जमीन के नीचे है पेड़ों को जोड़ने वाला जादुई नेटवर्क
नताली मुलर
२२ जुलाई २०२२
हमारे पैरों के नीचे सूक्ष्म कवकों का एक विशाल नेटवर्क मौजूद है जिसे वूड वाइड वेब भी कहा जाता है. इसकी मदद से पेड़ अपने पोषक तत्वों और सूचनाओं को दूसरे पेड़ पौधों से बांटते हैं.
ज्यादातर पेड़ कवकों के इस नेटवर्क पर निर्भर हैंतस्वीर: M. Gann/McPHOTO/blickwinkel/picture alliance
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जमीन के नीचे अगर फफूंद का विशाल नेटवर्क काम ना करे तो पेड़ों के लिए जिंदा रहना संभव नहीं होगा. ये अतिसूक्ष्म फफूंद या कवक हमारी नजरों के सामने नहीं आते लेकिन इनके तंतु पूरी मिट्टी में किसी इंटरनेट के जाल की तरह फैले होते हैं और यह पेड़ पौधों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करते हैं ठीक वैसे ही जैसे इंटरनेट हमारे कंप्यूटरों को जोड़ता है.
वूड वाइड वेब
पेड़ पौधे इस तंत्र का इस्तेमाल पानी, नाइट्रोजन, कार्बन और दूसरे पोषक तत्वों के लेन देन में करते हैं, इसके साथ ही वो इसके जरिए किसी संभावित खतरे की चेतावनी पहले हासिल कर लेते हैं. वैज्ञानिक इस तंत्र को "वूड वाइड वेब" भी कहते हैं.
सूक्ष्म कवकों का नेटवर्क इन पेड़ों के आसपास करीब 40 करोड़ सालों से हैं. इकोलॉजिस्ट थॉमस क्राउथर के मुताबिक ये एक तरह से "जंगल के दिमाग" की तरह काम करते हैं जो पूरे इकोसिस्टम को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी उठाता है. क्राउथर का कहना है, "माइकोरिजाल कवक दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा पेड़ों के काम करते रहने के लिए बेहद जरूरी हैं. एक का काम दूसरे के बगैर नहीं चलेगा." क्राउथर वैज्ञानिकों की उस टीम में शामिल हैं जो वूड वाइड वेब का पहला वैश्विक नक्शा बनाने के काम में जुटा है.
मशरूम जमीन के ऊपर पैदा होते हैं लेकिन कवकों का जाल जमीन के भीतर बढ़ता हैतस्वीर: Hans Reinhard/Okapia/picture-alliance
यह नेटवर्क काम कैसे करता है?
पेड़ और पौधों के बीच एक सहजीवी रिश्ता होता है. इसमें माइकोरिजाल कवक उनके आसपास और जड़ों के अंदर शामिल होते हैं. पौधे अपने इन कवक सहजीवियों को कार्बन देते हैं और उसके बदले में उनसे फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व लेते हैं. कवकों को यह पोषक तत्व धरती से हासिल होता है.
सिर्फ इतना ही नहीं पेड़ पौधे जमीन के भीतर के इस विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल कर एक दूसरे से संपर्क करते हैं. इनकी मदद से वो सूचनाओं, पोषक तत्वों, मिठास और पानी नेटवर्क में शामिल उन पौधों तक पहुंचाते हैं जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत होती है.
क्राउथर का कहना है, "जो पेड़ पोषक तत्वों के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं उन्हें अकसर इस नेटवर्क का फायदा मिलता है क्योंकि कवक पोषक तत्वों को इन संघर्षरत पेड़ों में बांट देते हैं या फिर उन पेड़ों को जिन्हें कीड़ों ने भारी नुकसान पहुंचाया हो. यही संपर्क पूरे सिस्टम को चलाता है."
जब कोई अंकुर इस नेटवर्क में शामिल होता है तो उन्हें भी वयस्क पेड़ों से पोषक तत्वों और पानी की खुराक मिल सकती है. इससे उन्हें विकसित होने में और तनाव की स्थिति में खुद को सहनशील बनाने में मदद मिलती है. जिन पेड़ों की जीवनलीला खत्म हो रही होती है वो भी इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर अपने पोषक तत्वों को पड़ोसी पेड़ों तक या पौधों तक पहुंचा देते हैं.
कवक जमीन से पोषक तत्व जमा कर उन्हें पेड़ पौधों तक पहुंचाते हैंतस्वीर: Last Refuge/Mary Evans Picture Library/picture alliance
पेड़ का कोई पड़ोसी अगर हमले का शिकार होता है तो इसी नेटवर्क की मदद से उन्हें इस खतरे की चेतावनी मिल जाती है. कैटरपिलर या फिर इसी तरह के दूसरे कीड़ों के हमले की स्थिति में पेड़ अपनी सुरक्षा के लिए रक्षात्मक रसायन भी पहले से ही तैयार करने में जुट जाते हैं.
पेड़ की मौत के साथ कवक भी मर जाते हैं
माइकोरिजाल कवकों का नेटवर्क इकोसिस्टम की मदद करता है और जंगलों को ज्यादा लचीला बनाता है. ये बड़ी मात्रा में कार्बन को सोखते हैं. ये गर्मी को रोक कर रखने वाले कार्बन डाइ ऑक्साइड को जमीन के भीतर ही दबाये रखते हैं. हालांकि खेती के विस्तार, रासायनिक उर्वरकों के प्रदूषण और जंगलों की कटाई ने इन सूक्ष्मजीवों के नेटवर्क को खतरे में डाल दिया है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक करीब 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल पिछले तीन दशकों में खत्म हो चुका है. इतनी जमीन पर फ्रांस जैसे तीन देश बस जाएंगे. जब पेड़ों को काटा जाता है तो जमीन के भीतर कवक भी खत्म हो जाते हैं. रिसर्चरों ने देखा है कि पेड़ों की कटाई से जमीन में मौजूद कवकों का 95 फीसदी तक हिस्सा खत्म हो जाता है.
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान की वजह से भी लंबे समय तक कार्बन को बाध कर रखने वाले कवकों की जगह ऐसे कवक की किस्म आ रही है जो वातावरण में कार्बन छोड़ते हैं.
धरती पर जीवन को बनाये रखने में ये कवक करोड़ों सालों से मदद कर रहे हैं. हमारे पैरों के नीचे जो इनका विशाल नेटवर्क है उसे खत्म करने का मतलब उन जीवों को खतरे में डालना है जिनपर हमारा अस्तित्व निर्भर है.
पेड़ों से जुड़ी 11 अनोखी बातें
पेड़ वातावरण से कार्बन सोखते हैं और जंगली जीवों को घर देते हैं. ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं. पेड़ ना सिर्फ आपस में बातें करते हैं बल्कि हमला होने पर दूसरे पेड़ों को खतरे की चेतावनी भी देते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Goldmann
60 हजार प्रजातियां
येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि पृथ्वी पर लगभग 3 लाख करोड़ पेड़ मौजूद हैं. इसमें पेड़ों की करीब 60,000 प्रजातियां हैं. इनमें से आधी से ज्यादा प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ किसी एक देश में पाई जाती हैं. ब्राजील, कोलंबिया और इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा पेड़ों की प्रजातियां हैं. बुरी खबर यह है कि मानव सभ्यता की शुरुआत के वक्त जितने पेड़ मौजूद थे उनमें से 46 फीसदी लुप्त हो चुके हैं.
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पेड़ों का "प्रवासन"
पेड़ खुद को उखाड़ कर नहीं चल सकते लेकिन उनकी आबादी के केंद्र जलवायु परिवर्तन के दबाव में बदलते हैं. पूर्वी अमेरिका में 1980 से 2015 के बीच हुए एक रिसर्च में देखा गया कि पेड़ों की 86 प्रजातियां ज्यादा वर्षा वाले पश्चिमी इलाकों की तरफ बढ़ चलीं. इसी तरह कुछ पेड़ों की प्रजातियां बढ़ती गर्मी के दबाव में ध्रुवीय इलाकों की तरफ खिसक गईं. औसत रूप से इन प्रजातियों ने एक दशक में 16 किलोमीटर का सफर तय किया.
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शहरों को ठंडा रखते पेड़
पेड़ हमें सिर्फ छाया नहीं देते, ये अत्यधिक तापमान को घटाने में भी मदद करते हैं. सूरज के विकिरण को सोख कर यह पत्तियों के सहारे हवा में पानी छोड़ते हैं. अगर पेड़ ना हों तो शहरी इलाके गर्मियों में भट्टी बन जाएंगे. 2019 में हुई एक अमेरिकी स्टडी बताती है कि शहरों के अगर 40 फीसदी हिस्से में पेड़ों की छाया हो तो तापमान 5 फीसदी तक कम हो सकता है.
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प्रदूषकों को सोखते हैं पेड़
पेड़ वातावरण से सीओ 2 सोखते हैं. इस वजह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में इनकी भूमिका अहम हो जाती है. ये अपनी पत्तियों का इस्तेमाल हवा से पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड या सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को छानने के लिए भी कर सकते हैं. ब्रिटेन में हुई हाल की स्टडी बताती है पुराने पेड़ सूक्ष्म कणों को क्रमानुसार 79 फीसदी, 71 फीसद और 70 फीसदी तक घटा सकते हैं.
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इंसान का इलाज
पेड़ इंसानों का तनाव घटाते हैं और हमें खुश और तंदुरुस्त रहने में मदद करते हैं. कई रिसर्चों ने यह दिखाया है कि प्रकृति में समय बिताने या यहां तक कि महज अपनी खिड़की से पेड़ों या फूलों की तरफ देखने भर से ब्लड प्रेशर कम होता है, प्रतिरक्षा तंत्र में मजबूती आती है, नींद अच्छी आती है और साथ ही तनाव और चिंता घटती है. इतना ही नहीं सर्जरी के बाद इंसान तेजी से चंगा होता है.
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बात करते हैं पेड़ पौधे
जंगल का अपना संचार तंत्र है जैसे कि जमीन के नीचे कोई इंटरनेट का जाल. यहीं से पेड़ को पोषक तत्व मिलता है और ये सूखे या बीमारी की चेतावनी देते हैं. पेड़ मिट्टी में मौजूद कवकों या फफूंद के जरिए आपस में संपर्क करते हैं इसे माइकोरिजाल नेटवर्क कहा जाता है. इकोलॉजिस्ट सूजैन सिमर्द की रिसर्च बताती है कि भोज का पेड़ या फिर फर का पेड़ इसी तंत्र के सहारे पानी, कार्बन और दूसरे पोषकों का लेन देने करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos
हवा से संकेत भेजना
अगर कोई भूखा शाकाहारी पेड़ों की पत्तियां खा जाए तो पेड़ भले ही ना भाग पाएं लेकिन वो अपने रसायनों को बाहर निकाल सकते हैं, यह एक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक है. इन्हें बाहर निकल कर ये समान प्रजाति के दूसरे पेड़ों को खतरे की चेतावनी देते हैं. पिछले रिसर्च बताते हैं कि दूसरे पेड़ इसके बाद शाकाहारियों को दूर रखने वाले टॉक्सिन का उत्पादन बढ़ा देते हैं. बबूल का पेड़ अपनी पत्तियों को कड़वा बना देता है.
तस्वीर: picture-alliance/Anka Agency International
मदद की पुकार
जब पेड़ों पर कीटों या परजीवियों का हमला होता है तो कुछ प्रजातियां हवा में ऐसे यौगिक छोड़ते हैं जो हमलावरों का शिकार करने वाले जीवों को सचेत कर दे. सेव, टमाटर, खीरा और कुछ दूसरे पौधे इनमें शामिल हैं. आमतौर पर ये शिकारी दूसरे कीट या पतंगे होते हैं. एक यूरोपीय रिसर्च ने तो दिखाया कि इल्लियों से ग्रसित पेड़ों ने ऐसे रसायन छोड़े जिससे कि झल्लियों को खाने वाले पक्षी इन पेड़ों की तरफ आकर्षित हुए.
पेड़ पृथ्वी पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में हैं. कोई पेड़ सैकड़ों यहां तक कि हजारों साल तक जिंदा सकता है. प्राचीन पेड़ों का ब्यौरा रखने वाली एक एजेंसी के मुताबिक सबसे पुराना ज्ञात पेड़ कैलिफोर्निया के सफेद पहाड़ों में एक देवदार का पेड़ है. इसका नाम मेथुसेलाह है और यह 4,850 साल पुराना है. लुटेरों से बचाने के लिए इसका सही पता नहीं बताया जाता है.
एक तस्वीर से दुनिया के सबसे विशाल पेड़ के साथ न्याय नहीं हो सकता. यह अब तक का सबसे विशाल ज्ञात जीवित पेड़ है. रेडवुड के इस पेड़ का नाम हाइपेरियन है और इसकी लंबाई 115.85 मीटर है. यह बिग बेन या फिर स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंचा है. इस विशाल पेड़ को 2006 में कैलिफोर्निया में खोजा गया था. माना जाता है कि यह कई सौ साल पुराना है.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/B. Cahn
रिकॉर्ड बनाने वाले दूसरे पेड़
कैलिफोर्निया एक और विशाल पेड़ जेनरल शर्मन का भी घर है. जब आयतन की बात होती है तो इसे दुनिया का सबसे विशाल पेड़ माना जाता है. इसकी ऊंचाई 83.8 मीटर और व्यास 7.7 मीटर है. दुनिया के सबसे चौड़े पेड़ का खिताब अरबोल डेल टुले को है. मोनटेमा साइप्रेस का यह पेड़ मेक्सिको के ओक्साका राज्य में है. इसका व्यास 11.6 मीटर है जबकि परिधि 42 मीटर.