जर्मनी और भारत से कोई महिला अंतरिक्ष में क्यों नहीं पहुंची?
१३ सितम्बर २०१९
यूरी गागारिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान थे. जल्द ही महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं. अब तक बहुत सारी महिलाएं अंतरिक्ष में जा चुकी हैं, लेकिन वहां उनका मिशन क्या रहा?
विज्ञापन
अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला थीं वेलेंटीना तेरेश्कोवा. सोवियत अंतरिक्ष यात्री तेरेश्कोवा 1963 में अंतरिक्ष में गईं. वह भी अकेले. इसके बीस साल बाद स्वेतलाना सावित्सकाया स्पेस स्टेशन में पहुंचने वाली पहली महिला बनीं और वहीं 1984 में स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला भी थीं. लेकिन इससे अगर यह समझा जाए कि अंतरिक्ष में शोध के मामले में लैंगिक समानता आ गई तो यह सच नहीं होगा. अंतरिक्ष में लैंगिक समानता अब भी दूर की कौड़ी है.
जब अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सैली राइड को स्पेस शटल चैंलेंजर के साथ उड़ान भरनी थी, तो उनसे पूछा गया कि क्या एक हफ्ते के लिए 100 सैनिटरी पैड उनके लिए काफी होंगे. यानी नासा को इतना भी पता नहीं था कि इतने सारे सैनिटरी पैड तो कोई महिला तीन महीने में भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगी. लेकिन धीरे धीरे महिला अंतरिक्ष यात्रियों को उनकी जगह मिलने लगी.
1995 में आईलीन कॉलिन्स स्पेस शटल उड़ाने वाली पहली महिला बनीं. वह अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को रूसी अंतरिक्ष स्टेशन मीर तक ले गईं. और 2007 में पेगी विट्सन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन, आईएसएस की पहली महिला कमांडर बनीं. अंतरिक्ष में 665 दिन बिताने वाली पैगी नासा की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं.
ब्रह्मांड में अजूबों की भरमार
जितनी विविध पृथ्वी है, उतना ही विविध ब्रह्मांड भी है. वहां कई खूबियों वाले ग्रह हैं. कोई हीरों से भरा है तो कोई धधकता गोला सा है. एक नजर ऐसे ग्रहों पर.
तस्वीर: Reuters/Caltech/MIT/LIGO
विशाल छल्ला
पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर एक बड़ा ग्रह है. वैज्ञानिक इसे J1407B कहते है. यह बृहस्पति और शनि से भी 40 गुना बड़ा है. इस ग्रह के बाहर बना छल्ला 12 करोड़ किलोमीटर तक फैला है. वैज्ञानिकों को लगता है कि J1407B में चंद्रमा बनने जा रहा है.
तस्वीर: NASA/Ron Miller
पानी नहीं, सिर्फ बर्फ या गैस
सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ग्लिश 436बी ग्रह अपने तारे के बेहत करीब घूमता है. इस वजह से इसकी सतह का तापमान 439 डिग्री तक पहुंच जाता है. अथाह गर्मी से बर्फ सीधे गैसों में टूट जाती है और ग्रह के आस पास हाइड्रोजन के बादल बनने लगते हैं.
तस्वीर: NASA/public domain
तारकोल से लबालब
बाहरी ब्रह्मांड में ट्रेस-2b नाम का ग्रह भी मिला. यह अपने तारे से मिलने वाली सिर्फ एक फीसदी रोशनी को परावर्तित करता है. इसे ब्रह्मांड का अब तक खोजा गया सबसे काला ग्रह माना जाता है. ग्रह की सतह में विषैला तारकोल और उससे निकलने वाली गैसें हैं.
तस्वीर: NASA/Kepler/TrES/David A. Aguilar (CfA)
तीन सूरज वाला ग्रह
HD 188 753 Ab पहला ऐसा ग्रह है जिसके पास तीन सूर्य हैं. इस ग्रह की खोज 2005 में पोलैंड के वैज्ञानिक ने की थी. वैज्ञानिकों ने ऐसे और ग्रह खोजने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
हीरों की खान
55 कैंक्री में अथाह मात्रा में कार्बन है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 55 कैंक्री की सतह हीरों से भरी है. लेकिन वहां तक पहुंचने के मतलब है 1,700 डिग्री का तापमान झेलना.
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
सुंदर, लेकिन घातक
धरती की तरह नीले इस ग्रह का नाम है HD189733. लेकिन वहां जीवन के लिए कोई जगह नहीं. HD189733 का तापमान 1,000 डिग्री से ज्यादा है. वहां 7,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से खगोलीय बारिश भी होती है.
तस्वीर: NASA/ESA/M. Kornmesser
एक और धरती
ग्लिश 581 C की खोज ने विज्ञान जगत को कौतूहल से भर दिया था. इसे धरती का जोड़ीदार मानते हुए जीवन के लिए मुफीद करार दिया गया. लेकिन जैसे जैसे ज्यादा जानकारी मिली वैसे वैसे कौतूहल खत्म होता गया. यह ग्रह गुरुत्व बल के संघर्ष में फंसा हुआ है. इसकी वजह से ग्रह का एक ही हिस्सा हमेशा प्रकाश की तरफ रहता है.
तस्वीर: ESO
हॉट टब
GJ1214b गर्म पानी के टब की तरह है. 230 डिग्री सेल्सियस की गर्मी के चलते यह ग्रह ब्रह्मांड में लगातार भाप और बादल छोड़ता रहता है.
तस्वीर: ESO/L. Calçada
8 तस्वीरें1 | 8
शुरुआत भले ही सोवियत संघ ने की हो लेकिन अब तक नौ देशों की कुल 63 महिलाएं अंतरिक्ष में जा चुकी हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की है. अब तक कोई जर्मन महिला अंतरिक्ष में नहीं गई है, लेकिन महिला एस्ट्रोनॉट पहलकदमी के तहत उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश हो रही है. इस कार्यक्रम के तहत चुनी गई दो महिलाओं को इस समय ट्रेनिंग दी जा रही है.
फिर भी अंतरिक्ष अभियानों में बराबरी के लिए महिला अंतरिक्षयात्रियों को अभी लंबा रास्ता तय करना है. हो सकता है कि मंगल मिशन पर महिलाएं भी अंतरिक्ष में जाएं. नासा के मुखिया जिम ब्राइडेनस्टाइन तो कहते हैं कि मंगल पर पहला कदम रखने वाली शायद कोई महिला अंतरिक्ष यात्री ही हो.
14 सितंबर को अलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट की 250वीं जयंती है. उनका नाम जर्मनी में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व और अंतरिक्ष तक में फैला है. जानिए किस किस क्षेत्र में उनके योगदान को दुनिया उनके नाम से याद करती है.
1949 से पहले केवल बर्लिन यूनिवर्सिटी कहे जाने वाले जर्मन राजधानी के इस प्रसिद्ध विश्वविद्यालय का नाम अलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट और उनके भाई विलहेल्म के नाम पर रखा गया. विलहेल्म ने 1810 में इस शिक्षा संस्थान की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी. अल्बर्ट आइंस्टाइन से लेकर कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने यहां पढ़ाया है.
तस्वीर: T. Rooks
पिको हुम्बोल्ट, वेनेजुएला
वेनेजुएला की राजधानी काराकस में 1997 में खुले एक प्राइवेट स्कूल का नाम हुम्बोल्ट पर रखा गया. हुम्बोल्ट की स्पैनिश-अमेरिकन उपनिवेशों की यात्रा में 1799 में वेनेजुएला ही उनका पहला पड़ाव था. सिएरा नेवादा डे मेरीदा में स्थित देश की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम भी उनके सम्मान में पिको हुम्बोल्ट रखा गया. पिको बोलीवार सबसे ऊंची चोटी है.
तस्वीर: public domain
हुम्बोल्ट करंट, प्रशांत महासागर
चीन से लेकर न्यूजीलैंड और अफ्रीका से लेकर अंटार्कटिक तक- प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं के साथ हुम्बोल्ट का नाम जोड़ा जाना सबसे स्वाभाविक बात है. 1803 में जब वे दक्षिण अमेरिका के तटीय इलाके में पानी के रास्ते पहुंचे तो उन्होंने देखा कि ठंडा पानी ऊपर की ओर बह कर ट्रॉपिकल पानी से मिल रहा है. स्थानीय लोगों को तो यह पता ही था लेकिन हुम्बोल्ट के लेखन से यह दुनिया भर को पता चला और इससे उनका नाम जुड़ गया.
तस्वीर: Timothy Rooks
मारे हुम्बोल्टिएनम, चंद्रमा
सिर्फ इस धरती पर ही नहीं चंद्रमा तक पर उनका दखल रहा. लैटिन भाषा के शब्द "मारे" का अर्थ होता है समुद्र. चंद्रमा की सतह पर एक बड़े समतल हिस्से का नाम हुम्बोल्ट के नाम पर रखा गया. इसके अलावा भी उनके नाम पर एक क्रेटर का नाम रखा गया और दो एस्टीरॉयड्स का भी.
तस्वीर: NASA
हुम्बोल्ट पेंग्विन, पश्चिमी दक्षिण अमेरिका
ये काली और सफेद पेंग्विन की प्रजाति हुम्बोल्ट पेंग्विन कहलाती है. इसका वैज्ञानिक नाम है स्फीनिस्कस हुम्बोल्टी. मध्यम आकार वाली यह प्रजाति चिली और पेरु में पाई जाती है. जलवायु परिवर्तन, बहुत ज्यादा मछलियां पकड़ने और समुद्रों के अम्लीकरण के कारण इन पर खतरा है. अब केवल कुछ हजार ही रह गईं इन पेंग्विन के अलावा भी कम से कम 100 छोटे बड़े जानवरों के नाम हुम्बोल्ट के नाम पर रखे गए हैं.
इस प्रकृतिविज्ञानी के नाम पर कम से कम 300 पौधों का नाम पड़ा. इनमें से कई की खोज उन्होंने खुद ही की और अपनी दक्षिण अमेरिका की यात्राओं से उन्हें साथ वापस ले भी आए, जैसे कि तस्वीर में दिख रहा पौधा सैलिक्स हुम्बोल्टियाना. उन्होंने हजारों ऐसी प्रजातियां खोजीं लेकिन केवल कुछ को ही अपना नाम दिया. बाकी को बाद में उनके प्रशंसकों ने हुम्बोल्ट का नाम दिया.
तस्वीर: Botanisches Museum Berlin/Foto: Timothy Rooks
विज्ञान की दुनिया के शाहकार के नाम पर सबसे ऊंचे पेड़ का नाम होना जंचता है. 1921 में स्थापित हुम्बोल्ट रेडवुड्स स्टेट पार्क अब गिने चुने पुराने जंगलों में से रह गया है. यहां पाए जाने वाले सबसे ऊंचे रेडवुड पेड़ों की किस्म का वैज्ञानिक नाम है सेकोइया सेम्पेरविरेन्स. उनके नाम पर अमेरिका की चार काउंटियों का नाम, 13 शहरों का नाम और एक यूनिवर्सिटी का नाम रखा गया.
तस्वीर: T. Rooks
हुम्बोल्ट स्क्विड, प्रशांत महासागर
हुम्बोल्ट स्क्विड मांसाहारी होते हैं और लगभग अपना पूरा जीवन दक्षिण अमेरिका के तटीय इलाकों में हुम्बोल्ट करेंट में ही बिताते हैं. यह बड़े समूहों में चलते हैं और बहुत जल्दी अपना रंग बदलने की खूबी रखते हैं. यह किस्म 1.5 मीटर (4 फीट 11इंच) तक लंबे हो सकते हैं. हुम्बोल्ट खुद लगभग 90 साल जिए लेकिन उनके नाम वाले यह जीव केवल 1-2 साल ही जीते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer
हुम्बोल्ट ग्लेशियर, उत्तरी ग्रीनलैंड
ग्रीनलैंड में उनके नाम पर एक ग्लेशियर का नाम रखा गया है. इस ग्लेशियर का अगला हिस्सा 110 किलोमीटर चौड़ा है लेकिन अफसोस ये कि यह भी तेजी से पिघल रहा है. वेनेजुएला में स्थित एक अन्य हुम्बोल्ट ग्लेशियर तो लगभग गायब ही हो गया है. बीते 30 सालों में इसका 90 फीसदी हिस्सा खत्म हो गया. अगले 1-2 दशक में यह पूरा खत्म हो जाएगा.
तस्वीर: NASA Earth Observatory
हुम्बोल्ट फोरम, बर्लिन, जर्मनी
बर्लिन की उनकी गृहनगरी में हुम्बोल्ट के नाम को भूत ही नहीं भविष्य के साथ भी जोड़ा जा रहा है. रॉयल पैलेस में हुम्बोल्ट फोरम नाम का एक ऐसा मंच शुरु करने की योजना है, जो एक सांस्कृतिक केंद्र और गैर-यूरोपीय कला का संग्रहालय बनेगा. हुम्बोल्ट खुद भी इस महल में रहे थे. (टिमोथी रुक्स/आरपी)