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जयललिता की पेशकश कांग्रेस ने ठुकराई

१२ नवम्बर २०१०

तमिलनाडु में एआईएडीएमके महासचिव जयललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अनुरोध किया कि अगर वह ए राजा को हटा देते हैं तो डीएमके के समर्थन वापसी की स्थिति में वह सरकार की मदद करेंगी. लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं.

तस्वीर: AP

एआईएडीएमके नेता जयललिता कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के लिए तैयार नजर आ रही हैं लेकिन कांग्रेस फिलहाल उनकी पेशकश के प्रति गंभीर नहीं है. जयललिता के मुताबिक कांग्रेस टेलीकॉम मंत्री ए राजा के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचा रही है और अगर ऐसा जारी रहता है तो इससे पार्टी की विश्वसनीयता को झटका लगेगा और उसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.

तस्वीर: UNI

इसका इलाज भी जयललिता ने कांग्रेस को सुझा दिया. उन्होंने कहा कि 2जी स्पैक्ट्रम मामले में आरोप झेल रहे राजा को हटाने की हिम्मत कांग्रेस दिखा दे.

अगर डीएमके नाराजगी में समर्थन वापस लेती है तो वह सरकार को बचाने के लिए आगे आएंगी और 18 सांसदों का इंतजाम कर देंगी. एआईएडीएमके के 9 सांसद हैं और जयललिता के मुताबिक उनकी सोच से सहमति रखने वाले कई नेता कांग्रेस की मदद के लिए आगे आएंगे.

लेकिन कांग्रेस जयललिता की लुभावनी पेशकश पर विचार करने तक को तैयार नहीं दिखना चाहती. केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि फिलहाल तमिलनाडु में कोई जगह खाली नहीं है और पार्टी का डीएमके के साथ गठबंधन है.

कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी भी जयललिता के प्रस्ताव पर उत्साहित नजर नहीं आए और उन्होंने कहा कि यह जयललिता की भावनाएं हो सकती हैं लेकिन वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.

डीएमके नेता और टेलीकॉम मंत्री ए राजा पर 2जी स्पैक्ट्रम मामले में मनमाने तरीके से लाइसेंस बांटने का आरोप है और विपक्ष लगातार सरकार पर उनसे इस्तीफा लेने का दबाव बनाए हुए है. लेकिन कांग्रेस गठबंधन राजनीति की मजबूरियों का हवाला देकर अभी तक कार्रवाई से बच रही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उभ

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