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चुनौती और संयम के बीच दक्षिण अफ्रीका तैयार

महेश झा (संपादनः ए जमाल)६ जून २०१०

11 जून को अफ़्रीकी महाद्वीप पर पहले वर्ल्ड कप के साथ 2007 में क्वालिफ़िकेशन मैचों के साथ शुरू हुई प्रक्रिया अंतिम मुकाम पर पहुंचेगी. 19वें वर्ल्ड कप के क्वालिफ़िकेशन मैचों में 204 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया.

तस्वीर: AP

वर्ल्ड कप के मेजबान के तौर पर अफ़्रीका का चुनाव इस फ़ैसले की वजह से हुआ कि फ़ुटबॉल की सबसे बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन एक ही महाद्वीप पर करने के बजाय बदल बदल कर किया जाए. और जब आयोजन अफ़्रीका में कराने की बात आई तो पांच दावेदार सामने आए. मिस्र, मोरक्को, दक्षिण अफ़्रीका, लीबिया और ट्यूनीशिया. ट्यूनीशिया ने मिलकर वर्ल्ड कप के आयोजन करने की अर्ज़ी दी थी. लेकिन फ़ीफ़ा कार्यकारिणी द्वारा सह-आयोजन की अनुमति नहीं दिए जाने के फ़ैसले के बाद ट्यूनिशिया ने अपनी अर्ज़ी वापस ले ली जबकि लीबिया की अर्ज़ी को आवश्यक शर्तें पूरी नहीं करने के कारण रद्द कर दिया गया.

बाकी बचे तीन देशों में मुक़ाबला हुआ और जीत का सेहरा दक्षिण अफ़्रीका के सिर बंधा. मिस्र, मोरक्को और दक्षिण अफ़्रीका के बीच मतदान हुआ. विजेता की घोषणा 15 मई 2004 को ज्यूरिख में फ़ीफ़ा प्रमुख सैप ब्लाटर ने की. दक्षिण अफ़्रीका के पक्ष में 14 मत मिले, मोरक्को को 10 वोट मिले जबकि मिस्र खाली हाथ रहा.

तस्वीर: AP

दक्षिण अफ़्रीका को वर्ल्ड कप की मेज़बानी तो मिल गई, अब उसे मैचों के आयोजन के लिए संरचना बनानी थी. एक महीने के दौरान 32 टीमों की भागीदारी में 64 मैचों का आयोजन करने के लिए उसके पास पर्याप्त स्टेडियम नहीं थे और जो थे उनकी हालत अच्छी नहीं थी. मैचों के लिए ज़रूरी 10 स्टेडियम में से पांच नए बनाए गए और पांच को सुधारा गया.

लेकिन दक्षिण अफ़्रीका को इस लक्ष्य तक पहुंचने से पहले कई बाधाओं को पार करना पड़ा. मेजबानी मिलने के तुरंत बाद 2006-07 में यूरोपीय देशों में यह चर्चा गर्म रही कि दक्षिण अफ़्रीका से मेजबानी का अधिकार छीना जा सकता है. जर्मनी के फ़्रांस बेकेनबावर जैसी शख्सियतों और फ़ीफ़ा कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों ने दक्षिण अफ़्रीका में योजना, आयोजन और तैयारी की गति पर सवाल उठाए और संदेह व्यक्त किया कि क्या दक्षिण अफ़्रीका समय पर तैयारी पूरी कर पाएगा. फ़ीफ़ा के अधिकारियों ने हमेशा दक्षिण अफ़्रीका की क्षमता पर संदेह करने के बदले आयोजन समिति के काम में भरोसा व्यक्त किया.

2009 में तैयारियों के समय से पूरा होने में तब संदेह पैदा हो गया जब जुलाई में स्टेडियम बनाने में लगे निर्माण मजदूरों ने कम वेतन दिए जाने के आरोप में हड़ताल कर दी. कुछ यूनियनों ने तो 2011 तक हड़ताल करने की धमकी दी. मैच देखने आने वाले लोगों की सुविधा के लिए सड़कों को चौड़ा किया गया है और मेट्रो रेल भी बनाई गई है.

विश्व भर में होने वाली इस तरह की परियोजनाओं की तरह दक्षिण अफ़्रीका में वर्ल्ड कप की तैयारी भी विवादों के साथ जुड़ी रही है. सोवेटो में जहां वर्ल्ड कप का मुख्य स्टेडियम बनाया गया, वहां पहले अफ़्रीका का सबसे बड़ा हाट लगता था. हाट में खोमचे लगाकर सामान बेचने वालों की रोज़ी रोटी छिन गई.

तस्वीर: picture alliance/dpa

वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए लोगों को हटाए जाने को बहुत से लोगों ने विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए शहर के सौंदर्यीकरण पर लक्षित बताया. डरबन में स्लम में रहने वाले लोगों के संगठन अबहलाली बेसमजोंडोलो ने सरकार पर स्लम विरोधी कानून के ख़िलाफ़ मुक़दमा ठोंक दिया. विवाद एन2 फ़्रीवे पर स्थित एक हाउसिंग प्रोजेक्ट पर भी हुआ जिसके लिए जो स्लोवो सेटलमेंट में रहने वाले 20,000 लोगों को वहां से हटाकर शहर के बाहरी हिस्से में ले जाया गया. इसी साल अप्रैल में स्विस लेबर एसिस्टेंस संस्था ने फ़ीफ़ा से मांग की कि वह वर्ल्ड कप आयोजनों के सिलसिले में शोषण और मानवाधिकारों के हनन के ख़िलाफ़ सक्रिय हो.

इन सारे विवादों और बाधाओं को पार कर दक्षिण अफ़्रीका 19वें फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन कर रहा है.

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