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जनता के पैसों की बर्बादी बंद करे संसद

२७ अगस्त २०१५

मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन के एनजीओ ने संसद में होने वाले हंगामे के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है. इसके मुताबिक संसद के सत्र पर खर्च होने वाला जनता का करोड़ों रुपया बार बार विघ्न पड़ने से बर्बाद होता है.

तस्वीर: UNI

ई श्रीधरन गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर रेस्टोरेशन ऑफ नेशनल वैल्यूज के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, "हमें इस बात की छूट नहीं देनी चाहिए कि अपने पुश्तैनी राजनीतिक झगड़ों के लिए संसद जैसे संस्थान का गलत इस्तेमाल हो."

एनजीओ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल चाहता है ताकि संसद में वैधानिक कार्रवाई के दौरान विधिनिर्माता बाधा ना डालें. एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है. श्रीधरन ने कहा कि संविधान में इस बात की गुंजाइश है कि इस तरह के दिशानिर्देश जारी किए जा सकें. और अगर न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी तो जनता का करोड़ों का धन यूं ही बर्बाद होता रहेगा.

श्रीधरन के मुताबिक बीते दशकों में पहले ही करोड़ों रुपये बर्बाद हो चुके हैं. याचिका में इन आंकड़ों का जिक्र किया गया है. उन्होंने बताया, "सत्र के दौन संसद के हर मिनट पर आने वाला औसत खर्च 2.5 लाख है. हर घंटे यह खर्च करीब 1.5 करोड़ तक पहुंच जाता है. हर वह मिनट जो कानून और प्रशासन के काम पर नहीं खर्च हो रहा है, जनता के पैसे की बर्बादी है."

साल 1991 से 2014 के बीच संसद में 2,162 घंटे और 51 मिनट सांसदों द्वारा खड़े होकर किये गए हंगामे के कारण बर्बाद हुए. लोक सभा के 15वें सत्र का 40 फीसदी हिस्सा ऐसे ही हंगामों में बर्बाद हुआ. 21 जुलाई से 13 अगस्त का मानसूस सत्र भी खटाई में पड़ा. श्रीधरन के मुताबिक 15वीं लोक सभा का सत्र पिछले 50 सालों में सबसे बर्बाद सत्र था. उन्होंने कहा, "लोक सभा ने अपने निर्धारित समय में से 61 फीसदी और राज्य सभा ने 66 फीसदी ही काम किया."

जनहित याचिका में जो अहम बात उठाई गई है वह यह, "संसद या एसेम्बली में सदस्य सिर्फ अपना काम करने के लिए जमा होते हैं. ऐसे में, चाहे कोई भी कारण क्यों ना हो, किसी भी सदस्य को यह अधिकार नहीं है कि वह सत्र को किसी भी बहाने से रोके या बाधा डाले."

इसमें ब्रिटेन और अमेरिका के उदाहरण देते हुए कहा गया है कि बाधा डालकर संसद के सत्र को रोकना स्वीकार्य नहीं है. बल्कि अमेरिका में तो इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. याचिका दायर करने वाले गैरसरकारी संगठन के सलाहकार बोर्ड की लिस्ट में रतन टाटा, एमएन वेंकटचलैया, एन विट्ठल और विभा पारथासार्थी जैसे सदस्य शामिल हैं.

एसएफ/ओएसजे

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