यूरोपीय संघ के नए अध्यक्ष देश का पहली बार कार्यभार संभालने वाले स्लोवाकिया का सामना कई चुनौतियों से हैं. ईयू से ब्रिटेन के एक्जिट यानि 'ब्रेक्जिट' की प्रक्रिया के अलावा शरणार्थी संकट से निपटने का बड़ा सवाल है.
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हर छह महीने में अध्यक्षता बदलने वाले यूरोपीय संघ के देशों में अब स्लोवाकिया की बारी है. 2004 में ईयू का सदस्य बनने वाले स्लोवाकिया को पहली बार अध्यक्षता का मौका मिला है. 28 देशों के ब्लॉक से बाहर निकलने के ब्रिटेन के फैसले को किस तरह लागू किया जाए, इस पर ईयू का खास ध्यान है.
इसके अतिरिक्त 16 सितंबर को ब्रिटेन के अलावा बाकी सदस्य देश दूसरे अहम मसलों पर भी अनौपचारिक वार्ता के लिए ब्रातिस्लावा में मिलेंगे. तब तक ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की जगह कोई और नेता प्रधानमंत्री बन चुका होगा और यूरोपीय संघ छोड़ने की प्रक्रिया पर बातचीत करेगा.
क्या होगा ब्रेक्जिट के बाद
अगले दो सालों में ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अपने एक्जिट यानि ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पूरी करनी है. ब्रिटिश और यूरोपीय लोगों को कई तरह के नए तालमेल बिठाने होंगे, देखिए कुछ नमूने.
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महंगी होगी स्कॉच व्हिस्की?
जी नहीं, इसके उलट. विशेषज्ञों की मानें तो क्रैश हुई ब्रिटिश मुद्रा पाउंड के कमजोर बने रहने से ब्रिटेन के उत्पाद बाहर के बाजारों में फिलहाल कुछ वक्त के लिए सस्ते पड़ेंगे. यानि यही अच्छा समय है स्कॉच व्हिस्की, इंग्लिश वाइन गम्स और बाकी ब्रिटिश प्रोडक्ट्स का स्टॉक भरने के लिए. देर की तो दाम फिर से ऊपर जा सकते हैं.
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सस्ती होगी लंदन में शॉपिंग?
यूनाइटेड किंगडम में छुट्टियां बिताना सस्ता नहीं पड़ता. पाउंड के कमजोर होने से पर्यटकों को थोड़ी आसानी होगी. छुट्टी से लौटते वक्त कुछ ज्यादा यादगार चीजें खरीद कर ले जा सकेंगे. और अगर क्रिसमस के आसपास लंदन पहुंचे, तो डॉलर या यूरो के बदले और भी ज्यादा शॉपिंग कर सकेंगे. फोन कॉल्स महंगी होंगी, क्योंकि 2017 शुरु होते ही ईयू कॉलरों को मोबाइल रोमिंग चार्जेस में मिली छूट खत्म हो जाएगी.
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इरासमुस-मुंडुस स्कॉलरशिप से बाहर?
यूरोपीय कॉलेज छात्रों के लिए एक सेमेस्टर यूके में बिताने का अवसर होता था और इरासमुस-मुंडुस कार्यक्रम का एक बेहद लोकप्रिय आकर्षण था. इस स्कॉलरशिप के बारे में भी फिर से बातचीत करनी होगी. यूके में बैचलर, मास्टर्स या पीएचडी डिग्री लेने की इच्छा रखने वाले छात्रों को अभी से पैसे बचाने शुरु कर देने चाहिए. हो सकता है उन्हें ब्रिटिश छात्रों के बराबर नहीं बल्कि बाहरी छात्रों के बराबर फीस देनी पड़े.
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तैर कर पार होगा इंग्लिश चैनल?
जल्द ही ऐसे हर मुद्दे पर एक एक कर के समझौते करने होंगे. वीजा-मुक्त यात्रा का मामला हो या इंग्लिश चैनल में तैराकी. पानी में छंलाग लगाने से पहले यह पता कर लेना ठीक होगा कि इस बाबत क्या समझौता हुआ है. ईयू के देशों में यात्रा करने वाले ब्रिटिश लोगों को भी एयरपोर्टों पर ईयू के बाहर से आने वालों की लाइन में लगना होगा.
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क्या मैनयू से बाहर होंगे जर्मन खिलाड़ी श्वाइनस्टाइगर?
अब तक बास्टियान श्वाइनस्टाइगर, मेसुत ओएजिल और दूसरे कई यूरोपीय फुटबॉलर बड़े आराम से प्रीमियर लीगों में खेलते रहे हैं. ब्रेक्जिट के बाद इन पेशवर खिलाड़ियों को बाकी विदेशी कामगारों की ही तरह अतिरिक्त वर्क परमिट लेना पड़ेगा. श्वाइनी शायद इस मुसीबत से बच जाएं क्योंकि दो साल में वे 33 साल के हो जाएंगे और चाहें तो फिर रिटायरमेंट ले सकते हैं. हालांकि ये यूरोपीय चैंपियनशिप मुकाबलों में खेल सकेंगे.
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यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्यों का क्या?
कुल 73 सदस्यों वाली यूरोपीय संसद से फिलहाल किसी ब्रिटिश पासपोर्ट धारक को वापस भेजने की शुरुआत नहीं हुई है. वह जब तक रहेंगे, उनके सक्रिय रहने और वोट देने तक के अधिकार बने रहेंगे, केवल ब्रिटिश रेफरेंडम पर वोटिंग को छोड़ कर. इस पर ईयू के बाकी राज्यों को सहमति बनानी है.
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सितंबर की वार्ता को लेकर स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फीको का कहना है, "हम राजनेताओं के लिए यह सही मौका है कि हम अपनी असफलता को स्वीकार करें. मानें कि नागरिकों को यूरोपीय प्रोजेक्ट के फायदे समझा पाने में हम फेल हुए हैं."
शरणार्थी संकट को लेकर यूरोपीय संघ के कई देशों की काफी अलग राय है. यह ऐसा मुद्दा है जिसने समय समय पर ईयू की एकता की परीक्षा ली है और निकट भविष्य में भी इस पर गतिरोध बना रहेगा. बीते एक साल में 10 लाख से भी अधिक लोग शरण की तलाश में यूरोप पहुंचे हैं. इनमें से ज्यादातर लोग सीरिया और अफगानिस्तान जैसे युद्ध प्रभावित देशों से जान बचाकर भागे हैं.
कैसा है शरणार्थियों का रमजान
दुनिया भर के मुसलमानों के लिए रमजान का महीना श्रद्धा और त्याग का संदेश लेकर आता है. संकटग्रस्त देशों सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के कई मुसलमान अपने दिन रिफ्यूजी कैंपों में बिताने को मजबूर हैं.
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प्रार्थना का महीना
अपने परिवार के टेंट के बाहर बैठी अफगानिस्तान की फरीदा इफ्तार के पहले के घंटे अपनी छोटी सी कुरान पढ़ते हुए बिताती है. सूर्य के उगने और अस्त होने के बीच रोजे रखने वाले मुसलमान खाना-पानी कुछ भी नहीं लेते. एथेंस के बाहर रित्सोना में बसे शिविर में करीब 800 लोग रह रहे हैं.
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पैकेट तैयार करते
श्टेफनी पोप (बाएं) इको 100 नाम की संस्था से जुडी स्वयंसेवी हैं. उनकी संस्था रिफ्यूजियों की मदद के लिए काम करती है. साथ में सुलेमान इनिड दमिश्क से आए एक रिफ्यूजी हैं. दोनों मिलकर खजूर से भरे करीब 150 बैग तैयार कर रहे हैं, पानी के साथ इन्हें खाकर पारंपरिक रूप से रोजा तोड़ा जाता है.
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दान का सरप्राइज
सीरिया के दो लड़के संयुक्त अरब अमीरात के दूतावास से भेजी गई भेंट लेते हुए. रित्सोना शरणार्थी कैंप में किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी कि तभी वहां 100 किलो सूखे खजूर पहुंचे.
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खास जरूरतें पूरी
कई स्वयंसेवी खाने की चीजें बांटने के काम में लगे हैं. रमजान के महीने में आम भोजन के अलावा खास चीजें जैसे दही से बनने वाला पेय आयरान, खजूर और अनार का जूस भी बांटा जा रहा है.
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जैसे तैसे जुगाड़
कैंपों में सारी सुविधाओं से लैस किचन की सुविधा ना होने के कारण जो मिले उससे काम चलाया जाता है. जैसे सीरिया के कामिश्लो से आई नाजा हुरु लकड़ी जलाकर किसी तरह चावल पकाती हुई. उनके परिवार के 9 लोग कैंप में हैं.
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परिवार का साथ
नाजा का दामाद हसन रसूल खुद भी चार बच्चों का पिता है. पास के ही एक टेंट से आते संगीत को सुनकर अपने बेटे के साथ डांस करते हुए.
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रोजा तोड़ना
नाजा का परिवार शाम को रोजा तोड़ने के लिए एक साथ इफ्तार करने बैठता है. घर में बना चावल और साथ में सूप. इसके अलावा ग्रीस में उन्हें सलाद और बैंगन भी मिल गया था. यह सब परिवार मिल बांट कर खाता है.
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प्रार्थना का वक्त
शरणार्थी कैंप में ही एक खाली पड़े मकान में अस्थाई मस्जिद बना दी गई है. उसी मस्जिद की दीवार पर रखी कुरान को लेकर नमाज पढ़ने की तैयारी में एक रोजेदार.
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ऐसे ढलता है दिन
रात होने से पहले दिन की आखिरी नमाज पढ़ने बैठा एक मुसलमान व्यक्ति. रित्सोना कैंप में रहते हुए भी रमजान का महीना पूरी श्रद्धा और प्रार्थना से बिताते हैं शरणार्थी.
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स्लोवाकिया खुद भी अब तक ईयू के सदस्य देशों के बीच शरणार्थियों को बांटे जाने के फैसले का विरोध करता आया है. इस निर्णय का मकसद सभी ईयू देशों के बीच शरणार्थियों के बोझ को बांटना है. स्लोवाकिया के गृह राज्य मंत्री डेनिसा साकोवा ने कहा है कि स्लोवाकिया राष्ट्रीय कोटा के आधार पर रिफ्यूजियों को बांटे जाने के खिलाफ है, और वे इसके लिए एक "अलग दृष्टिकोण" पेश करेंगे.
ईयू की अध्यक्षता के दौरान स्लोवाकिया चार मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाला है. प्रधानमंत्री फिको ने इन्हें गिनाते हुए कहा, "एक आर्थिक रूप से मजबूत यूरोप बनाना, ब्लॉक के साझा बाजारों का अधिकतम फायदा उठाना, ईयू आप्रवासन और शरण नीति में "संतुलन" स्थापित करना एवं ईयू ब्लॉक को एक ग्लोबल प्लेयर के रूप में उभारने की दिशा में काम करेंगे."