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता अपराध नहीं है. हालांकि कानूनी दर्जा मिलने के बावजूद भेदभाव इनके हिस्से में आ ही जाता है...
तस्वीर: picture-alliance/dpa
तुर्की
1858 में ओटोमन खिलाफत ने समान सेक्स संबंधों को मान्यता दी थी. तुर्की आज भी उसपर कायम है. यहां समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को मान्यता दी जाती है. हालांकि संविधान से रक्षा ना मिलने के कारण इनके साथ भेदभाव आम है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/H. O. Sandal
माली
माली उन चुनिंदा अफ्रीकी देशों में से है जहां एलजीबीटी संबंधों को कानूनी दर्जा प्राप्त है. हालांकि यहां के संविधान में सामाजिक स्थलों पर यौन संबंध पर मनाही है. लेकिन माली में भी एलजीबीटी समुदाय के साथ बड़े स्तर पर असामनता का व्यवहार किया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Saget
जॉर्डन
एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की दिशा में जॉर्डन का संविधान सबसे प्रगतिशील माना जाता है. 1951 में समान सेक्स संबंधों के कानूनी होने के बाद सरकार ने समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के सम्मान के लिए होने वाली हत्याओं के खिलाफ भी सख्त कानून बनाए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
इंडोनेशिया
1945 का कानून साफ तौर पर यौन संबंध पर पाबंदी नहीं लगाता. इंडोनेशिया में एशिया की सबसे पुरानी एलजीबीटी संस्था है जो कि 1980 से सक्रिय है. भेदभाव के बावजूद यहां का समलैंगिक समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़नें में पीछे नहीं रहता.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Rudianto
अलबेनिया
हालांकि अलबेनिया मुस्लिम देश है, इसे दक्षिणपूर्वी यूरोप में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए अहम माना जाता है. इस गरीब बालकान देश में समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों को असमानता से बचाने के लिए भी कई अहम कानून हैं.
तस्वीर: SWR/DW
बहरैन
इस खाड़ी देश में समान सेक्स के बीच संबंध को 1976 में मान्यता मिली. हालांकि अभी भी बहरैन में क्रॉस ड्रेसिंग यानि लड़कों का लड़कियों की तरह कपड़े पहनना मना है.
तस्वीर: Getty Images
फलीस्तीन
गाजा पट्टी में समान सेक्स के बीच संबंध आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित हैं. लेकिन ऐसा पश्चिमी छोर पर नहीं है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि यहां समलैंगिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. फलीस्तीन में एलजीबीटी पर पाबंदी हमास से नहीं इंगलैंड से आई थी जब यह इलाका ब्रिटिश कॉलोनी हुआ करता था.