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जगजीतः जाने वो कौन सा देस जहां तुम चले गए

१० अक्टूबर २०११

पद्मभूषण गजल सम्राट जगजीत सिंह का सोमवार को मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया. 23 सितंबर को ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. करोड़ों दिलों को सुकून पहुंचाने वाली आवाज खामोश हो गई.

तस्वीर: AP

अस्पताल के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर नांदगांवकर ने बताया, "बहुत ज्यादा रक्त स्त्राव के कारण जगजीत सिंह का सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे निधन हो गया."

होठों पर सदा रहने वाली एक सौम्य मुस्कान, दर्द से लबरेज आंखें और रेशम सी मुलायम आवाज. एक  मुलाकात जो यादों की फ्रेम में अंकित है. 80-90 के दशक की एक पूरी पीढ़ी ने उनकी गजलों के साथ अपनी भावनाओं को महसूस किया, बात चाहे पहले प्यार की हो, चिट्ठी की हो, जुदाई की हो या बेवफाई की.

तस्वीर: AP

बेगम अख्तर, मेंहदी हसन, गुलाम अली की गजल गायकी शैली के दौर में जगजीत सिंह की गायन शैली ने गजल को नए आयाम दिए. एक ऐसे दौर में जहां गजल मुरकी, आलाप, तानों के जरिए पेश की जाती थी वहां जगजीत सिंह ने गजल के शब्द लोगों तक पहुंचाए. स्वरों की पेचीदगी से बचते हुए सीधे धड़कनों का गीत गाया. यही कुंजी थी जिसने उन्हें हर दिल में बसा दिया.

शास्त्रीय संगीत से भागने वाले युवाओं के दिलों पर वह छा गए और हर वर्ग की पसंद बन गए. जगजीत सिंह ने अपना परचम ऐसे समय फहराया जब 70 के दशक में नूर जहां, मलिका पुखराज, बेगम अख्तर, तलत महमूद, मेंहदी हसन गजल की दुनिया में छाए हुए थे. 8 फरवरी 1941 में श्रीगंगानगर राजस्थान में पैदा हुए जगजीत सिंह ने करीब 80 एल्बम बनाए. चार बहनों और दो भाइयों के परिवार में उन्हें जीत बुलाया जाता था. संगीत की शिक्षा उन्होंने सैनिया घराने के उस्ताद जमाल खान से ली.

रिपोर्टः एएफपी/पीटीआई/आभा मोंढे

संपादनः वी कुमार

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