डॉनल्ड ट्रंप रोजाना बहुत सारे ट्वीट करते रहते हैं लेकिन उनके कई ट्वीट तो वास्तविकता से कोई लेना-देना ही नहीं होता है. जैसे 2018 में किया गया यह ट्वीट.
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डॉनल्ड ट्रंप बार-बार लगातार फेक न्यूज के बारे में शिकायत करते हैं. लेकिन जब खुद फेक न्यूज फैलाने की बात आती है तो वे इस काम में उस्ताद हैं. वे ट्विटर का बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और फेक न्यूज संवाद के तरीके और उनकी बातचीत की नियमित शब्दावली का एक हिस्सा बन गई है.
2018 में उन्होंने एक ट्वीट किया. इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि ओबामा के राष्ट्रपति रहते समय गूगल उनके स्टेट ऑफ द यूनियन के भाषणों को अपने होमपेज पर दिखाता था. लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद गूगल ने ऐसा करना बंद कर दिया है. लेकिन यह दावा गलत निकला.
क्या आप जानते हैं कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज कैसे फैलती है? यह कैसे लोगों को प्रभावित करती है? कैसे यह मीडिया के पुराने माध्यमों के इतर दूसरे देशों तक पहुंच जाती है? और कैसे इसे ठीक किया जा सकता है?
खेल के दौरान किए गए प्रसिद्ध विरोध
अमेरिकी एथलिट ग्वेन बेरी और रेस इमबोडेन ने पैन अमेरिकी खेलों में सार्वजनिक मंच पर विरोध के जरिए देश के सामाजिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है. एक नजर खेलों के दौरान किए गए प्रमुख राजनीतिक विरोध पर.
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सफरजेट एमिली डेविसन
खेल के दौरान विरोध का एक मामला वर्ष 1913 में सामने आया था, जब एमिली डेविसन के तीखे विरोध की वजह से सफरजेट आंदोलन मुख्यधारा में आया. एपसॉम में डर्बी घोड़े की दौड़ के दिन डेविसन दौड़ के रास्ते में आ गए और राजा के घोड़े एनमर से टकरा गए. उन्होंने ऐसा ब्रिटेन में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलाने के लिए किया था. इस घटना के पांच साल बाद आखिरकार महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिल गया.
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मुहम्मद अली ने सेना में भर्ती होने से किया इनकार
मोहम्मद अली ने 1967 में वियतनाम युद्ध में अमेरिका के लिए लड़ने से इंकार कर दिया था. एक प्रतिष्ठित मुक्केबाज अली का यह फैसला इस्लामिक मान्यताओं और युद्ध विरोध के आधार पर था. इसके बाद अली को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी उपाधि छिन ली गई और मुक्केबाजी का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया. 1971 में उनको दी गई सजा समाप्त कर दी गई. इस दौरान वे तीन साल तक रिंग से बाहर रहे.
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ब्लैक पॉवर सैल्यूट
वर्ष 1968 में खेल के दौरान एक ऐसा प्रदर्शन हुआ, जिसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई. इस समय मेक्सिको में आयोजित ओलंपिक में टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने पुरुषों की 200 मीटर स्प्रिंट के फाइनल के बाद ब्लैक पॉवर सैल्यूट किया था. दोनों एथलीटों ने अपने सिर झुकाए और काले दस्ताने पहन मुट्ठी बांधते हुए हाथ उठाया जबकि इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रगान बज रहा था. इस घटना से लाखों अमेरिकी गुस्सा हो गए थे.
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अब्दुल-रऊफ ने राष्ट्रगान का विरोध किया
अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी महमूद अब्दुल रऊफ ने 1996 में खेलों से पहले राष्ट्रगान के लिए खड़े होने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि अमेरिकी ध्वज दमन का प्रतीक है और खड़े रहना उनके इस्लामी मान्यताओं के विरुद्ध होगा. इसके बाद एनबीए ने उन्हें निलंबित कर दिया था और प्रति खेल (जिसमें वे शामिल नहीं हुए) 31,000 डॉलर से अधिक का जुर्माना लगाया. हालांकि लीग के साथ समझौता होने के बाद वह लौट आए थे.
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कैथी फ्रीमैन ने दो झंडे लेकर मनाया जश्न
1994 के राष्ट्रमंडल खेलों में कैथी फ्रीमैनने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में अपनी जीत का जश्न ऑस्ट्रेलियाई और आदिवासी झंडे दोनों को साथ लेकर मनाया. ऐसा कर उन्होंने जीत के दौरान अपनी स्वदेशी विरासत का भी जश्न मनाया. इसके बाद खेल के आयोजकों ने उन्हें फटकार लगाई, लेकिन फ्रीमैन ने 2000 में सिडनी में अपने घरेलू ओलंपिक में फिर से दोनों झंडे के साथ स्वर्ण पदक जीतने का जश्न मनाया.
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बोटेंग ने नस्लवादी नारे का किया विरोध
जर्मन में जन्मे घाना के फुटबॉलर केविन-प्रिंस बोटेंग ने 2013 में इटली के फोर्थ-टीयर टीम प्रो पैट्रिया के खिलाफ हो रहे मैच के दौरान मैदान में उतरकर नस्लवादी नारे का विरोध किया. प्रो पैट्रिया समर्थकों के एक वर्ग ने तत्कालीन एसी मिलान मिडफील्डर को निशाना बनाते हुए नारेबाजी की थी, जिसके बाद खेल को 26 मिनट के लिए बंद कर दिया गया था. मिडफील्डर ने बॉल से भीड़ पर निशाना साध कर विरोध जताया था.
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मैं सांस नहीं ले सकता
ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन अमेरिका के हाल के वर्षों में विभिन्न विरोधों और अभियानों में सबसे आगे रहा है. इनमें से एक विरोध 2014 का है, जब लेब्रोन जेम्स और दूसरे एनबीए खिलाड़ियों केरी इरविंग, जेरेट जैक और केविन गार्नेट ने "मैं सांस नहीं ले सकता" लिखी शर्ट पहन रखी थी. ये शब्द एरिक गार्नर के संदर्भ में थे. निहत्थे काले एरिक गार्नर की मौत पुलिस के गला दबाने की वजह से हो गई थी.
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इथियोपियाई शरण का विरोध
ओलंपिक रजत पदक विजेता फेइसा लिलेसा ने 2016 में रियो डी जनेरियो में ओलंपिक के लिए खुद का नाम बनाया , लेकिन मैराथन में उनका यह प्रदर्शन जरूरी नहीं था. धावक ने ओरोमो कार्यकर्ताओं (इथियोपियाई शरण का विरोध कर रहे) के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने सिर के ऊपर अपने हाथों को एक दूसरे के ऊपर रखा.
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कैपरनिक ने घुटने पर बैठ जताया विरोध
अमेरिकी फुटबॉलर कोलिन कैपरनिक 2016 में अमेरिकी राष्ट्रगान के दौरान घुटने पर बैठ गए थे. जिसके बाद नस्लीय असमानता और बंदूक हिंसा के विरोध में #TakeAKnee अभियान शुरू हो गया जो अब मशहूर है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने कैपरनिक और बढ़ते आंदोलन की आलोचना की, जिसके कारण खिलाड़ियों और कई अमेरिकी नागरिकों के में गुस्सा बढ़ गया.
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हमें बदलाव का आह्वान करना चाहिए
एथलीट ग्वेन बेरी और रेस इमबोडेन ने अमेरिका के सामाजिक मुद्दों पर हाल ही अपना विरोध दर्ज किया है. दोनों ने पेरू में पैन अमेरिकी खेलों में पदक लेने वाले मंच पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प का विरोध किया था. रेस इमबोडेन ने पूर्व एनएफएल क्वार्टरबैक कॉलिन कैपरनिक की तरह टीम फॉइल इवेंट में अमेरिका को स्वर्ण मिलने पर घुटना टेककर जश्न मनाया. (मिशेल दा सिल्वा/योशुआ स्टेन)
जर्मनी के कोलोन शहर में काम कर रही एक कंपनी यूनीसेप्टर, मीडिया एनालिसिस की विशेषज्ञ है. कंपनी ने इसका विश्लेषण किया कि ट्रंप का गूगल वाला ट्वीट कैसे दुनिया भर में फैला. कंपनी के शोध प्रमुख वोल्फ डीटर रूल इस बात को लेकर बहुत उत्साहित हैं क्योंकि यह पहली बार है जब कोई राष्ट्रपति एक नियोजित तरीके से झूठी या भ्रामक सूचनाएं फैला रहा है. ट्रंप इसमें कितने सफल हैं और वे ऐसा क्यों करते हैं?
मीडिया एनालिस्ट वोल्फ डीटर रूल कहते हैं कि ट्रंप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपने झूठों के पकड़े जाने की चिंता नहीं है. रूल के अनुसार, "उनका असली लक्ष्य अपने समर्थकों तक बात पहुंचाना है जो उन पर भरोसा करते हैं." ट्रंप अपने समर्थकों की तादाद को और बढ़ाना चाहते हैं, जो उनसे किसी बात पर थोड़ा भी सहमत है उन्हें वे अपने समर्थकों में शामिल करना चाहते हैं. वे मीडिया के समांतर एक और मीडिया माध्यम खड़ा कर रहे हैं.
ट्रंप के समर्थकों को देखकर पता चलता है कि उनकी एक बड़ी ऑडियंस है. गूगल पर आरोप लगाने वाला उनका वीडियो करीब 47 लाख बार देखा गया. इसे 40 हजार से ज्यादा रिट्वीट और 1 लाख 8 हजार से ज्यादा लाइक्स मिले. वोल्फ डीटर रूल इस ट्वीट के बारे में कहते हैं, "फेक न्यूज तेजी से फैलती है और इसे ट्रंप के समर्थकों द्वारा तेजी से फैलाया जाता है." ऐसी फेक न्यूज की सच्चाई बताने वाला पहला मीडिया रिएक्शन अकसर जल्दी आ जाता है. लेकिन इस मामले में करीब डेढ़ घंटे बाद ऐसा हुआ.
जानिए ग्रीनलैंड के बारे में, जिसे खरीदना चाहते हैं ट्रंप
ग्रीनलैंड का ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है.आबादी काफी कम है. डेनमार्क और ग्रीनलैंड हमेशा से कहते रहे हैं कि यह क्षेत्र बिक्री का नहीं है. बावजूद इसके अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसे खरीदना चाहते हैं.
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कई सारे रिकॉर्ड
ग्रीनलैंड के पास कई वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह पृथ्वी पर सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र है. अंटार्कटिका के बाद सिर्फ ग्रीनलैंड ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमेशा बर्फ की चादर बिछी रहती है. इसके 56,000 निवासियों में से अधिकांश इनुइट हैं. ये उन लोगों के वंशज हैं जो 13 वीं शताब्दी में कनाडा से यहां आए थे.
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अपना शासन
ग्रीनलैंड को 1979 में डेनमार्क ने स्व-शासन का अधिकार दिया था. 2008 में ग्रीनलैंडर्स ने एक ऐसे अधिनियम के पक्ष में मतदान किया जिसने उनकी सरकार को और भी अधिक शक्ति दी. डेनिश क्षेत्र होने से पहले, ग्रीनलैंड नॉर्वे के अधीन रहा है. 1499 में कुछ समय के लिए पुर्तगालियों ने भी इस पर नियंत्रण का दावा किया.
तस्वीर: Reuters/L. Jackson
संता का मेलबॉक्स
राजधानी नुक में ग्रीनलैंड की एक तिहाई आबादी रहती है. तस्वीर में आपको 'संता का मेलबॉक्स' दिख रहा है. संत निकोलस के नाम से हजारों पत्र हर साल क्रिसमस के आसपास यहां पहुंचते थे. कुछ कार्यकर्ता बच्चों की चिट्ठियों का हाथ से लिखे पत्रों के जरिए जवाब भी देते थे. हालांकि 2018 में 'मेलबॉक्स' को बंद कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/Chromorange/T. Wenning
पिघलती बर्फ
ग्रीनलैंड के लोगों ने ही सबसे पहली बार जलवायु परिवर्तन के असर को महसूस किया. समुद्र के बढ़ते जल स्तर के साथ साथ आर्कटिक की पिघतली बर्फ ने उन्हें जलवायु में बदलाव का अहसास कराया. हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने इस द्वीप पर एक बड़े पैमाने पर बर्फ पिघलने की घटना दर्ज की, जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी कि ऐसा 2070 तक नहीं होगा.
तस्वीर: Getty Images/M. Tama
कस्तूरी बैल के बारे में आगाह
ग्रीनलैंड में एक संकेत पर्यटकों को कस्तूरी बैल के बारे में आगाह करता है. ये तीव्र गंध के लिए प्रसिद्ध हैं. वे सिर्फ ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और अलास्का में पाए जाते हैं. सदियों से अंधाधुंध शिकार की वजह से इनकी आबादी कम हो गई थी लेकिन अब शिकार पर रोक लगा दी गई है. इस वजह से ये फिर से नजर आने लगे हैं.
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प्रत्येक साल मारी जाती है हजारों सील मछली
ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मछली उद्योग पर निर्भर है. मछली पकड़ने का एक विवादास्पद तरीका सील मछली का शिकार है, जिसकी इजाजत अभी भी है. बर्फ की चादर पर बैठी सीलों को गोलीमार इसका शिकार किया जाता है. वैश्विक स्तर पर इस बात को माना गया है कि हत्या की वजह से सील प्रजाति ही विलुप्त हो सकती है लेकिन देश के कुछ लोग अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से सील के शिकार पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Inuit Sila
वैकल्पिक परिवहन
ग्रीनलैंड के कुछ इलाकों में रोड नहीं हैं. बर्फ पर चलने वाली गाड़ियां काफी महंगी होती है. ऐसे में, ग्रामीण एक गांव से दूसरे गांव या समुंद्र तक जाने के लिए कुत्तों की गाड़ियां का इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: Henry Tenenbaum
ट्रंप ने जताई खरीदने में दिलचस्पी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को एक बार फिर से पुष्टि किया कि उनका प्रशासन डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने की सभी संभावनाओं को देख रहा है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से काफी दिलचस्प है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Kamm
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बजफीड के एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि 2017 में डॉनल्ड ट्रंप ने कोई भी स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण दिया ही नहीं था जैसा कि अकसर नए राष्ट्रपति देते हैं. उन्होंने पहला ऐसा भाषण 2018 में दिया था जिसका लिंक गूगल ने अपने होमपेज पर लगाया था. लेकिन इस ट्वीट को ट्रंप के ट्वीट जैसा समर्थन नहीं मिला. इस ट्वीट को बस तीन हजार के आसपास रिट्वीट मिले, झूठे ट्वीट से 12 गुना कम. मीडिया एनालिस्ट वोल्फ डीटर रूल कहते हैं कि यह एक सामान्य पैटर्न है. फेक न्यूज हमेशा सच्चाई से ज्यादा तेजी से फैलती है.
फेक न्यूज को फैलाने का काम अकसर मुख्यधारा की मीडिया भी करती है. ऐसा ही ट्रंप के ट्वीट के साथ हुआ. बहुत सी मीडिया कंपनियों ने इस मुद्दे को बिना सच्चाई जाने छापना शुरू कर दिया. पहले अमेरिका में और फिर पूरी दुनिया में इसे छापा गया. ट्रंप ने सिर्फ एक झूठ बोलकर कम से कम प्रयास किए और ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति के उड़न दस्ते 'एयर फोर्स वन' को दुनिया का सबसे मशहूर हवाई दस्ता माना जा सकता है. बीते 100 सालों में इसने एफडीआर के "डिक्सी क्लिपर" से लेकर आजकल के बोइंग 747 तक का सफर तय किया है. और जानिए यहां..
तस्वीर: Reuters/C. Barria
कहां से शुरू
'एयर फोर्स वन' किसी एक विमान का नाम नहीं बल्कि उस अमेरिकी विमान को मिला हुआ एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम है, जिसमें राष्ट्रपति यात्रा कर रहे हों. शुरुआत हुई 1910 में जब पहली बार राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने राइट फ्लायर में उड़ान भरी थी. वे विमान में बैठने वाले पहले राष्ट्रपति थे.
तस्वीर: Public domain
एफडीआर के "डिक्सी क्लिपर" से यूरोप
सन 1943 में रूजवेल्ट ने डिक्सी क्लिपर नाम के एक बोइंग 314 विमान में बैठ कर 5,500 मील की यात्रा की. कासाब्लांका कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचे रूजवेल्ट ने वहां विंस्टन चर्चिल और चार्ल्स दे गॉल से मिलकर दूसरे विश्व युद्ध के आगे की रणनीति पर चर्चा की.
तस्वीर: The Boeing Company
राष्ट्रपति का पहला आधिकारिक विमान
फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट (एफडीआर) के लिए 1945 में पहला खास विमान सी-54 स्काईमास्टर लिया गया. इसे ”सेक्रेड काउ” का पुकारनाम मिला और यह पहला प्रेसिडेंशियल एयरक्राफ्ट बना. इसमें रेडियो टेलीफोन, सोने की जगह और लिफ्ट भी थी, जिस पर एफडीआर और उनकी व्हीलचेयर को चढ़ाया जा सकता था.
तस्वीर: The Boeing Company
"दि इंडिपेंडेंस"
1947 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन 'सेक्रेड काउ' की जगह एक डगलस डीसी-6 लिफ्टमास्टर ले आए. इस विमान के सबसे आगे का हिस्सा अमेरिका के राष्ट्रीय चिह्न गरूण जैसा पेंट किया गया. यह एक ट्रांसपोर्ट प्लेन था, जिसकी रेंज थी 2,990 मील और इसमें सौ से अधिक यात्री सवार हो सकते थे.
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जेट युग में पहुंची यात्रा
1960 के दशक में जेट तकनीक के आ जाने से विश्व भर के नेताओं का एक दूसरे से मिलना काफी तेज हो गया. सन 1972 में रिचर्ड निक्सन विशेष एयर मिशन (सैम) 26000 से चीन की यात्रा पर जाने वाले पहले राष्ट्रपति बने. इस बोइंग 707 विमान में उनके साथ फर्स्ट लेडी जैकी केनेडी भी थीं.
तस्वीर: Byron E. Schumaker, White House Photo
विमान पर शपथ-ग्रहण
एयर फोर्स वन के इतिहास में 22 नवंबर, 1963 का दिन हमेशा के लिए अंकित है. उपराष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को सैम 26000 में सवार रहते हुए ही केनेडी की हत्या के कुछ घंटों के भीतर शपथ दिलाई गई. यही विमान डैलस गया और फिर केनेडी के पार्थिव शरीर को लेकर वापस वॉशिंगटन डीसी आया.
तस्वीर: Public domain
1972 - 1990: बोइंग 707 (सैम 27000)
1972 में सैम 27000 ने सैम 26000 की जगह ली. तब से 1990 तक इसमें निक्सन से लेकर सभी राष्ट्रपतियों ने यात्रा की. 1990 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने पहले बोइंग 747 को कमीशन किया. 2001 में रिटायर हुए सैम 27000 को कैलिफॉर्निया के सिमि वैली में प्रदर्शनी में रखा गया है.
तस्वीर: Imago/D. Delimont
'क्राइसिस कमांड सेंटर'
एयर फोर्स वन में सवार अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया में कहीं से भी अपने सभी जरूरी काम कर सकता है. इसी कारण इसका नाम 'फ्लाइंग ओवल ऑफिस' भी पड़ा. यहां राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश व्हाइट हाउस प्रेस सचिव ऐरी फ्लाइशर और महत्वपूर्ण सहयोगियों से 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद चर्चा करते हुए.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Colle
1990 से अब तक: बोइंग 747
करीब 30 सालों तक सेवा देने के बाद 707 को बोइंग 747 सीरीज के सैम 28000 और सैम 29000 विमानों से बदला गया. इन दोनों बोइंग विमानों में करीब 371 वर्ग मीटर जगह है, जिसमें राष्ट्रपति के रहने की जगह, ऑफिस, स्टाफ, प्रेस और क्रू के लिए भी पर्याप्त जगह होती है. ओबामा ने भी यही इस्तेमाल किया.
तस्वीर: White House/Pete Souza
कैसा है एयर फोर्स वन का भविष्य
अगला राष्ट्रपति विमान बोइंग 747-8 होने वाला है, जो विद्युतचुंबकीय पल्स से सुरक्षित होगा, हवा में उड़ान भरते भरते जिसमें ईंधन भरा जा सकेगा और एक बेहतर मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस होगा. इसकी रेंज राजधानी वॉशिंगटन डीसी से लेकर हांगकांग तक होगी. डॉनल्ड ट्रंप के एयर फोर्स वन की लंबाई 1943 वाले एफडीआर के "डिक्सी क्लिपर" से दोगुनी और रफ्तार तीन गुनी होगी. (बेन्यामिन बाथ्के/आरपी)