जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी ने करीब 30 नेताओं के साथ नई पार्टी के गठन का एलान किया है.
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महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी में रह चुके और राज्य का वित्त मंत्री पद संभाल चुके अल्ताफ बुखारी ने नया राजनीति संगठन बनाने का एलान किया है. इस संगठन का नाम "जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी” (जेकेएपी) रखा गया है. इस पार्टी में राज्य और राष्ट्रीय स्तर के 30 अन्य नेता भी शामिल हैं. बुखारी ‘जेके अपनी पार्टी‘ के अध्यक्ष चुने गए हैं उनका कहना है कि पार्टी का एजेंडा जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करवाना है. पार्टी के एलान के बाद बुखारी ने पत्रकारों से कहा, "हम पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं क्योंकि यहां उम्मीदें और चुनौतियां बहुत अधिक हैं. मैं जम्मू और कश्मीर के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि मेरी इच्छाशक्ति मजबूत है.” हालांकि उन्होंने कहा कि राज्य में जल्द चुनाव को लेकर उन्हें कम उम्मीद नजर आती है. इस नई पार्टी में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, बीजेपी समेत अन्य दलों के नेता शामिल है.
जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेता फिलहाल हिरासत में हैं लेकिन राज्य में नई पार्टी के गठन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन कहती हैं, "कश्मीर में लोकप्रिय नेतृत्व को खत्म करके और कठपुतली नेताओं का आगे करना का इतिहास पुराना है और यह उसी श्रृंखला की एक कड़ी है. अनुच्छेद 370 के बाद नेताओं को हिरासत में ले लिया गया और यह एक तरह का दिखावटी हथकंडा है. क्योंकि राजनीति गतिविध बंद होने से बीजेपी की काफी आलोचना हुई. इसके लिए वह दुनिया को दिखाने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी कर रही है.”
बुखारी से जब पत्रकारों ने पार्टी के गठन के वक्त पर सवाल किया और पूछा कि कश्मीर के बड़े नेता हिरासत में हैं तो उन्होंने इस सवाल को टालते हुए कहा, "मैं इस तरह की बहस में नहीं पड़ना चाहता हूं.” जबकि जेकेएपी के एक अन्य नेता गुलाम हसन मीर ने कहा है, "हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की तैयारी कर रहे हैं." इसी पर अनुराधा कहती है, "ऐसे समय में जब कुछ भी कहने के लिए मामला दर्ज किया जाता है, गिरफ्तारी की जाती है और तो ऐसे में सरकार की सुविधा के बिना कोई भी दल अस्तित्व में नहीं आ सकता है.”
कश्मीर मुद्दे की पूरी रामकहानी
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
तस्वीर: picture-alliance
2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.
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कश्मीर में वामपंथी नेता यूसुफ तारिगामी ने अनुराधा के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के इशारे पर नई पार्टी की स्थापना की गई है हालांकि इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला है. वह कहते हैं, "इसमें केंद्र का समर्थन शामिल है. लेकिन जब सभी राजनीतिक नेता हिरासत में हैं, तो यह पार्टी या केंद्र सरकार क्या करना चाहती है? क्या इससे राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने में मदद मिलेगी? क्या यह पिछले कई महीनों से कश्मीर में राजनीतिक खालीपन भरने में मदद करेगा? मुझे लगता है कि ये उपाय बेकार हैं."
60 वर्षीय अल्ताफ बुखारी, सोपोर जिले के रहने वाले हैं, जिन्हें पीडीपी ने पिछले साल निकाल दिया था. जेकेएपी में अन्य प्रमुख नेता में पूर्व मंत्री गुलाम हसन मीर हैं, जो पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस में थे. केंद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 खत्म करते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री अब भी सख्त आरोपों के तहत हिरासत में रखे गए हैं.