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चैंपियन से कन्नी काटता जर्मन फुटबॉल

२४ सितम्बर २०११

अपने जमाने के सबसे अच्छे जर्मन फुटबॉल खिलाड़ी समझे जाने वाले लोथार माथेउस खाली बैठे हैं. उनकी प्रतिभा पर किसी को शक नहीं लेकिन कोई भी जर्मन टीम उन्हें कोच के तौर पर रखने को तैयार नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

हाल ही में माथेउस बुल्गारिया की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कोच पद से हटाए गए हैं और जर्मनी लौट आए हैं. जर्मनी की बुंडेसलीगा में 18 टीमें होती हैं. पर किसी ने माथेउस से बात करने की जहमत नहीं की. यहां तक कि टीमें इस बात को लेकर भी सतर्क हैं कि कहीं उनका नाम माथेउस के साथ जोड़ न दिया जाए.

पिछले साल माथेउस से इंटरव्यू किया गया, तो उन्होंने कहा था, "मैं दरअसल बहुत सादा इंसान हूं. एक सामान्य इंसान." फुटबॉल के ग्राउंड में वह भले ही शानदार सितारा रहे हों और 1991 के विश्व फुटबॉलर का खिताब भी जीता हो लेकिन उनका निजी जीवन बेहद खराब रहा है. उनसे जब पूछा गया कि वह क्या करते हैं, तो भावुक होकर उन्होंने जवाब दिया, "घर में मोमबत्तियां जलाता हूं. खाना पकाता हूं. अच्छी फिल्म देखता हूं."

तस्वीर: picture alliance/dpa

बार बार टूटती शादी

माथेउस की चौथी बीवी 22 साल की लिलियाना से उनके रिश्ते खत्म हो चुके थे. उन्होंने टीवी कैमरों के सामने अपनी शादी की अंगूठी उतार दी और जर्मनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार बिल्ड को दिए इंटरव्यू में कह दिया कि अब वह लिलियाना के वक्ष घटाने के ऑपरेशन का खर्चा नहीं उठाएंगे. बायर्न म्यूनिख के लिए खेलते हुए सात बार जर्मन लीग, इंटर मिलान के साथ इटालियन कप और कई जर्मन कप जीतने के साथ साथ आखिरी बार वर्ल्ड कप उठाने वाले जर्मन कप्तान के लिए यह सब बातें हताशा ही पैदा करती हैं.

इसके लिए वह खुद भी जिम्मेदार माने जाते हैं. एक बार फिर उन पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या गॉसिप की वजह से वह अपना करियर खराब कर रहे हैं. 50 साल के माथेउस कहीं भी माइक पर आकर शानदार कमेंट्री कर सकते हैं या फुटबॉल की बारीकियां बता सकते हैं. लेकिन समझा जाता है कि गलत वजहों से मीडिया में आते रहने की वजह से उन्हें कोई भी टीम कोच के तौर पर नहीं रखना चाहती है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

बचते फिरते टीम

यह बात साबित भी होती है. जिस दिन वह बुल्गारिया के राष्ट्रीय कोच से रुखसत हुए, उसी दिन जर्मन बुंडेसलीगा की हैम्बर्ग टीम में कोच का पद खाली हुआ. मीडिया ने उन्हें हैम्बर्ग से जोड़ने की कोशिश की होती, इससे पहले ही टीम ने साफ कर दिया कि माथेउस उनसे नहीं जुड़ रहे हैं.

लेकिन माथेउस समझते हैं कि उनका दिन भी आएगा, "निश्चित तौर पर एक दिन मैं दिखा दूंगा कि जर्मनी में कोच की हैसियत से मैं क्या कर सकता हूं. लेकिन मैं बुंडेसलीगा की किसी टीम का कोच बनने के लिए झुकूंगा नहीं. मैं खुद को 24 घंटे घर में बंद कर नहीं रखूंगा. इससे तो बेहतर कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ किसी लाल कालीन वाले कार्यक्रम में शामिल होऊं."

तस्वीर: AP

बेकनबाउअर भी मिसाल

1970 के दशक में जर्मनी के एक और महान खिलाड़ी फ्रांस बेकनबाउअर कुछ इसी तरह उभरे थे. वर्ल्ड कप जीतने के बाद वह मीडिया के चहेते बन गए थे और उस वक्त एक जर्मन अखबार ने लिखा था कि किस तरह एक चैंपियन विज्ञापनों के लिए काम करने लगा है.

लेकिन जाहिर है कि बेकनबाउअर ने शानदार वापसी की. कप्तान के तौर पर 1974 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद मैनेजर के तौर पर उन्होंने 1990 में जर्मनी को वर्ल्ड कप जिताया. बायर्न म्यूनिख को जर्मन लीग और यूएफा कप जिताया लेकिन माथेउस ऐसा नहीं कर पाए. हालांकि उन्हें इसका मौका भी नहीं मिला. माथेउस की बुंडेसलीगा से विदाई के बाद वह जर्मनी में नहीं टिक पाए और कभी ऑस्ट्रिया, कभी पुर्तगाल तो कभी हंगरी का चक्कर काटते रहे. हालांकि इनमें से कोई भी जॉब वह एक सत्र से ज्यादा नहीं कर पाए.

घर पर दोस्त नहीं

अब एक बार फिर वह बाजार के लिए उपलब्ध हैं, हालांकि खरीदार नहीं मिल रहा है. जर्मनी की टीम ने 1990 में वर्ल्ड कप जरूर जीता हो लेकिन उसे एक शापित टीम माना जाता है, जिसके दूसरे सदस्य एंडी ब्राह्मे, क्लाउस ऑगेनथालर, ओलाफ थॉन, गीडो बुखवाल्ड, पियरे लिटबार्कस्की और हां, युर्गेन क्लिंसमन भी बाद के दिनों में कुछ नहीं कर पाए. लेकिन माथेउस कप्तान थे और उन्हें इस शापित टीम का सबसे शापित खिलाड़ी समझा जाता है. वह तो घर में भी अकेले हैं. कोई उन्हें लेने को तैयार नहीं.

रिपोर्टः बेन नाइट (अनुवादः ए जमाल)

संपादनः ए कुमार

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