जरदारी के अधिकार छीनने की तैयारी
२ अप्रैल २०१०सुधारों वाले इस विधेयक को पाकिस्तान में 18वां संशोधन विधेयक कहा जाता है जिसके संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाने की उम्मीद है. इसके बाद जरदारी नाम मात्र के राष्ट्राध्यक्ष रह जाएंगे.
इस विधेयक के पेश हो जाने के बाद सरकार और विपक्ष के बीच जारी टकराव के खत्म होने की उम्मीद है. वैसे दूसरी तरफ सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी यह दबाव बढ़ रहा है कि राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमों को फिर से खोला जाए.
इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप की दक्षिण एशिया निदेशक समीना अहमद कहती हैं, "मुझे नहीं लगता कि 18वें संशोधन पर हस्ताक्षर होने के बाद भी तल्ख राजनीतिक माहौल में कोई बदलाव आएगा. यह ढांचागत समस्या है." अनिश्चिता को देखते हुए वह कहती हैं कि सरकार की सभी शाखाएं अपना दायरा लगातार बढा रही हैं. लेकिन अगर 18वां संशोधन ठीक ठाक चलता है तो फिर अहम अधिकार संसद के पास होंगे.
प्रस्तावित संवैधानिक संशोधनों में राष्ट्रपति से कई अधिकार लेने की तैयारी है. इसमें राष्ट्रीय संसद को भंग करने, सेना प्रमुखों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के अधिकार भी शामिल हैं. विधेयक में आयोगों में जजों या सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी राष्ट्रपति से छिन सकता है.
इस विधेयक को संसद में दो तिहाई से भी ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद है क्योंकि संसदीय समिति ने इसका मसौदा तैयार किया है जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हैं. कानून बनने के बाद इस विधेयक कब से अमल होगा, इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़