1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

छह फ़ीसदी कम रहेगी आर्थिक विकास दर

२३ अप्रैल २००९

प्रमुख आर्थिक शोध संस्थानों ने जर्मनी में सकल राष्ट्रीय उत्पाद में भारी कमी की भविष्यवाणी की है. गुरुवार को बर्लिन में जारी रिपोर्ट में इन संस्थानों का कहना है कि आर्थिक उत्पादों में छह प्रतिशत की कमी होगा.

औद्योगिक विकास दर में भारी कमीतस्वीर: DW-TV

इतनी कमी 1949 में जर्मन संघीय गणराज्य के गठन के बाद से पहले कभी नहीं हुई. सारे देश को आर्थिक मंदी का भय सता रहा है और लोग सामाजिक अशांति के ख़तरे की बात करने लगे हैं.

म्युनिख के इफ़ो संस्थान के काइ कार्स्टेनसेन दो टूक शब्दों में कहते हैं कि जर्मन अर्थव्यवस्था वसंत 2009 में संघीय गणराज्य के गठन के बाद से सबसे गहरी मंदी का सामना कर रही है.

संकट में है मशीन उद्योग भीतस्वीर: picture-alliance /ZB

संस्थान का आकलन है कि इस साल औद्योगिक उत्पाद में छह प्रतिशत की कमी आएगी. स्थिति 2010 में भी बहुत बेहतर नहीं होगी. सकल राष्ट्रीय उत्पाद में 0.5 प्रतिशत की कमी आएगी. कार्स्टेनसेन ने इस कमी की वजह पिछली सर्दियों में उत्पादन में कमी को बताया है.

उनका कहना है कि असली भूकंप आ चुका है अब झटके आएंगे और लंबे समय तक तक़लीफ़ पहुंचाएंगे, ख़ासकर श्रम बाज़ार में. उसे कम करने के लिए सरकार ने उद्यमों को काम के समय में कटौती में मदद दी है. फिलहाल यह कार्यक्रम छह महीने के लिए है लेकिन इसे अठारह महीने तक बढ़ाने पर विचार हो रहा है. श्रम मंत्री ओलाफ़ शोल्त्स का कहना है कि सरकार और उद्यमों के सामने यह साझा चुनौती है कि बेरोज़गारी को न बढ़ने दें.

बुधवार को जर्मन सरकार, उद्योगजगत और मजदूर संगठनों के प्रतनिधियों की बातचीत हुई थी, लेकिन आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक और प्रोत्साहन पैकेज तय नहीं किया गया. सरकार का कहना है कि पहले दो प्रोत्साहन पैकेजों के परिणामों को देखने के बाद ही तीसरे के बारे में कुछ तय किया जाएगा.

शॉल्त्स- बेरोज़गारी ने बढ़ने देने की कोशिशतस्वीर: AP

यदि आर्थिक शोध संस्थानों का आकलन सही है तो तीस लाख तक लोग बेरोज़गार हो सकते हैं. जिसका मतलब घरेलू खपत में और कमी होगा. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि तो सामाजिक अशांति की बात कर ही रहे हैं, अब डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नॉर्बर्ट वाल्टर भी कहते हैं कि ऐसा हो सकता है कि यूरोप में स्थिरता का सबसे महत्वपूर्ण कारक सामाजित शांति ख़तरे में है

लेकिन हड़बड़ी में उठाए गए क़दम का परिणाम बहुत से उद्यमों का दिवालिया होना भी हो सकता है. इसलिए आर्थिक संस्थान बैंकों की हालत बेहतर बनाने की वकालत कर रहे हैं. यदि बैंकों की समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो फिर से भरोसे का संकट पैदा हो सकता है. पिछले आठ सालों में आर्थिक संस्थानों ने 16 रिपोर्टें दी हैं, जिनमें से सिर्फ़ एक सही साबित हुआ है. इस समय भी अर्थव्यवस्था की हालत जितनी ख़राब है, उपभोक्ता माहौल उतना ख़राब नहीं दिखता.

रिपोर्ट- एजेंसियां/महेश झा

संपादन- अशोक कुमार

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें