संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के एक वक्तव्य के जारी होने के रास्ते में अवरोध पैदा करने के जर्मनी और अमेरिका के प्रयास को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह वक्तव्य कराची में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करने का था.
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प्रस्ताव पारित तो हुआ लेकिन पहले जर्मनी और फिर अमेरिका के हस्तक्षेप की वजह से उसके पारित होने में काफी देरी हुई. मीडिया में आई खबरों के अनुसार प्रस्ताव में पाकिस्तान की सरकार और वहां के लोगों के प्रति संवेदना और एकजुटता व्यक्त करने के साथ साथ यह भी लिखा हुआ था कि परिषद के सदस्य आतंकवाद के इस तरह के कृत्यों के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित करते हैं और सभी देशों से अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार पाकिस्तान की सरकार के साथ सहयोग करने की अपील करते हैं.
माना जा रहा है कि चीन चाह रहा था कि वक्तव्य उस समय जारी हो जब पाकिस्तान की सरकार हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रही हो. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कह भी चुके हैं कि ये हमला भारत ने ही करवाया था और भारत की साजिश थी कि 26/11 मुंबई हमलों जैसा एक हमला कराए जिसमें आतंकवादी कई लोगों को बंधक भी बना सकें.
कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि वक्तव्य के पीछे चीन की मंशा यह भी हो सकती है कि आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोपों के बीच पाकिस्तान खुद को आतंकवाद के शिकार के रूप में प्रस्तुत कर पाए.
29 जून की इस तस्वीर में कराची में सादी वर्दी में एक पुलिस अफसर पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हुए आतंकवादी हमले के स्थल का निरीक्षण कर रहा है.तस्वीर: Reuters/A. Soomro
प्रस्तावित वक्तव्य का पहला मसौदा मंगलवार को चीन ने सदस्य देशों के देखने के लिए प्रस्तुत किया. इस तरह के प्रस्तावों की एक समयसीमा होती है और उसके खत्म होने तक अगर किसी सदस्य देश ने कोई आपत्ति नहीं की तो वो पारित माना जाता है.
इस प्रस्तावित मसौदे की समयसीमा के अंत होने से ठीक पहले जर्मनी ने अपनी सरकार से सलाह लेने का कारण देते हुए इसे लंबित कर दिया और समयसीमा अगले दिन तक बढ़ा दी गई.
अगले दिन जब नई समयसीमा के अंत का समय नजदीक आया तो इस बार अमेरिका ने प्रस्तावित मसौदे को लंबित कर दिया. अंत में, वक्तव्य बुधवार को ही जारी हो पाया. वक्तव्य में शब्द तो वही रहे जो चीन चाहता था, लेकिन इसके जारी होने का समय चीन की पसंद के अनुसार नहीं हो पाया.
जानकार इसे कूटनीतिक रणनीति के जरिए जर्मनी और अमेरिका का चीन को संदेश देने का प्रयास मान रहे हैं.
जानकारों के अनुसार, संभव है कि अमेरिका इसके जरिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके ओसामा बिन लादेन को 'शहीद' कहने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करना चाह रहा हो. कुछ लोगों को यह भी मानना है कि अमेरिका और जर्मनी, दोनों ने यह कदम भारत और चीन की सीमा पर चीन की सेना द्वारा उठाए गए कदमों के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उठाया.
हालांकि ऐसा अभी तक इनमें से किसी भी देश के द्वारा किसी भी आधिकारिक बयान में नहीं कहा गया है.
हांगकांग में क्या गुल खिला रहा है चीन का नया कानून
हांगकांग में चीन का नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के पहले ही दिन वहां पुलिस ने कम से कम 70 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार हुए सभी लोगों को जेल में लंबा समय बिताना पड़ सकता है.
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पहला दिन
विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हांगकांग में लागू हो चुका है. शहर की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने प्रेस वार्ता में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की प्रतियां जारी कीं. आलोचकों का कहना है कि इस तरह का कड़ा कानून चीन की मुख्य भूमि पर भी नहीं है.
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वर्षगांठ
एक जुलाई को हांगकांग को ब्रिटेन द्वारा चीन को सौंपे जाने की वर्षगांठ भी होती है. कैरी लैम ने अधिकारियों और अतिथियों के साथ हांगकांग स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन की स्थापना की 23वी वर्षगांठ भी मनाई.
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विरोध
हांगकांग की सड़कों पर लोकतांत्रिक प्रदर्शनकारियों ने नए कानून के विरोध में रैली निकाली. हजारों लोग रैली में शामिल हुए और "अंत तक प्रतिरोध" और "हांगकांग आजादी" जैसे नारे लगाए.
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"न्याय के लिए"
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें जेल जाने का डर है लेकिन न्याय की की खातिर विरोध करना जरूरी है.
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चेतावनी
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस के दंगा रोकने वाले दल ने सड़कों पर गश्त लगाई, लेकिन विरोध रैली फिर भी निकाली गई.
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पहली गिरफ्तारियां
रैली में लोगों ने विरोध के कई बैनर भी लहराए. एक व्यक्ति, जिसके पास हांगकांग की आजादी का एक झंडा था, नए सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार होने वाला पहला व्यक्ति बन गया.
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"राजद्रोह"
पुलिस ने जगह जगह लोगों को रोकने के लिए घेराबंदी की थी. नारे लगाते और बैनर लहराते प्रदर्शनकारियों को पहली बार नए कानून के तहत पुलिस कार्रवाई की चेतावनी दी गई. उन्हें कहा गया कि उन पर 'राजद्रोह' के साजिश के लिए कार्रवाई हो सकती है.
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दमन
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. जमा लोगों को तीतर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का भी इस्तेमाल किया गया.
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पुलिस बनाम प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हांगकांग पुलिस को काफी आलोचना झेलनी पड़ी है. इस तरह के दृश्य हांगकांग में पिछले साल हुए प्रदर्शनों के दौरान भी देखने को मिले थे.
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पत्रकारों पर हमला
रैली के दौरान पुलिस ने पत्रकारों को भी नहीं बख्शा और उनके खिलाफ पेप्पर स्प्रे का इस्तेमाल किया.