जंगल के कप्तान के लिए धोनी की बल्लेबाजी
७ सितम्बर २०१०बाघों की चिंता भारतीय टीम के कप्तान को देहरादून ले गई. सोमवार को धोनी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की. इस दौरान टीम इंडिया के कैप्टन ने जंगल के कैप्टन के भले की चर्चा छेड़ी. धोनी ने कहा, ''मैं मुख्यमंत्री से बाघों को सुरक्षित वातावरण मुहैया कराने का अनुरोध करने आया हूं. मुझे उम्मीद है कि कार्बेट और राजाजी पार्क का दायरा बढ़ेगा और ये पार्क बढ़िया काम करेंगे.''
भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा बाघ उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हैं. नैनीताल जिले में स्थित इस पार्क को 1936 में वन्य जीव संरक्षण से जुड़े जिम कॉर्बेट ने शुरू कराने में अहम किरदार निभाया. कॉर्बेट नैनीताल जिले में ही पैदा हुए और वहीं पले बढ़े. जंगल के बारे में उनकी विलक्षण समझ थी. वह बाघ या तेंदुए के पंजे के निशान से लिंग, उम्र और मौजूदा शारीरिक स्थिति बताने के लिए माहिर थे. उनकी किताबों में उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में बाघों की कई सच्ची कहानियों का जिक्र किया गया है. कॉर्बेट के मुताबिक पहाड़ और भाभर का यह इलाका कभी बाघों का गढ़ हुआ करता था.
लेकिन अब कार्बेट पर भी इंसान की मार बढ़ रही है. बीते कुछ सालों में पार्क को वन्यजीव संरक्षण से ज्यादा टूरिस्टों का अड्डा बना दिया गया है. पार्क की सीमा में बड़े पैमाने पर रिसॉर्ट और इमारतें बन चुकी हैं. धोनी शायद इन्हीं चिताओं की वजह से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिले.
मुलाकात के बाद निशंक ने कहा, ''हमें लगता है कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और बाघों के संरक्षण के साथ धोनी का जुड़ना इस अभियान के लिए एक बड़ा कदम है.''
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन