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जर्मनी और भारत सुरक्षा परिषद में चुने गए

१२ अक्टूबर २०१०

जर्मनी और भारत दो साल के लिए सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य चुन लिए गए हैं. जर्मनी को पहले ही चक्र में 190 सदस्यों वाली महासभा में जीत के लिए आवश्यक 128 मत मिले जबकि भारत को सर्वाधिक 187 मत मिले.

तस्वीर: cc-by-sa-Patrick Gruban

पश्चिमी देशों वाले ग्रुप में दूसरी सीट पुर्तगाल को मिली. इससे पहले दूसरे चरण के अस्पष्ट नतीजों के बाद कनाडा ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. 2011-12 के लिए सुरक्षा परिषद के जिन पांच सदस्यों का चुनाव हुआ है उनमें भारत, जर्मनी और पुर्तगाल के अलावा दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया भी हैं.

भारत को चुनावों में 187 मत मिले जो किसी भी देश को मिले मतों में सबसे ज्यादा है. विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने सदस्य चुने जाने के बाद स्थायी सदस्यता के दावे पर जोर देते हुए कहा कि उनका देश मध्यस्थता और रचनात्मक भागीदारी की आवाज रहेगा.

फैसले का इंतजार करते वेस्टरवेलेतस्वीर: picture alliance/dpa

महासभा की बैठक में जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी उपस्थित थे. परिणामों की घोषणा के बाद उन्होंने जर्मनी के सदस्य चुने जाने को भरोसे का सबूत बताया. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह चुनाव जर्मनी के लिए दूसरे देशों के साथ विवादों के समाधान के लिए काम करने का कर्तव्य है.

विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने जर्मन मीडिया के साथ बातचीत में सुरक्षा परिषद के सुधार की वकालत की है और कुछ क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व में कमी को अनुचित बताया है. उन्होंने कहा, "यह उचित नहीं है कि दो महादेशों अफ्रीका और लैटिन अमेरिका का सुरक्षा परिषद में स्थायी प्रतिनिधित्व नहीं है. एशिया का अपने को कम प्रतिनिधित्व वाला मानना भी उचित ही है."

यहां बैठकर होता है युद्ध और शांति का फैसलातस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सुधारों में हमारी या दूसरों की प्राथमिकता स्थायी सीट नहीं है, हम चाहते हैं कि दुनिया के शक्ति संतुलन का बेहतर प्रतिनिधित्व हो. जर्मनी जापान, भारत और ब्राजील के साथ लंबे समय से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावेदार है.

ब्रिटेन के यूएन राजदूत लायल ग्रांट ने कहा कि 2011 का सुरक्षा परिषद भावी दुनिया की राजनीति का टेस्ट हो सकता है. उन्होंने कहा कि नई परिषद एक तरह से सुधार के बाद वाली सुरक्षा परिषद का लघु प्रतिबंब होगा, जो ब्रिटेन चाहता है. ब्रिटेन भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी की सदस्यता का समर्थन कर रहा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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