छह महीनों से लावा उगलने वाला ज्वालामुखी
२० सितम्बर २०२१सबसे पहले 19 मार्च को रेक्याविक के दक्षिणपश्चिम की तरफ रेक्याविक प्रायद्वीप पर माउंट फगरादाल्सफियाल के पास एक दरार में से लावा निकलना शुरू हुआ था. अब इस प्रस्फुटन को छह महीने पूरे हो गए हैं. पिछले 50 सालों में यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला प्रस्फुटन है.
कभी तो यहां से बस धीरे धीरे लावा निकलता रहता है और कभी गर्म पानी के किसी स्त्रोत की तरह नाटकीय रूप से पत्थर भी बाहर निकलने लगते हैं. अब तो यह पर्यटन का एक अहम् आकर्षण बन गया है. आइसलैंड टूरिस्ट बोर्ड के मुताबिक अभी तक इसे देखने तीन लाख लोग आ चुके हैं.
14.3 करोड़ टन लावा
यह आइसलैंड का 20 सालों में छठा प्रस्फुटन है. इसके पहले इस द्वीप के केंद्र-पूर्व में स्थित होलुराउन में इस तरह का प्रस्फुटन देखने को मिला था, जो अगस्त 2014 से फरवरी 2015 के अंत तक चला था. ज्वालामुखी विशेषज्ञ थोरवल्डुर थोरडार्सन ने बताया, "छह महीनों तक चलना एक काफी लंबा प्रस्फुटन है."
इस बार जो लावा क्षेत्र बना है उसे माउंट फगरादाल्सफियाल के नाम पर "फगरादालश्राउन" नाम दिया गया है, जसका मतलब है "लावा की एक सुंदर घाटी". अभी तक करीब 14.3 करोड़ टन लावा बाहर निकल चुका है. हालांकि तुलनात्मक रूप से यह काफी कम मात्रा है.
होलुराउन प्रस्फुटन के बाद जितना लावा निकला था यह उसके एक दहाई से भी कम है. उस प्रस्फुटन में इतना लावा निकला था जितना आइसलैंड में 230 सालों में नहीं निकला था.
इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थ साइंस में भूवैज्ञानी हाल्दोर गैरसन ने बताया कि ताजा प्रस्फुटन "एक तरह से ख़ास हैं क्योंकि इसमें तुलनात्मक रूप से रसाव बरकरार रहा है और यह मजबूती से चलता ही जा रहा है."
उनका कहना है, "आइसलैंड के ज्वालामुखियों के बारे में हमें जो मालूम है उसके हिसाब से सामान्य रूप से उनके प्रस्फुटन की शुरुआत बड़ी तेजी से होती है, फिर धीरे धीरे वो कम होता जाता है और फिर रुक जाता है."
चार साल तक चला प्रस्फुटन
देश का सबसे लंबा प्रस्फुटन 50 सालों से भी पहले हुआ था. यह दक्षिणी तट के करीब सुर्तसी द्वीप पर हुआ था और नवंबर 1963 से लेकर जून 1967 तक लगभग चार साल तक चला था.
मौजूदा प्रस्फुटन शुरूआती नौ दिनों के बाद कम हो गया था लेकिन सितंबर में लावा फिर सामने आया. ज्वालामुखी के मुंह में से अक्सर लाल रंग का गर्म लावा निकलता. बीच बीच में उसमें से धुएं का एक शक्तिशाली गुबार भी निकलता.
वो ठोस हो चुकी सतह के नीचे आग की सुरंगों में जमा भी हो गया. उसे ऐसे पॉकेट बने जो अंत में ढह गए और एक लहर की तरह बह गए. इस नजारे को देखने आने वालों की संख्या संभव है तीन लाख से भी ज्यादा हो, क्योंकि गिनती प्रस्फुटन शुरू होने के पांच दिनों बाद शुरू की गई थी.
पहले महीने में 10 दरारें खुलीं जिनसे सात छोटे छोटे मुंह बने. इनमें से अब सिर्फ 2 नजर आते हैं. ज्वालामुखी का एक ही मुंह अभी भी सक्रीय है. इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थ साइंस के मुताबिक यह 1100 फुट चौड़ा है और इस इलाके के सबसे ऊंचे पहाड़ से सिर्फ कुछ दर्जन फुट छोटा.
हालांकि ज्वालामुखी अभी भी शांत होने का कोई संकेत नहीं दे रहा है. गैरसन ने बताया, "यह प्रस्फुटन जिस भी कुंड से हो रहा है लगता है उसमें अभी भी मैग्मा मौजूद है. हो सकता है यह लंबे समय तक चले.
सीके/एए (एएफपी)