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छत्तीसगढ़ ने कोवैक्सिन को ठुकराया

१२ फ़रवरी २०२१

छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से बने कोवैक्सिन के टीके का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है. राज्य का कहना है कि जब तक कोवैक्सिन का तीसरे चरण का परीक्षण पूरा नहीं हो जाता तब तक इसका इस्तेमाल करना ठीक नहीं है.

Bharat Biotech Firmenlogo | Coronavirus | Unternehmen aus Indien
तस्वीर: Pavlo Gonchar/Zuma/picture alliance

कोवैक्सिन शुरू से विवादों में रही है. उसे बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और सहयोग देने वाली केंद्र सरकार की संस्था आईसीएमआर खुद मानती हैं कि टीके का परीक्षण अभी चल ही रहा है और इसके प्रभावी और सुरक्षित होने से संबंधित पूरी जानकारी अभी सामने नहीं है. कई जानकार इस तरह के टीके के टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

भारत में अभी तक 70 लाख से भी ज्यादा अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को टीका लग चुका है. कई राज्य पहले से ही अपने टीकाकरण कार्यक्रम के तहत कोवैक्सिन की जगह सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से इसे ठुकरा देने वाला पहला राज्य बन गया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने केंद्र सरकार से कहा है कि उनके राज्य में कोवैक्सिन ना भेजी जाए.

छत्तीसगढ़ में कोविशील्ड की 5,88,000 खुराकें भेजी जा चुकी हैं जिनसे राज्य अपने टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत कर चुका है. देव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन को एक चिट्ठी लिख कर कहा है कि उन्हें पता चला है कि अब उनके राज्य में कोवैक्सिन भेजी जाएगी. उन्होंने अनुरोध किया है कि ऐसा ना किया जाए. इस अनुरोध के पीछे देव ने दो कारण गिनाए हैं.

पहला, टीके का तीसरे चरण का परीक्षण अभी पूरा नहीं हुआ है जिसकी वजह से उसके इस्तेमाल को लेकर सामान्य रूप से लोगों में झिझक है और चिंताएं हैं. दूसरा, उन्होंने बताया है कि कोवैक्सिन की शीशी पर कोई एक्सपायरी तारीख नहीं लिखी होती है. इन बातों के मद्देनजर, उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया है कि परीक्षण पूरा हो जाने और उसके नतीजे सामने आ जाने के बाद ही इस टीके को छत्तीसगढ़ भेजा जाए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने देव द्वारा कही गई बातों का खंडन किया है और कहा है कि दोनों टीकों को तय प्रक्रिया के तहत मूल्यांकन करने के बाद ही इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. उन्होंने देव से यह भी कहा कि शीशी पर एक्सपायरी की तारीख ना होने का उनका दावा आधारहीन है और यह साबित करने के लिए उन्होंने कोवैक्सिन के एक शीशी के लेबल की तस्वीर भी दिखाई.

भारत बायोटेक ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. कुछ महीनों पहले जब उसके टीके को लेकर ऐसा ही विवाद उठा था तब कंपनी ने दावा किया था कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित और उपयोगी है और इसकी जांच सभी नियामक संस्थाएं कर चुकी हैं. कंपनी जल्द ही टीको को ब्राजील और संयुक्त अरब अमीरात निर्यात करने की योजना भी बना रही है.

भारत सरकार अभी तक कोवैक्सिन की एक करोड़ खुराकों और कोविशील्ड की 2.1 करोड़ खुराकों का ऑर्डर दे चुकी है. कोविशील्ड ब्रिटेन-स्वीडन की कंपनी ऐस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का टीका है. सीरम इंस्टीट्यूट के पास इसे भारत में बनाने और बेचने का लाइसेंस है.

(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)

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