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जंगलों की आग के लिए इंसान भी जिम्मेदार

२० अक्टूबर २०१७

आमतौर पर जलवायु परिवर्तन को ही जंगलों की आग के लिए जिम्मेदार माना जाता है. साल 2017 में दुनिया के तमाम जंगलों को ऐसी भयंकर आग का सामना करना पड़ा. लेकिन जंगलों के इस आग के लिए सिर्फ प्रकृति ही नहीं मानव भी जिम्मेदार हैं.

Spanien Mehr als 30 Tote bei Waldbränden in Portugal und Spanien
तस्वीर: Reuters/Spanish Defence Ministry/UME/L. Ortiz

इस साल दुनिया भर के तमाम जंगलों और समुदायों को भीषण आग का सामना करना पड़ा, लेकिन इस आपदा के लिए अब महज प्रकृति को दोष नहीं दिया जा सकता. तमाम शोध बताते हैं कि इसके पीछे मानवीय गतिविधियां भी जिम्मेदार होती हैं. अमूमन लोग ध्यान ही नहीं देते और जंगलों से गुजरते हुए कही भी सिगरेट फेंक देते हैं, वहीं किसान भी बिना जांच किये कचरा जलाने लगते हैं जिससे जंगलों में आग लगने का खतरा पैदा हो जाता है. अग्नि और वन विशेषज्ञ मानते हैं कि जंगल में आग की तीव्रता का हल उचित भूमि प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों में ढूंढा जा सकता है. हाल में कैलोफोर्निया, चिली और पुर्तगाल के जंगलों में लगी भीषण आग, दुनिया को इस बढ़ते जोखिम से आगाह कर रही हैं. लेकिन अगर इस ओर जल्द ध्यान नहीं दिया जाता तो आने वाले सालों में यह खतरा और भी भयावह रूप धारण कर सकता है.

मानव जिम्मेदार

ग्लोबल फायर मॉनिटिरिंग सेंटर (जीएफएमसी) के लिंडन.एन प्रोंटो ने डीब्ल्यू से बातचीत में कहा कि मनुष्य, जंगलों में लगने वाली इस आग के लिए जिम्मेदार हैं. अमेरिका में साल 2017 की एक स्टडी में कहा गया कि मनुष्य 80 फीसदी आग के लिए जिम्मेदार हैं. वहीं अमेरिका की अन्य संस्थाओं ने तो इंसान की भूमिका को 90 फीसदी तक माना है. ग्लोबल फायर मॉनिटरिंग सेंटर के मुताबिक यूरोप में इंसान को 97 से 98 फीसदी तक इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है. स्पेन के कृषि, खाद्य व पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े भी ऐसी आधे से अधिक घटनाओं के लिए मानवीय क्रियाओं को जिम्मेदार मानते हैं. इससे उलट, जो आग जंगलों में किसी आर्थिक हित या लाभ कमाने की दृष्टि से लगायी गयी हो उनसे भीषण आग का खतरा कम नजर आता है. ग्रीनपीस स्पेन से जुड़ी मोनिका पेरिल्ला कहती हैं, "प्रशासन की बिना अनुमति किसी क्षेत्र को जड़ से उजाड़ देना, जंगलों की इस आग की संभावित वजह होती है."

तस्वीर: Reuters/S. Lam

भूमि प्रबंधन की कमियां

कमजोर भूमि प्रबंधन नीतियां इस आपदा में घी का काम करतीं हैं. प्रोटों के मुताबिक, "पहले आग को कृषि में एक मददगार टूल की तरह देखा जाता था लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे तेज रफ्तार पलायन ने घने वनस्पतियों वाले क्षेत्रों में जोखिम संभावनाओं को बढ़ा दिया है." उन्होंने कहा, "यूरोप के दक्षिणी हिस्सों में भी यह घटनायें अब बढ़ने लगीं हैं."

पुर्तगाल की भौगोलिक विशेषज्ञ और लेखक एडिला नूनिस ने बताया, "पुर्तगाल जैसे बड़े ग्रामीण क्षेत्रों वाले देशों में बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से लाभदायक फसलें मसलन नीलगिरी को उगाया जा रहा है लेकिन यह ख्याल नहीं रखा जा रहा है कि ये फसलें बेहद ही ज्वलनशील हैं." उन्होंने कहा कि भूमि प्रबंधन पर ठोस नीतियों के अभाव में आग का मुकाबला करना एक असंभव कार्य है.

वहीं कैलोफोर्निया के गर्म और शुष्क जलवायु में आग का खतरा बढ़ रहा है. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के परिणामों से बचने और इनका मुकाबला करने की बजाय, राज्य की आबादी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की ओर अधिक जा रही है. एक आंकड़े मुताबकि, साल 2050 तक छह लाख से अधिक घर जंगल की आग के घेरे में आने वाले संभावित क्षेत्रों में बन चुके होंगे.

शिक्षा की कमी

पेरिल्ला चेतावनी देते हुए कहतीं हैं, "अग्नि व आपातकालीन सेवाओं में तकनीकी गुणवत्ता ही जंगलों की आग और इससे जुड़े ट्रेंड का मुकाबला नहीं कर सकती है. इसकी बजाय सरकार को अपनी नीतियां, ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रखकर तैयार करनी चाहिये."

तस्वीर: Fotolia/Alex Ishchenko

नूनिस ने बताया, "आने वाले सालों में इस आपदा को लेकर कुछ खास नहीं किया जा सकता क्योंकि बचाव एक दीर्घकालिक चुनौती है." लेकिन उन्होंन जोर देकर कहा, "यह अहम समय है जब हम सही दिशा में कदम बढ़ाना शुरू करें." नूनिस ने बताया कि पुर्तगाल में अब उन्होंने यूरोपियन ओक की खेती भी शुरू की है, हालांकि यह नीलगिरी के मुकाबले आर्थिक दृष्टि से काम लाभकारी है लेकिन आग का मुकाबला करने में सक्षम है. प्रोंटों भी पुर्तगाल और चिली में उठाये जा रहे इन कदमों की तारीफ करती हैं. वहीं पैरिल मानती हैं, "आग से पैदा हुई राख मिट्टी के क्षरण और जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होती है जिसका मुकाबला करना भी हमारे लिए कम बड़ी चुनौती नहीं है." नूनिस मानतीं हैं कि लोगों को इस दिशा में जागरुक करना और मौजूदा स्थिति से मुकाबला करना बड़ी चुनौती है.

एर्ने बानोस रुइज/एए

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