जब टैटू से मन ऊब जाए
१ मार्च २०१३सू 17 साल की थी जब उसने पहली बार टैटू बनवाया. उस वक्त उसे अपनी बांह पर एक दस सेंटीमीटर लम्बा टैटू बनवाने के लिए लिखित में अपने माता पिता की अनुमति ले जानी पड़ी थी. आज सू की उम्र 29 साल है. 12 साल में अब वह अपने टैटू से ऊब चुकी है और हमेशा के लिए इस से छुटकारा पाना चाहती है, "मैं तो कहूंगी कि अब यह मुझपर जंचता ही नहीं है. मैंने इसे बनवाया इसका मुझे कोई पछतावा नहीं है, लेकिन अब जब मैं इसे हटवा रही हूं, तो भी मुझे कोई गम नहीं."
त्वचा को नुकसान
ऐसा अनुमान है कि जर्मनी में करीब सवा करोड़ लोगों ने टैटू बनवाया हुआ है. इनमें से कई तो ऐसे हैं जिनके शरीर पर एक से ज्यादा टैटू हैं. एक अच्छे टैटू के लिए जरूरत है एक अच्छे टैटू कलाकार की और बेहतरीन रंगों की. 2009 तक जर्मनी में इन रंगों के इस्तेमाल को ले कर कोई नियम नहीं थे. कई बार तो लोग उन रंगों का भी इस्तेमाल कर लेते थे जिन्हें कार पेंट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अब नियम इसकी अनुमति नहीं देते, लेकिन इनका कितना पालन किया जाता है यह कहना मुश्किल है.
जर्मनी भर में कम से कम 7,000 टैटू स्टूडियो हैं. बॉन में स्थित त्वचा रोग विशेषज्ञ मारीना शेलेर का कहना है कि आप जितने भी अच्छे जानकार से टैटू करवाएं, लेकिन त्वचा को नुकसान तो पहुंचता ही है, "आखिरकार आप त्वचा को चोट तो पहुंचा ही रहे हैं. आप त्वचा के अंदर रंग घुसा रहे हैं."
पिछले कुछ सालों में टैटू हटवाने वालों की संख्या में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है. इनमें से अधिकतर महिलाएं हैं जिनकी उम्र 25 से 50 के बीच है. अधिकतर महिलाओं का कहना है कि इतने सालों में उनका व्यक्तित्व ही बदल जाता है और वे पुराने टैटू के साथ अच्छा महसूस नहीं करतीं. शेलेर बताती हैं, "सबसे ज्यादा तो ऐसे लोग आते हैं जिनके टैटू बुरे बने होते हैं, वे लोग अब भी टैटू करवाना पसंद करते हैं, लेकिन वक्त के साथ वह फीका पड़ चुका होता है या उसे ठीक से गोदा ही नहीं गया होता."
हटवाना और भी दर्दनाक
टैटू बनवाने में भले ही कुछ मिनट या घंटे लगें, लेकिन इसे हटवाने में खूब समय लगता है. शेलेर कहती हैं, "लोग बहुत बड़ी गलती करते हैं जब वे यह सोच बैठते हैं कि पांच सिटिंग लेंगे और टैटू गायब हो जाएगा." टैटू हटवाने के लिए आपको कम से कम पांच से सात बार तो डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. हर सिटिंग के बीच चार हफ्ते का वक्त भी होना जरूरी है. यानी कुल मिला कर यह कई महीनों का सिरदर्द है. एक बार डॉक्टर के पास जाने का खर्च 200 यूरो यानी करीब 14 हजार रुपये. जब तक लेजर पूरे टैटू को गायब कर सके, तब तक जेब से करीब लाख रुपये भी गायब हो चुके होते हैं.
साथ ही यह बहुत दर्दनाक भी होता है. इस कारण कई लोग तो ट्रीटमेंट बीच में ही छोड़ देते हैं. टैटू हटवा चुके कुछ लोगों का तो कहना है कि यह टैटू करवाने से कई गुना ज्यादा दर्दनाक होता है. लेजर किरणों के कारण त्वचा बहुत संवेदनशील हो जाती है और दाद, खाज, खुजली का डर भी रहता है.
और ऐसा भी नहीं कि हर तरह का टैटू हट सके. शेलेर बताती हैं कि साधारण काले टैटू हटाना सबसे आसान होता है, लेकिन रंग बिरंगे टैटू बहुत दिक्कत देते हैं, "पीला तो बिलकुल भी नहीं हटता, नीले और हरे रंग हटाने में भी काफी मुश्किल होती है." इनके अलावा यूवी या ब्लैकलाइट टैटू का भी चलन बढ़ रहा है. ये ऐसे टैटू हैं जो दिन की रोशनी में तो ठीक से दिखते भी नहीं, पर रात में या फिर डिस्को की रोशनी में यह चमकते हैं. इनके लिए खास तरह के रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, "कोई भी लेजर इन रंगों को हटा नहीं सकता. इसके लिए ऑपरेशन ही एक रास्ता है." कई बार तो त्वचा का ट्रांसप्लांट करना ही एकमात्र उपाय बचता है.
सू का टैटू साधारण काली स्याही से बना है, इसलिए उसे इतनी चिंता नहीं है. वह तो यह भी सोच चुकी है कि जो थोड़ा बहुत निशान बाकी रह जाएगा उसका वह क्या करेगी, "मैंने सोचा है कि एक सूरज बनवाउंगी, ड्रैगन का जो सांप जैसा हिस्सा है, वह सूरज की किरणों में तब्दील हो जाएगा."
रिपोर्ट: गुडरुन हाइजे/आईबी
संपादन: आभा मोंढे