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जनमत संग्रह में बर्लुस्कोनी की करारी हार

१४ जून २०११

इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी को करारा झटका लगा है. देश में हुए जनमत संग्रह में उनकी शर्मनाक हार हुई है. परमाणु ऊर्जा और प्रधानमंत्री को कानूनी सुरक्षा देने वाले एक कानून पर देश में जनमत संग्रह हुआ.

तस्वीर: dapd

एक महीने के भीतर बर्लुस्कोनी के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है. हाल ही में मिलान और नेपोली के मेयर पद के लिए हुए चुनावों में उनकी पीपल ऑफ फ्रीडम पार्टी हार गई थी. सोमवार को जनमत संग्रह के नतीजे आने के बाद तो बर्लुस्कोनी के समर्थकों ने भी कहा कि किसी बड़े बदलाव की फौरी तौर पर जरूरत है.

तस्वीर: dapd

बड़ी तादाद में हुई वोटिंग

मतदान में लगभग 56 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया जो कमोबेश एक बड़ी तादाद है. इस बारे में बर्लुस्कोनी ने कहा, "लोगों का बड़ी तादाद में वोट डालने आना यह दिखाता है कि लोग हमारे भविष्य के बारे में फैसलों के हिस्सेदार बनना चाहते हैं और उनकी इच्छा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता."

लोगों का इतनी बड़ी संख्या में वोट देना इसलिए अहम है क्योंकि जनमत संग्रह को तभी वैध माना जाएगा जब उसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग हिस्सा लें.

इस मतदान में चार सवालों पर लोगों की राय पूछी गई. पहला सवाल देश में परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को लेकर था. इसके बाद बर्लुस्कोनी को कानूनी सुरक्षा देने की बात थी. दो सवाल पानी के निजीकरण से जुड़े थे.

सोमवार देर शाम आए आंकड़ों के मुताबिक 90 फीसदी लोगों ने सरकार के खिलाफ मतदान किया है. इस बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, "इटली के लोगों की इन मुद्दों पर राय स्पष्ट है. अब सरकार और संसद को इसी के अनुकूल काम करना चाहिए."

तस्वीर: dapd

परमाणु ऊर्जा का अंत

इस जनतम संग्रह से इटली के लोगों की परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को लेकर झिझक का भी पता चला है. सरकार देश में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू करना चाहती थी लेकिन लोगों ने इसे नकार दिया है. इसका अर्थ है कि अब दशकों तक देश में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू होना मुश्किल होगा.

नतीजे आने के बाद लोगों ने रोम की सड़कों पर निकल कर अपनी खुशी जाहिर की. खुशी में झूमतीं 25 साल की मार्गरीटा सिना ने कहा, "इटली के लोग आखिरकार जाग गए हैं और उन्होंने अपने भाग्य को अपने हाथ में ले लिया है. यह विशाल है. इटलीवासी ज्यादा जिम्मेदार हो गए हैं."

16 साल की लॉरा ने कहा, "बर्लुस्कोनी के अंत की शुरुआत है. यह पक्के तौर पर बर्लुस्कोनी-वाद का अंत है."

सरकार पर असर

इस जनमत संग्रह में प्रधानमंत्री ने वोट नहीं डाला था. सरकार ने लोगों को मतदान न करने के लिए प्रोत्साहित किया था. लेकिन करारी हार के बाद अब सरकार नुकसान की भरपाई करने में जुटी नजर आ रही है. रक्षा मंत्री इग्नात्सियो ला रूशा ने कहा कि सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं होगा.

लेकिन इसका असर सत्ताधारी गठबंधन पर जरूर पड़ेगा क्योंकि सहयोगी दल नॉर्दर्न लीग का गठबंधन से तनाव जाहिर हो रहा है. पार्टी के मंत्री रोबेर्तो कालदेरोली ने कहा, "हमें दो हफ्ते पहले हुए चुनावों में मुंह पर थप्पड़ पड़ा था. अब जनमत संग्रह में एक और थप्पड़ पड़ा है. मैं नहीं चाहता कि गाल पर थप्पड़ खाना हमारी आदत बन जाए."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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