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छोटी टांगों के कारण दुनिया से कटीं भारतीय मॉडल्स

२८ अक्टूबर २०११

नित नए फैशन डिजाइन्स को रैंप पर दिखाने वाली भारतीय फैशन मॉडल्स की शिकायत है कि उन्हें विश्व पटल पर मौका नहीं मिल रहा और इसका खास कारण है उनका छोटा कद.

Ujjwala wears a stretch satin tuxedo jacket with crystal beading and silk satin pencil skirt at the showing of the Kai Milla Fall/Winter 2005 Collection,Thursday, Feb.10, 2005, in New York. (AP Photo/ Louis Lanzano)
भारत की टॉप मॉडल उज्ज्वला राउततस्वीर: AP

टॉप भारतीय मॉडल अपूर्वा विश्वनाथन मानती हैं कि अपने देश में कैटवॉक करना और अंतरराष्ट्रीय फैशन की दुनिया में परचम फहराने का अंतर इंचों में गिना जाता है. वह कहती हैं, "काश मेरी अंतहीन लंबी टांगे होतीं. तो मैं हाइडी क्लुम के साथ कैट वॉक कर पाती. अंतरराष्ट्रीय फैशन हाऊस आपकी ओर आकर्षित हों इसके लिए जरूरी है कि आप कम से कम पांच फीट 11 इंच लंबे हों. बैंगलोर की विश्वनाथन 175 सेंटीमीटर ऊंची हैं." दिल्ली फैशन वीक के दौरान विश्वनाथन से समाचार एजेंसी एएफपी ने बातचीत की.

पश्चिमी देशों की तुलना में करियर मॉडलिंग भारत में अभी नया है. हालांकि तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के कारण फैशन उद्योग भी बढ़ा है और फैशन डिजाइनरों की संख्या भी.

कम सफलता

भारतीय मॉडल्स अंतरराष्ट्रीय पटल पर उतने सफल नहीं हो पाए हैं. हाल फिलहाल लक्ष्मी में मेनन और उज्ज्वला राउत गुची और यीव्स सेंट लॉरां के लिए मॉडलिंग करती हैं. मेनन ने पहले पैरिस में ज्यॉं पॉल गॉतिएर के डिजाइन पेश किए और इसके बाद फ्रांसीसी लग्जरी मेकर हेर्मे का चेहरा भी बनीं. अंतरराष्ट्रीय पटल पर ख्याति पाने के बाद मॉडल्स महंगी हो जाती हैं और भारत के डिजाइनरों के लिए बड़ा निवेश भी.

हालांकि कई लोगों का कहना है कि भारतीय मॉडल्स को न लेने का कारण थोड़ा भेदभाव भी है लेकिन विश्वनाथन इसके लिए प्राकृतिक शारीरिक आकृति को जिम्मेदार मानती हैं. वह कहती हैं, "हमारा (भारतीय महिलाओं का) शरीर तुलनात्मक रूप से भरा हुआ और कमनीय होता है, जबकि विदेशों में एजेंसियों को बहुत दुबली पतली लड़कियों की जरूरत होती है. उनके मानकों पर खरा उतरना थोड़ा मुश्किल है. मैं भारतीय फैशन उद्योग में 10 साल से हूं और चाहती हूं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाऊं. लेकिन आपका शरीर अगर छोटा है तो आप दौड़ से बाहर हैं."

टांगे छोटी इसलिए पहचान सीमिततस्वीर: AP

देर से शुरू

एक और तथ्य यह भी है कि भारतीय लड़कियां अपने करियर की शुरुआत पश्चिम की तुलना में देर से करती हैं. कॉलेज पूरा करने के दबाव के कारण अक्सर मॉडलिंग 20 साल में शुरू होती है. आईएमजी रिलायंस में फैशन डाइरेक्टर अंजन शर्मा कहती हैं, "अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में इसका मतलब है कि बहुत देर हो गई है. गीजेले बुंडशन ने मॉडलिंग 14 साल की उम्र में शुरू की थी और केट मॉस भी 16 साल में मशहूर हो गई थीं."

1994 में एश्वर्या राय और सुष्मिता सेन ने दुनिया में काफी नाम कमाया और भारतीय फैशन इंडस्ट्री को नया रूप दिया. इसके बाद 2007 में वोग पत्रिका के भारतीय संस्करण ने फैशन इंडस्ट्री को और ताकत दी. सामंत चौहान कहते हैं आप किसी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की बात कीजिए, सब भारत में हैं. इनके कारण दुनिया का दरवाजा भारत के लिए खुला है. भारत में मॉडल्स अब ज्यादा सर्तक, महत्वाकांक्षी हैं.

कई अड़चनेंतस्वीर: picture-alliance/dpa

कई रोड़े

हालांकि भारत में फैशन खासकर डिजाइनर ब्रा और पेंटी या ऐसे कपड़े जो खुले हैं, उनको लेकर लड़कियां हिचकिचाती हैं. इसलिए भारतीय फैशन मैगजीन्स में इनका विज्ञापन करने वाली लड़कियां विदेशी होती हैं. एले फैशन मैगजीन की प्रधान संपादक नोनिता कार्ला कहती हैं, "सवाल ईमानदारी का उतना नहीं है लेकिन लोगों के विरोध का है."

एक और मुद्दा यह है कि भारत में सांवली मॉडल्स को लोग कम पसंद करते हैं क्योंकि सामान्य तौर पर गोरा रंग सुंदरता का प्रतीक माना जाता है. और ऐसी त्वचा पाने के लिए कॉस्मेटिक्स का बाजार सालाना 50 करोड़ डॉलर का है. टॉप मॉडल दिपन्निता शर्मा कहती हैं, "इस सोच से बाहर निकलने में और सौ साल लगेंगे."

रिपोर्टः एएफपी/आभा मोंढे

संपादनः वी कुमार

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