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जब डिर्क नोवित्स्की रो पड़े

१३ जून २०११

शुरुआत कोई खास नहीं थी, लेकिन अंतिम क्वार्टर में अपने कुल 21 में से 10 अंक हासिल करते हुए मायामी हीट को 105-95 से हराकर जर्मनी के डिर्क नोवित्सकी ने अपनी टीम डलास मावेरिक को अमेरिकी एनबीए ट्रॉफी दिलाई.

Image #: 14470688 Dirk Nowitzki of the Mavericks holds the championship trophy after defeating the Heat during Game 6 of the NBA Finals at the AmericanAirlines Arena in Miami, Florida, Sunday, June 12, 2011. The Dallas Mavericks defeated the Miami Heat, 105-95. (Al Diaz/Miami Herald/MCT) Miami Herald/ MCT /LANDOV
ट्रॉफी के साथ डिर्क नोवित्स्कीतस्वीर: AP

"दुनिया की बेहतरीन टीम में होने के अहसास का बखान मुमकिन नहीं है" - फाइनल में जीत के बाद डिर्क नोवित्स्की का कहना था. वह पहले जर्मन बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं, जो एनबीए ट्रॉफी जीतने वाली टीम में रहे. 13 साल से वह एनबीए ट्रॉफी में खेल रहे हैं और अब ट्रॉफी के सबसे महंगे खिलाड़ी बन चुके हैं. 2006 में वह फाइनल तक पहुंचने के बाद भी सफल नहीं हो पाए थे. इस बार के फाइनल के बाद उन्होंने कहा कि आधे समय तक उनका खेल सचमुच लचर रहा, लेकिन फिर भी वह दो अंकों से आगे रहे. और आखिरी क्वार्टर में उनके प्रदर्शन के बल पर डलास मावेरिक ने भारी जीत हासिल की.

डिर्क नोवित्स्की ने माना कि खेल खत्म होने के बाद वह केबिन में कुछ मिनटों तक अकेले रहे, और रोते रहे. फिर ट्रॉफी लेने के लिए वह बाहर आए. इससे पहले ही उन्हें फाइनल का सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी घोषित किया जा चुका था.

लंबे समय से डिर्क नोवित्स्की को एनबीए ट्रॉफी के चोटी के खिलाड़ियों में गिना जाता था, लेकिन अन्य अनेक मशहूर खिलाड़ियों की तरह वह भी अब तक अपनी टीम के साथ ट्रॉफी जीतने में कामयाब नहीं रहे. राष्ट्रीय टीम के साथ वह 2002 में विश्वचैंपियनशिप में कांसे व 2005 में यूरोपीय चैंपियनशिप में चांदी के पदक जीत चुके थे. 2006 में एनबीए ट्रॉफी लगभग पहुंच के अंदर आ चुकी थी. लेकिन उस बार भी मायामी हीट के खिलाफ 2-0 से आगे रहने के बाद भी वे आखिरकार 2-4 से हार गए.

तस्वीर: AP

ऐसी बात नहीं कि उन्हें हमेशा कामयाबी ही मिलती रही. 2009 में उनकी टीम डलास मावेरिक पहले ही दौर में लड़खड़ा गई, उनकी गर्लफ्रेंड पर क्रिस्टल टेलर को जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन्होंने खुद भी माना कि उनके व्यक्तिगत जीवन में कुछ समस्याएं हैं. बहरहाल, इस दौर से वह अब उबर चुके हैं.

1998 में अमेरिका जाने से पहले जर्मन लीग में खेलने की उनकी योग्यता पर भी सवालिया निशान लगाया जा रहा था. आज सिर्फ जर्मनी में ही नहीं, बास्केटबॉल की पूरी दुनिया मान रही है कि वह इस खेल के सर्वोत्तम खिलाड़ियों में से एक हैं. उनका वही दर्जा है जो मोटर रेस में मिषाएल शूमाखर या क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को मिला हुआ है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ए कुमार

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