छोटा परिवार, धनी परिवार
३० अगस्त २०१२लंदन और स्टॉकहोम के वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है. बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि छोटा परिवार अमीरी और संपन्नता की राह तैयार करता है. रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक रूप से विकसित समाज में कम बच्चे होते हैं. इसका असर ये होता है कि उन्हें विरासत में निवेश करने के लिए ज्यादा संपत्ति प्राप्त होती है. इसका असर सामाजिक और आर्थिक सफलता में दिखाई देता है.
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने बड़े पैमाने पर परिवारों का अध्ययन किया. इसमें स्टॉकहोम में रहने वाले 14 हजार परिवारों का 1915 से लेकर 1929 तक अध्ययन किया गया. इसके बाद 2009 तक के उनके वंशजों का भी वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया.
अध्ययन में पाया गया कि छोटे परिवार समृद्ध तो थे ही, उन परिवार के बच्चों ने स्कूल, विश्वविद्यालयों में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन भी किया था. इन परिवारों का जीवन स्तर भी समाज में ऊंचा था. रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों को तब और लाभ मिला है जब माता पिता का समाजिक स्तर पहले से ही ऊपर होता है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मानवविज्ञान पढ़ाने वाले डेविड लॉसन कहते हैं, "अध्ययन के दौरान सबसे दिलचस्प बात ये निकलकर समाने आई कि अगर आप शुरू से ही संपन्न परिवार से आते हैं तो छोटे परिवार का लाभ और ज्यादा मिलता है जबकि गरीब परिवार के पास हासिल करने के लिए कुछ खास नहीं होता. गरीब परिवार के बच्चों की सफलता पूर्वजों की संपत्ति से नहीं, बल्कि समाजिक कारणों से तय होती है."
ब्रिटेन की रॉयल साइंस पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट में डार्विन के विकासवाद की भी चर्चा की गई है. रिपोर्ट की मुख्य लेखिका अना गुडमैन का कहना है, "विकासवादी जीववैज्ञानिकों के लिए ये एक पहेली है. रिपोर्ट वैसी नहीं है, जैसा कि हम आप उम्मीद करते हैं. जिस प्रजाति के पास जितनी मात्रा में संसाधन होते हैं, वो उतना ही प्रसार करती है. समाजिक आर्थिक मामलों में कम संतान होना सफलता है लेकिन संतानोत्पत्ति के बारे में ये सच नहीं है." अध्ययन में कहा गया है कि पहली पीढ़ी के पास औसतन 3.4 बच्चे थे जबकि दूसरी पीढ़ी के पास 1.7 बच्चे और तीसरी पीढ़ी की औसत संतानें 1.8 हैं. सबसे कम संतान चौथी पीढ़ी के पास है. इस पीढ़ी के पास संतानों का औसत 0.7 है.
वीडी/एजेए (एएफपी)