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जब ताज उछाले जाते हैं

१२ फ़रवरी २०११

मिस्र के लोगों ने 30 साल तक राज करते रहे होस्नी मुबारक से सत्ता छीन ली. एक चौक पर जमा हुए लोगों की ताकत के सामने अमेरिकी समर्थन से तीन दशक तक राज करने वाले मुबारक कमजोर पड़ गए. लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ है.

तस्वीर: AP

लोगों की ताकत ने बहुतों के ताज छीने हैं. और पिछले 10 साल का इतिहास तो ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है.

जनवरी 2000

इक्वाडोर में राष्ट्रपति जमील माहौद की आर्थिक नीतियों के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हुए. माहौद को पद छोड़ना पड़ा.

अक्तूबर 2000

पूर्व यूगोस्लाविया में ताकतवर सर्बियाई नेता स्लोबोदान मिलोसेविच को हटना पड़ा. चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद बेलग्रेड में हुए प्रदर्शनों ने उन्हें हटने पर मजबूर कर दिया. बाद में उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराधों के आरोपों में मुकदमा चला. फैसला आने से पहले ही उनकी मौत हो गई.

स्लोबोदान मिलोसेविचतस्वीर: Picture alliance/dpa

जनवरी 2001

फिलीपीन्स के राष्ट्रपति जोसेफ एस्तरादा को सेना के समर्थन से हुई क्रांति के बाद हटना पड़ा. उन्होंने छह साल के कार्यकाल में 30 महीने राज किया. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.

दिसंबर 2001

अर्जन्टीना में राष्ट्रपति फर्नान्डो डे ला रुआ को इस्तीफा देना पड़ा. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर क्रूर कार्रवाई की जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई. उसके बाद तो प्रदर्शनों का ऐसा ज्वार उठा कि रुआ को हेलीकॉप्टर से अपने महल से ही भागना पड़ा.

अक्तूबर 2003

बोलीविया के राष्ट्रपति गोन्जालो सांचेज डे लोजादा पर विदेशी तेल कंपनियों के साथ साठगांठ के आरोप लगे. उनके खिलाफ हुए प्रदर्शनों में 65 लोगों की जान गई. लेकिन आखिरकार उन्हें भी रुआ की तरह हेलीकॉप्टर में महल से भागना पड़ा. भागकर वह अमेरिका चले गए. उनके बाद सत्ता संभालने वाले उप राष्ट्रपति कार्लोस मेसा को भी जून 2005 में ऐसी ही विरोध प्रदर्शनों के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा.

नवंबर 2003

जॉर्जिया के राष्ट्रपति एदुआर्द शेवारदनाजे ने देश की राजनीति पर तीन दशक तक कब्जा जमाए रखा. लेकिन मिखाइल साकशविली के नेतृत्व में उठे विरोध ने उनकी सत्ता को उखाड़ फेंका. उस क्रांति को रोज रेवॉल्यूशन यानी गुलाबी क्रांति कहा जाता है.

मार्च 2005

किरगिस्तान में राष्ट्रपति असकर अकायेव की सत्ता को लोगों ने कुछ ही घंटों में बिखेर दिया था. हजारों लोग चुनाव में धांधलियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे और अकायेव को देश के बाहर खदेड़ दिया. आजकल वह रूस में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.

किरगिस्तान में 2010 में भी इतिहास दोहराया गया. अकायेव के बाद आए कुर्मानबेक बाकीयेव को कई दिनों के खूनी दंगों के बाद देश छोड़कर बेलारूस भागना पड़ा.

जनवरी 2011

मिस्र की क्रांति का जन्म ट्यूनिशिया से ही हुआ माना जाता है जहां लोगों ने 1987 से राज कर रहे जिने अल अबिदिने बेन अली को सत्ता छोड़नी पड़ी. जैसमीन क्रांति के नाम से मशहूर हुए विरोध प्रदर्शनों में 200 जानें तो गईं, लेकिन लोगों ने सत्ता हासिल कर ली.

रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार

संपादनः उभ

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