यौन उत्पीड़न के बावजूद बस में सफर करने को मजबूर महिलाएं
१६ सितम्बर २०१९
जिम्बाब्वे की सरकार ने इस साल की शुरूआत में यातायात को सुगम और सस्ता बनाने के लिए सरकारी बसें शुरू कीं. इसका किराया तो निजी बसों से कम है लेकिन महिलाओं को चुकानी पड़ रही है एक अलग तरह की कीमत भी.
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सरकारी बसों का किराया निजी बस कंपनियों की तुलना में औसतन एक-तिहाई कम है. सरकार द्वारा बस चलाने के फैसले को सुन 33 वर्षीय थांडेकिले गामा काफी उत्साहित थीं. वजह ये थी कि देश के दूसरे सबसे बड़े शहर बुलावायो में रहने वाली गामा को हर एक तरफ की यात्रा के लिए जहां 3 जिम्बाब्वे डॉलर देने पड़ते थे. ऐसे में नए बस सिस्टम के आने से उनका आधा पैसा बचने लगा. यह उन्हें एक उपहार की तरह लगता था लेकिन इस उपहार के बदले उन्हें एक कीमत चुकानी पड़ती है.
गामा कहती हैं कि सस्ता किराया होने की वजह से सरकारी बसों में काफी ज्यादा भीड़ बढ़ गई है. यात्रा के दौरान महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न तथा छेड़खानी के खतरे बढ़ गए हैं. वे कहती हैं, "जैसा कि अनुमान था बसों में काफी ज्यादा भीड़ होगी लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो महिलाओं के साथ गलत हरकत करने के लिए ही सवार होते हैं. आपको लगता है कि कोई व्यक्ति गलत तरीके से आपके शरीर को छू रहा है और वह फिर गायब हो जाता है."
जिम्बाब्वे रिपब्लिक पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर काम कर रही ऑक्सिलिया सिबांदा ने जुलाई महीने में एक बैठक के दौरान कहा कि सार्वजनिक परिवहन में बलात्कार और उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि इससे जुड़े आंकड़े अभी भी इकट्ठा किए जा रहे हैं इसलिए ठीक संख्या नहीं बताई जा सकती. विश्व बैंक के आंकड़े यह दिखाते हैं कि जिम्बाब्वे की कुल जनसंख्या एक करोड़ 60 लाख है और इसके एक तिहाई लोग शहरों में रहते हैं. शहरों की जनसंख्या 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है. विधायक और महिला अधिकारों की बात करने वाली तबीथा खुमालो के अनुसार तेजी से जनसंख्या वृद्धि के कारण परिवहन सहित तमाम सार्वजनिक सुविधाओं की मांग बढ़ी है. लेकिन अधिकारियों ने निजी और सरकारी बसों के साथ-साथ बिना लाइसेंस वाली टैक्सियों में चलने वाली महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया है.
भारतीय इतिहास में पहली बार शीर्ष स्थानों पर काबिज होने वाली महिलाएं
भारत में महिलाएं प्रधानमंत्री पद से लेकर राष्ट्रपति पद तक संभाल चुकी हैं. एक नजर भारत की उन महिलाओं पर जिन्होंने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Gacad
भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति
प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं. वे 2007 से 2012 तक पांच वर्ष अपने पद पर रहीं. इससे पहले वे 1985 से 1990 तक राज्यसभा सांसद और1991 से 1996 तक लोकसभा सदस्य थीं. मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली प्रतिभा पाटिल 1962 से ही कांग्रेस से जुड़ी हुई थी. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास से संबंधित कई काम किए.
तस्वीर: AP/Schalk van Zuydam
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बेटी इंदिरा गांधी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं. लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद 11 जनवरी 1966 को वह देश के सबसे शक्तिशाली पद पर आसीन हुईं थी. 1975 में देश में आपातकाल लगाने का फैसला हो या भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी कूटनीति रही हो, लोग इनके साहसिक फैसलों की वजह से 'आयरन लेडी' भी कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/united archives
भारत की प्रथम महिला आईपीएस
किरण बेदी 1972 में भारत की पहली महिला आईपीएस बनीं. मूल रुप से पंजाब की रहने वाली किरण बेदी ने संयुक्त राष्ट्र शांति प्रबंधन विभाग में पुलिस सलाहकार के रूप में भी काम किया है. तिहाड़ जेल के प्रमुख के रूप में उन्हें कैदियों के पुनर्वास के कदमों के लिए जाना जाता है. वर्तमान में किरण बेदी पॉन्डिचेरी की उप राज्यपाल हैं.
तस्वीर: AP
भारत की प्रथम महिला डीजीपी
कंचन चौधरी भट्टाचार्य देश की पहली महिला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनीं थी. 1973 बैच की भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की यूपी कैडर की अधिकारी थीं. बाद में वे उत्तराखंड चली गईं. 2004 में कंचन चौधरी भट्टाचार्य को उत्तराखंड में जब पुलिस महानिदेशक बनाया गया था. वे देश की दूसरी महिला आईपीएस भी थीं.
तस्वीर: IANS
भारत की प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष
राजनयिक से नेता बनने वाली कांग्रेस के दलित चेहरे मीरा कुमार लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं. वर्ष 1980 के दशक के मध्य में राजनीति में शामिल होने वाली मीरा कुमार 2009 में लोकसभा अध्यक्ष पद पर चुनी गईं और 2014 तक आसीन रहीं. मीरा कुमार कांग्रेस के दिवंगत नेता जगजीवन राम की पुत्री हैं.
तस्वीर: Picture alliance/NurPhoto/D. Chakraborty
भारत की प्रथम महिला मिस यूनीवर्स
सुष्मिता सेन पहली ऐसी भारतीय महिला हैं, जिन्हें मिस यूनिवर्स का खिताब मिला था. सुष्मिता सेन ने 21 मई 1994 को इस खिताब को अपने नाम किया था. सुष्मिता सेन ने बॉलीवुड में काम किया है और कई हिट फिल्में उनके नाम है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Gacad
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला
बछेन्द्री पाल हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं. 23 मई 1984 का दिन भारतीय इतिहास में दर्ज हो गया क्योंकि इसी दिन बछेंद्री पाल ने माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह किया था. यह उपलब्धि उन्होंने 29 साल की उम्र में अपने नाम की थी.
तस्वीर: IANS
अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम अभिनेत्री
सुनील दत्त की पत्नी और संजय दत्त की मां नरगिस दत्त हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्रियों में से एक थीं. वे अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री थीं. वे पहली अभिनेत्री थीं, जिन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया और पद्मश्री पुरस्कार दिया गया. वे एक ऐसी अदाकारा रहीं जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को नई ऊंचाईं पर पहुंचाया.
भारतरत्न प्राप्त करने वाली प्रथम महिला गायिका
लता मंगेशकर पहली भारतीय गायिका हैं, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 13 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने वाली लता मंगेशकर 75 सालों से अपनी आवाज की बदौलत लोगों की दिलों पर राज कर रही हैं. 36 भारतीय भाषाओं में गीत गाने वाली लता मंगेशकर को 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया. उनकी आवाज इतनी अच्छी है कि इन्हें 'स्वर कोकिला' भी कहा जाता है.
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कैसे होगी सुरक्षा की व्यवस्था
लाखों डॉलर का कर्ज और भ्रष्टाचार के आरोप लगने सहित कई समस्याओं की वजह से कई वर्ष पहले सरकारी बसों का परिचालन रोक दिया गया था. इस साल जनवरी महीने में सरकार ने फिर से जिम्बाब्वे यूनाइटेड पैसेंजर कंपनी (जुप्को) बसों को फिर से शुरू किया. इस मौके पर सूचना मंत्री मोनिका मुत्सवांग्वा ने कहा था कि जुप्को राष्ट्रीय परिवहन प्रणाली के आधुनिकीकरण का हिस्सा है. साथ ही उन्होंने देश के लोगों को आश्वासत किया था कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए "पर्याप्त व्यवस्था" होगी.
जुप्को के कार्यकारी सीईओ एवरिस्टो मडांग्वा ने एक फोन इंटरव्यू मे कहा कि उन सुरक्षा उपायों में प्रत्येक बस में कम से कम एक पुलिस अधिकारी को तैनात करना है. हालांकि मडांग्वा ने बसों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप पर सीधे जवाब देने से मना कर दिया लेकिन कहा कि सरकार भीड़ को देखते हुए बसों की संख्या में निरंतर वृद्धि करती है. कंपनी की योजना पूरे देश में 3,000 बसें चलाने की हैं, जो अभी मात्र 500 हैं. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ऐसा कब तक किया जाएगा.
मडांग्वा यह नहीं बता सके कि जुप्को द्वारा चलाई जा रही बसों में प्रतिदिन कितने यात्री यात्रा करते हैं लेकिन कहा कि बस की शुरूआत के पहले दिन से ही यह लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. गामा और उनके जैसे कई अन्य यात्री कम किराया होने की वजह से बस सेवा को पसंद कर रहे हैं क्योंकि देश की बड़ी आबादी महंगाई से जूझ रही है. गामा कहती हैं, "महिला यात्री बसों में लंबे समय से भद्दे कमेंट और छेड़छाड़ का सामना कर रही हैं लेकिन जुप्को की बसों में भीड़ बढ़ने की वजह से अब यह समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. हालांकि, बस किराया सस्ता होने की वजह से महिलाएं यात्रा करती ही हैं."
बाकी देशों में कैसा है बस से यात्रा करने वाली महिलाओं का हाल
वर्ष 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने दुनिया के पांच ऐसे बड़े शहरों में 1,000 महिलाओं के बीच सर्वे करवाया था जहां लोग ऑफिस जाने के लिए कुछ दूरी की यात्रा करते हैं. इनमें लंदन, न्यूयॉर्क, मेक्सिको सिटी, टोक्यो और काहिरा शामिल है. इसमें पाया गया कि इसमें 52 प्रतिशत महिलाओं ने सुरक्षा को चिंता का मुख्य विषय बताया था. खुमलो के अनुसार जिम्बाब्वे के शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महिलाओं की सुरक्षा की समस्या हाल के दिनों में उतपन्न हुई है. ये हालात सरकारी बसों की शुरूआत और बिना लाइसेंस वाले टैक्सियों के प्रसार के बाद आया है.
खुमलों और अन्य महिला विधायकों के एक समूह ने सरकार से यौन अपराधियों का एक डेटाबेस तैयार करने की पैरवी की है "क्योंकि इनमें से कई बार-बार इन अपराधों को अंजाम देते हैं." महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह मुसासा प्रोजेक्ट द्वारा 2018 में जारी किए गए आंकड़े के अनुसार जिम्बाब्वे में सामने आने वाले आधे से अधिक बलात्कार के मामलों में लोगों को सजा नहीं होती.
कहां किस उम्र में कर सकते हैं शादी
दुनिया के हर देश में शादी को लेकर अपने अलग नियम कानून हैं. भारत में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 21 और महिलाओं के लिए 18 तय की गई है लेकिन दुनिया के अन्य देशों में यह अलग है. एक नजर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/D. Solanki
चीन
शादी की न्यूनतम उम्र चीन में पुरूषों के लिए 22 साल और महिलाओं के लिए 20 साल तय की गई है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
पाकिस्तान
न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 16 साल है. लेकिन तमाम कानूनों के बावजूद बाल विवाह एक बड़ी समस्या है.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
बांग्लादेश
यहां कानूनन शादी की न्यूनतम उम्र महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरूषों के लिए 21 साल है, लेकिन बाल विवाह इस देश की बड़ी समस्या है.
तस्वीर: bdnews24.com
अफगानिस्तान
यहां शादी के लिए महिलाओं की न्यूनतम उम्र 16 साल और पुरूषों की न्यूनतम आयु 18 साल तय की गई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
भूटान
भारत के पड़ोसी देश में लड़के और लड़कियों दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है.
तस्वीर: dapd
म्यांमार
यहां भी कानून मुताबिक शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है. लेकिन यहां बाल विवाह बहुत होते हैं.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
इंडोनेशिया
इस देश में महिलाओं के लिए न्यूनतम उम्र 16 साल है और लड़कों के लिए 19 साल. लेकिन लड़कियों की यहां जल्द शादी कर दी जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Hendratmo
मलेशिया
मलेशिया में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 16 साल तय की गई है. शरिया कोर्ट की इजाजत से लड़कियों की शादी जल्द भी की जा सकती है.
तस्वीर: REUTERS/Ahim Rani
उत्तर कोरिया
अलग-थलग रहने वाले उत्तर कोरिया में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 17 साल तय की गई है.
तस्वीर: Reuters/KCNA
ईरान
इस्लामी गणतंत्र में महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 13 साल है. लेकिन अदालत और लड़की के पिता की अनुमति होती है तो नौ साल में भी लड़कियों की शादी कर दी जाती है.
तस्वीर: FARS
इराक
कानूनन देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है. लेकिन अगर मां-बाप की इजाजत हो तो शादी 15 साल की उम्र में भी हो सकती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Al-Rubaye
इस्राएल
इस देश में शादी की न्यूनतम आयु 18 साल रखी गई है लेकिन इसमें कुछ रियायतें भी हैं.
तस्वीर: AP
जापान
यहां पुरूषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कियों के लिए 16 साल तय की गई है.
तस्वीर: AP
ऑस्ट्रेलिया
यहां पुरूष और महिलाओं दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल निर्धारित की गई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Hamilton
ऑस्ट्रिया
इस यूरोपीय देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है.
तस्वीर: Getty Images/C. Koall
बोलिविया
यहां शादी की न्यूनतम उम्र महिलाओं के लिए 14 साल और लड़कों के लिए 16 साल है.
तस्वीर: picture-alliance/Demotix/N. Fernandez
ब्राजील
इस देश में यूं तो शादी की उम्र कानूनन 18 साल है लेकिन यूनिसेफ के आंकड़े जल्दी शादी को बड़ी समस्या बताते हैं.
तस्वीर: Getty Images
कनाडा
उत्तरी अमेरिका के इस देश में शादी की न्यूनतम उम्र 16 साल रखी गई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
क्यूबा
अमेरिका के करीब स्थित इस समाजवादी देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Ernesto
फ्रांस
यहां कानूनन शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. लेकिन यहां बसे एशियाई और अफ्रीकी समुदाय के बीच बाल विवाह प्रचलित है.
तस्वीर: Reuters/E. Laurent
जर्मनी
जर्मनी में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. जबरन विवाह कराना यहां एक कानूनी अपराध है जिसके लिए पांच साल की सजा है.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Wire/O. Messinger
ग्रीस
शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. आधिकारिक आंकड़ों मुताबिक बाल विवाह यहां बसे रोमानियाई मूल के लोगों के बीच प्रचलित है.
शीत युद्ध की समाप्ति से पहले समाजवादी रहे इस देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A.Kurucz
स्पेन
स्पेन सरकार ने साल 2015 में शादी की न्यूनतम उम्र को 14 साल से बढ़ाकर 16 साल किया है.
तस्वीर: Getty Images/David Ramos
एस्टोनिया
यूरोप में शादी की न्यूनतम उम्र इस देश में सबसे कम है. अभिभावकों की अनुमति से यहां किशोर 15 साल की उम्र में शादी कर सकते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Malukas
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बुलावायो के पुलिस प्रवक्ता आबेदनिको नकूबे ने बताया, "सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस हर संभव कदम उठा रही है. लेकिन अधिकारी हर एक व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकते हैं. जिन्हें भी महसूस होता है कि किसी ने उनके साथ गलत बर्ताव किया, उन्हें तुरंत इसके बारे में रिपोर्ट करनी चाहिए ताकि पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सके."
युवा महिला विकास संस्थान में परियोजना निदेशक जिलियन चिंसेटे कहती हैं, "इस सलाह के साथ एक समस्या भी है. जिम्बाब्वे में महिलाओं की शिकायत को अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता है. इस डर से वे उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से कतराती हैं. पुलिस को इस बात की ट्रेनिंग होनी चाहिए कि महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा के मामले पर किस तरह से कार्रवाई करनी चाहिए. इससे पीड़िताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा."
गामा भी इस बात से सहमत हैं. वे कहती हैं कि वह और उनके जैसी अन्य महिलाएं बस में जो रहा है, उसी के साथ जीना सीख गईं हैं. वे कहती हैं, "ऐसे छोटे अपराध जिसमें वह यह नहीं जानती कि अपराधी कौन है, उसकी रिपोर्ट लिखवाने पुलिस के पास नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि उनका उपहास उड़ाया जाएगा. यह बलात्कार के रिपोर्ट लिखवाने जितना ही मुश्किल है. कल्पना कीजिए कि आप उन हाथों के बारे में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश कर रही हैं, जिसे आपने देखा ही नहीं है."
इस्लामिक स्टेट ने यह बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि कुर्द लड़ाके उसकी नाक में दम कर देंगे. कुर्द लड़कियों ने इस लड़ाई में चरमपंथियों के दांत खट्टे कर दिए. एक झलक लड़ने वाली कुर्द लड़कियों की जिंदगी की.
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कुर्दिस्तान का स्वप्न
ईरान की कुर्दिश महिलाओं का गुट कुर्दिश पेशमेर्गा फाइटर्स में शामिल हो गया है. इराक के इर्बिल में ये महिलाएं सैन्य अभ्यास कर रही हैं. ईरान भी इसे अपने लिए खतरा मान रहा है.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
मां के नाम संदेश
"प्यारी मां, मेरे लिए आंसू मत बहाना. मैं मातृभूमि के लिए मिटने के लिए तैयार हूं. मैं दुश्मन को मिटाने जा रही हूं." हर ट्रेनिंग के दौरान कुर्दिश फाइटर लड़कियां यही गीत गाती हैं.
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80 साल पुरानी मांग, कुर्दिस्तान
इराक के कुर्द बहुल इलाके में ये महिलाएं सीरिया और इराक की कुर्द लड़कियों के साथ युद्ध का अभ्यास कर रही हैं. इन महिलाओं का कहना है कि कुर्दिस्तान एक है.
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अपनी रक्षा खुद
इन लड़कियों के मुताबिक इलाके के सारे कुर्दों की हिफाजत के लिए उन्होंने ये हथियार उठाए हैं. ईरान, सीरिया और तुर्की सीमावर्ती इलाकों में कुर्द आबादी को अपने लिए खतरा मानते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
अच्छी खासी ट्रेनिंग
इस्लामिक स्टेट के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान अमेरिका भी कुर्द लड़ाकों को ट्रेनिंग दे चुका है. जर्मन सेना ने भी कुर्दों के लिए ऐसे कई प्रशिक्षण अभियान चलाए.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
कुर्द समाज का प्रतिबिंब
एक कुर्द महिला होने के नाते मैं बताना चाहती हूं कि कुर्द लड़ाके महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं करते. मैं कमजोर नहीं हूं. मैं कहीं भी लड़ सकती हूं. हम दुश्मन और सेक्सिज्म से लड़ रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
पढ़ी लिखी फाइटर
ईरान से ट्रेनिंग के लिए इराक पहुंची इन लड़कियों की उम्र 18 से 25 साल के बीच है. ज्यादातर लड़कियां यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
फ्रंट लाइन पर पोस्टिंग
अलग अलग देशों से आई सारी लड़कियां अलग कुर्दिस्तान देश का सपना देखती हैं. कुछ महीनों की ट्रेनिंग के बाद इन्हें अलग अलग फ्रंट लाइन में भेजा जाएगा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hamed
इंतकाम की आग
20 साल की हाजा सीरिया की रहने वाली हैं. सीरिया में उनके इलाके सिंजर में इस्लामिक स्टेट ने कब्जा कर लिया था. उस हमले से खीझकर वे पेशमेर्गा ट्रेनिंग कैंप में पहुंचीं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
इस्लामिक स्टेट के सामने खड़ी दीवार
पेशमेर्गा ट्रेनिंग कैंप की इस्लामिक स्टेट के प्रभाव वाले इलाके से दूरी मात्र 800 मीटर है. लेकिन इसके बावजूद आईएस के लड़ाके पेशमेर्गा के करीब फटकते तक नहीं हैं.