जम्मू और कश्मीर राज्य को बांटने का बिल लोकसभा में पास
६ अगस्त २०१९संसद के उच्च सदन राज्य सभा से इसे पहले ही पारित किया जा चुका है. लोकसभा में इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई. शाम को वोटिंग के वक्त कई विपक्षी दलों ने वाकआउट किया. भारी बहुमत के कारण सत्ता पक्ष को इसे पास कराने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. इस दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान की वजह से गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी काफी गर्मागर्म बहस भी हुई.
अधीर रंजन चौधरी ने सवाल उठाया कि कश्मीर का मामला भारत का अंदरूनी मामला है, द्विपक्षीय है या फिर कुछ और? कांग्रेस नेता ने अमित शाह से इस पर जवाब देने को कहा. जवाब में अमित शाह ने कहा कि कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का काम कांग्रेस की सरकार ने किया था. उन्होंने इस मामले में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी नाम लिया.
जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा वापस लिए जाने की आलोचना पर अमित शाह ने कहा है, "राज्य में स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा और इसमें हमें 70 साल नहीं लगेंगे."
इस बीच पूरा जम्मू कश्मीर एक तरह से बंद पड़ा है. राज्य में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को बीती रात हिरासत में ले लिया गया. इससे पहले इन दोनों को नजरबंद रखा गया था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और गृह सचिव राजीव गौबा राज्य में मौजूद हैं और सुरक्षा की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
लोकसभा में भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार सुबह दो प्रस्ताव पेश किये. अमित शाह ने इस मौके पर कहा, "मैं यह साफ कर देना चाहता हूं और एक बार रिकॉर्ड में शामिल करा देना चाहता हूं कि जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न और अटूट हिस्सा है. इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं है और इस मामले में कोई कानूनी विवाद नहीं है." इसके साथ ही गृह मंत्री ने यह भी कहा, जब भी मैं जम्मू कश्मीर की बात कहता हूं तो इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चीन भी शामिल है."
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया. इसके जवाब में अमित शाह का कहना है कि यह एक राजनीतिक कदम नहीं है. अमित शाह ने संसद में कहा, "संसद को पूरा अधिकार है कि वह पूरे देश के लिए कानून बना सके. भारत के संविधान और जम्मू कश्मीर के संविधान दोनों ने इस बात की अनुमति दी है."
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी इस मुद्दे पर कल से खामोश थे. आज उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि सरकार के इस कदम का "राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा असर" होगा. राहुल गांधी का कहना है, "राष्ट्रीय एकता जम्मू कश्मीर को बांटने के एकतरफा फैसले से आगे नहीं बढ़ेगी ना ही हमारे संविधान का उल्लंघन करने और चुने हुए प्रतिनिधियों को जेल में डालने से. देश बनता है लोगों से जमीन के टुकड़ों से नहीं. सत्ता के इस दुरुपयोग का हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरे नतीजे होंगे."
लोकसभा में इस मुद्दे पर बहस के दौरान कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पहली बार हम किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाते देख रहे हैं. इससे कई और राज्यों को भी गलत संदेश गया है. मनीष तिवारी का कहना है, "भारत के संविधान में केवल अनुच्छेद 370 ही नहीं है बल्कि 371 ए से आई तक भी है. इसके तहत नगालैंड, असम, मणिपुर, आंध्रप्रदेश और सिक्किम को विशेष अधिकार दिए हैं. आज जब अनुच्छेद 370 को हटाया जा रहा है तो इन राज्यों को क्या संदेश गया है."
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के भीतर अंतर्विरोध नजर आया है. पार्टी के कई नेताओं ने सरकार के कदम का स्वागत किया है इनमें प्रमुख रूप से जनार्दन तिवारी का नाम लिया जा रहा है. राज्य सभा में कांग्रेस के नेता भुवनेश्वर कलिता ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में कांग्रेस पार्टी के रुख पर विरोध जताया है. पार्टी ने उनसे इस मामले में व्हिप जारी करने को कहा था. भुवनेश्वर कलिता का कहना है, "पार्टी आत्महत्या कर रही है मैं इसमें भागीदार नहीं बनूंगा." गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को अपना पक्ष साफ करने के लिए भी कहा.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले का सही लाभ वहां के लोगों को आगे मिलेगा. मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया, "संविधान की 'सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय' की मंशा को देश भर में लागू करने हेतु जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी धारा 370 व 35ए को हटाने की मांग काफी लम्बे समय से थी. अब बसपा उम्मीद करती है कि इस संबंध में केंद्र सरकार के फैसले का सही लाभ वहां के लोगों को आगे मिलेगा"
उन्होंने आगे लिखा, "इसी प्रकार, जम्मू-कश्मीर के लेह-लद्दाख को अलग से केंद्र शासित क्षेत्र घोषित किए जाने से खासकर वहां के बौद्घ समुदाय के लोगों की बहुत पुरानी मांग अब पूरी हुई है, बसपा जिसका स्वागत करती है. इससे पूरे देश में, विशेषकर बाबा साहेब डॉ़ भीमराव अम्बेडकर के बौद्ध अनुयायी काफी खुश हैं."
रिपोर्ट: निखिल रंजन(आईएएनएस)
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