पूंछ जिले के मेंढर में आतंकवादियों और सेना के बीच एक और मुठभेड़ में एक जवान और एक जेसीओ मारे गए हैं. बस चार दिनों पहले इसी जिले में एक और मुठभेड़ में सेना के पांच कर्मी मारे गए थे.
तस्वीर: Saqib Majeed/ZUMAPRESS/picture alliance
विज्ञापन
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं बढ़ गई हैं. बीते कुछ हफ्तों में ही हमलों में कई आम नागरिक और सेना के कर्मी मारे गए हैं. 11 अक्टूबर को ही पूंछ में ही एक मुठभेड़ में आतंकवादियों ने भारतीय सेना के चार जवानों और एक जेसीओ को मार गिराया था.
उसके बाद 12 अक्टूबर को सेना और आतंकवादियों के उसी समूह के बीच में एक बार फिर गोलीबारी हुई. उस दिन किसी की जान नहीं गई लेकिन 14 अक्टूबर को एक ताजा मुठभेड़ में आतंकवादियों ने एक जवान और एक जेसीओ को मार गिराया.
आतंक का गहराता साया
मीडिया में आई कुछ खबरों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेना को संदेह है कि इस मुठभेड़ के पीछे भी आतंकवादियों का वही समूह है जिसने 11 अक्टूबर वाली मुठभेड़ में सैनिकों को मारा था. मुठभेड़ 14 अक्टूबर की देर रात तक चलने की खबर थी.
श्रीनगर के एक स्कूल के बाहर पहरा देते सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Dar Yasin/AP Photo/picture alliance
इससे पहले सेना को जानकारी मिली थी कि मेंढर से सटे घने जंगलों में आतंकवादी छिपे हुए हैं, जिसके बाद सेना ने उनकी तलाश करने के लिए जंगलों में एक टुकड़ी भेजी थी. बताया जा रहा है कि इसी अभियान के दौरान जंगलों में छिपे आतंकवादियों ने सेना की टुकड़ी पर हमला कर दिया और फिर मुठभेड़ शुरू हो गई.
अब उस पूरे इलाके को सेना ने घेर लिया है और आम आवाजाही के लिए बंद कर दिया है. चूंकि यह इलाका राजौरी और शोपियां जिले के भी पास पड़ता है, जम्मू-पूंछ-राजौरी राज्यमार्ग को भी बंद कर दिया गया है.
हिंसा का नया दौर
इस इलाके में इस तरह की आतंकी गतिविधियां 17 साल बाद देखी जा रही हैं. नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों को छोड़ कर, राजौरी और पूंछ में लगभग एक दशक से तुलनात्मक रूप से शांति रही है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में इस इलाके में भी ये गतिविधियां बढ़ गई हैं.
श्रीनगर में एक बाजार में लोगों के सामान की तलाशीतस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance
सेना का मानना है कि अगस्त में ही आतंकवादियों का एक समूह सीमा पार कर इस इलाके में दाखिल हुआ था और इन हमलों के पीछे उसी समूह के सदस्य हैं. अगस्त की शुरुआत में ही राजौरी के खंडली इलाके में आतंकवादियों ने एक स्थानीय बीजेपी नेता के घर पर एक हथगोला फेंका था.
हमले में एक दो साल का बच्चा मारा गया था और कई लोग घायल हो गए थे. सितंबर में पुलिस और सेना ने पूंछ में ही तीन लोगों को पकड़ा था जिनके पास से पिस्तौलें, हथगोले और गोलियां बरामद हुई थीं.
कैसे बार बार बचता गया कश्मीर में हिंसा फैलाने वाला
मसूद अजहर - भारत की नजर में एक ऐसा आतंकवादी है जो कभी भारतीय जेल में बंद था. लेकिन करीब दो दशक पहले एक ऐसी घटना हुई कि वह अपने मंसूबे फैलाने के लिए आजाद हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कंधार हाईजैक की फिरौती
सन 1999 में इंडियन एयरलाइंस का काठमांडू से दिल्ली जा रहा विमान हाईजैक कर अपहरणकर्ता अफगानिस्तार के कंधार शहर ले गए. विमान में सवार यात्रियों की जिंदगी के बदले हाईजैकरों ने भारत सरकार से तीन कश्मीरी आतंकियों को आजाद करने की शर्त रखी. उन्हीं आतंकियों में मसूद अजहर भी शामिल था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जेईएम का गठन
मसूद अजहर ने आगे चलकर जैश ए मुहम्मद (जेईएम) नाम का आतंकी गुट बनाया. यह वही गुट है जिसने कश्मीर के पुलवामा में बीते तीन दशकों में हुए सबसे बड़े हमले की जिम्मेदारी ली है. इस आत्मघाती हमले में 40 से अधिक भारतीय सैनिक मारे गए. भारत का आरोप है कि अजहर पाकिस्तान में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
छद्म प्रयास
पाकिस्तान से चलने वाला जेईएम वहां सक्रिय ऐसे कई संगठनों में से एक है, जो कश्मीर में लड़ रहे हैं. खुद पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर जेईएम समेत ऐसे गुटों पर बैन है लेकिन नई दिल्ली का आरोप है कि पाकिस्तान छद्म तौर पर इनका इस्तेमाल भारत को अस्थिर करने के लिए करता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
कश्मीर में कैसे घुसा
रक्षा विश्लेषक अमित राणा बताते हैं कि अजहर का जन्म 1968 में पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के एक स्कूल टीचर के घर हुआ था. पाकिस्तान के आतंकी गुटों पर विस्तृत रिसर्चर करने वाले राणा बताते हैं कि अजहर ने एक पुर्तगाली पासपोर्ट लेकर भारतीय कश्मीर में प्रवेश किया था.
तस्वीर: AFP/R. Bakshi
भारत में गिरफ्तारी
उसे अंगारे बरसाने वाले अपने भाषणों के लिए जाना जाता है और एक समय वह कश्मीर में रहकर तमाम अलगाववादियों का एक नेटवर्क स्थापित कर हिंसा को बढ़ावा देने का काम कर रहा था. आतंकवाद के आरोप में उसे 1994 में गिरफ्तार कर लिया गया.
तस्वीर: AFP/H. Naqash
जेल से भागना
उसने दूसरे आतंकी कैदियों के साथ मिलकर जेल से भागने के लिए सुरंग खोदी थी. जब भागने का समय आया जो तथाकथित रूप से अजहर ने सबसे पहले निकलने की जिद की. लेकिन अपने भारी शरीर के कारण वह सुरंग में फंस गया और इसके बाद वह 1999 तक जेल में ही रहा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
संसद पर हमला
2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले का आरोप भी मसूद अजहर के संगठन पर ही है. इस हमले में आतंकियों ने 10 लोगों की जान ली थी. अजहर को नजरबंदी में रखा गया लेकिन सबूतों के अभाव में लाहौर ने उसे 2002 में आजाद कर दिया. भारत और यूएन इसके संगठन जेईएम को आतंकी गुट मानते हैं लेकिन अजहर को अब तक यूएन सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी करार नहीं दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. McConnico
पाकिस्तान और प्रतिबंधित गुट
पाकिस्तान ने हाल ही में जमात उद दावा और फलहे इंसानियत फाउंडेशन को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया है. जमात उद दावा को संयुक्त राष्ट्र लश्कर ए तैयबा से जुड़ा मानता है और इस पर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का आरोप है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/SS Mirza
अजहर जैसे और भी कई
लश्कर ए तैयबा पर पाकिस्तान ने 2002 में ही बैन लगा दिया था लेकिन माना जाता है कि इसी संगठन ने जमात उद दावा और फाउंडेशन के रूप में खुद को बदल लिया था. अमेरिका ने जमात के नेता हाफिज सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है. फिर भी वह पाकिस्तान में आजादी से जीता है. आरपी/ओएसजे (एएफपी)