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जरदारी पर कार्रवाई से ही बचेंगे गिलानी

९ फ़रवरी २०१२

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने अवमानना वाले मामले में बचने के लिए अदालत से गुहार लगाई है. गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई, जो शुक्रवार को भी जारी रहेगी. लेकिन गिलानी अगर राष्ट्रपति पर कार्रवाई करें, तभी बचेंगे.

तस्वीर: Reuters

इस मामले में प्रधानमंत्री गिलानी की याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अगुवाई में चर्चा हुई. करीब छह घंटे की अदालती कार्रवाई के दौरान भी यही बात सामने आई कि सरकार को राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ कदम उठाना ही होगा. इसके बाद मामले को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया.

अदालत के आदेश के बावजूद गिलानी की सरकार ने दो साल से राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ मामला शुरू करने के लिए स्विस अधिकारियों को चिट्ठी नहीं लिखी है. जरदारी पर स्विट्जरलैंड के बैंक खातों में गैरकानूनी ढंग से पैसे रखने का आरोप है. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति को ऐसे मामलों में माफी है और इस वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात को आधार बना कर प्रधानमंत्री गिलानी को अदालत की अवमानना का दोषी बता दिया है और उन पर 13 फरवरी से कानूनी कार्रवाई शुरू होगी.

गिलानी की गफलत

जानकारों का मानना है कि सियासत और अदालत के इस टकराव के बीच पाकिस्तान में जल्द चुनाव कराने पड़ सकते हैं. देश में अगला आम चुनाव 2013 में होना है.

जरदारी और उनकी पत्नी तथा पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर आरोप है कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने अपने पैसे स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे. आरोप है कि 1990 के दशक में दलाली में कमाए गए सवा करोड़ डॉलर इन बैंक खातों में जमा हैं. 2008 में जब जरदारी राष्ट्रपति बने, तो स्विट्जरलैंड ने इन मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया. उसका कहना है कि जरदारी जब तक राष्ट्राध्यक्ष हैं, तब तक इस मामले को नहीं खोला जा सकता है.

तस्वीर: AP

लेकिन पाकिस्तान के अंदर अदालत ने जरदारी और दूसरे राजनीतिज्ञों को 2007 में मुशर्रफ सरकार द्वारा दिए गए क्षमादान को 2009 में रद्द कर दिया. उस समय जरदारी राष्ट्रपति बन चुके थे और अदालत ने सरकार से कहा कि वह राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को फिर से शुरू करे. चीफ जस्टिस चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री गिलानी को यह कदम उठा लेना चाहिए था. अदालत ने इस काम के लिए धैर्य का परिचय दिया और लगभग सवा दो साल तक मामले पर जवाब तलब नहीं किया.

किसके हैं ये पैसे

प्रधानमंत्री गिलानी के वकील एहतेजाज अहसन का कहना है कि स्विस अधिकारियों ने मामला बंद कर दिया है और कोई तीसरी पार्टी नहीं है, जो इस पैसे पर दावा ठोंके. इस पर भड़कते हुए चीफ जस्टिस चौधरी ने कहा, "प्रधानमंत्री को किसी संस्था को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यह पैसा हमारी जेबों में नहीं आ रहा है. लेकिन यह राष्ट्र अपना पैसा वापस चाहता है."

गिलानी खुद भी 19 जनवरी को अदालत के सामने हाजिर हुए थे और उन्होंने इस बात की सफाई दी थी कि राष्ट्रपति के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की. हालांकि अदालत उनसे संतुष्ट नहीं दिखी. कानूनी जानकारों का कहना है कि अब गिलानी सिर्फ एक सूरत में अवमानना वाले केस से बच सकते हैं और इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति जरदारी पर कार्रवाई करनी ही होगी. इसके लिए उन्हें स्विस अधिकारियों को लिखना होगा. आसिफ अली जरदारी भ्रष्टाचार के मामलों में इस कदर बदनाम हैं कि उनका उपनाम ही "मिस्टर 10 परसेंट" रख दिया गया था. वह भ्रष्टाचार से लेकर हत्या तक के मामलों में 11 साल जेल की सजा काट चुके हैं.

हालांकि वह कभी भी दोषी नहीं करार दिए गए. इस वजह से उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर राजनीति से प्रेरित आरोप लगाए गए. अब कुछ सरकारी तबकों का आरोप है कि अदालत पाकिस्तान की सेना के साथ मिल कर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है. पाकिस्तान सरकार और सेना के बीच भी छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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