जर्मनी की सड़कों पर ट्रैफिक जाम कम क्यों हो गया है
२२ जुलाई २०२२
जर्मनी में शहरी ट्रैफिक जाम पिछले कुछ हफ्तों से काफी कम है. फिलहाल यहां गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं और ऐसे मौसम में लोग अपने घरों से निकल कर खूब यात्राएं करते हैं तो फिर सड़कें खाली क्यों हैं?
जर्मनी के बड़े शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक में कमी आई हैतस्वीर: picture alliance/dpa
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यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश ने सार्वजनिक परिवहन के लिए एक अनूठा प्रयोग किया है. तीन महीने के लिए जर्मनी में सार्वजनिक परिवहन को लगभग मुफ्त कर दिया गया है. महज 9 यूरो का टिकट लेकर कोई भी यहां की क्षेत्रीय और स्थानीय रेल या बस की जितनी चाहे यात्रा कर सकता है. इस कदम ने लोगों के मन में कार छोड़ कर सार्वजनिक सेवाओं का इस्तेमाल करने का उत्साह जगाया है. सरकार का यह कदम कुछ हद तक सफल रहा है.
जून के महीने से शुरू हुई इस सेवा के लिए हर महीने का अलग टिकट जारी किया जा रहा है. अगस्त तक के लिए जारी यह ऑफर बढ़ती महंगाई और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण से राहत देने के मकसद से शुरू किया गया है. बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और फोल्क्सवागन जैसी गाड़ियां बनाने और हाईवे पर गतिसीमा नहीं रखने वाले वाले देश के लिए यह एक काफी बड़ा कदम है.
सड़कों पर ट्रैफिक जाम कम हुआ हैतस्वीर: Michael Sohn/AP/picture alliance
घुमक्कड़ लोगों की तो इस साल बन आई है वो इस सस्ते टिकट का खूब फायदा उठा रहे हैं और सैलानियों के ठिकानों पर भी खूब भीड़ उमड़ रही है. हालांकि सारे लोग अपनी प्यारी कारें छोड़ कर ही यात्रा कर रहे हैं यह कहना अभी सही नहीं होंगा.
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सस्ते टिकट का असर
नतीजा निकालना भले ही अभी संभव ना हो लेकिन नेविगेशन कंपनी टॉमटॉम के जुटाए आंकड़े बता रहे हैं कि सरकार की इस नीति का असर दिख रहा है. 20 जून वाले हफ्ते में भीड़ भाड़ के समय में 26 में से 23 शहरों में ट्रैफिक जाम काफी कम था. इनकी तुलना 16 मई वाले हफ्ते से की गई. टॉम टॉम ने इन दोनों हफ्तों की तुलना की क्योंकि इनमें छुट्टियां नहीं थीं. टॉम टॉम के ट्रैफिक विशेषज्ञ राल्फ पेटर शेफर का कहना है, "यह कमी 9 यूरो वाले टिकट की वजह से है."
लोग सप्ताहांत में ट्रेनों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैंतस्वीर: Arnulf Hettrich/imago images
दूसरे कारणों ने भी ट्रैफिक की कमी में कुछ भूमिका निभाई है. मसलन ईंधन की ऊंची कीमत और महामारी के कारण घर से काम करने का चलन. हालांकि टॉम टॉम ने पूरे जून महीने के जो आंकड़े जुटाए हैं उनमें भी यह दिख रहा है कि सड़कों पर ट्रैफिक कम हुआ है. यह तुलना इस साल मई और जून 2019 से की गई है जब महामारी शुरू नहीं हुई थी. इस साल मई की तुलना में जून में ट्रैफिक 26 में से 24 शहरों में कम था. अगर जून 2019 से तुलना करें तो यह 26 में से 21 शहरों में कम रहा.
यह जानकारियां सरकार के लिए इस विचार का रास्ता खोल सकती हैं कि सार्वजनिक परिवहन के इस सस्ते टिकट को 9 अगस्त के बाद भी जारी रखा जाए. शेफर का कहना है, "अगर मैं सरकार होता तो निश्चित रूप से इस बारे में गंभीरता से सोचता."
सस्ते टिकटों ने ट्रेन का इस्तेमाल भी बढ़ा दिया है. जून 2019 की तुलना में इस साल यह 42 फीसदी ज्यादा था. यह आंकड़े जर्मन सांख्यिकी विभाग के हैं. ट्रेनों का ज्यादा इस्तेमाल सप्ताहांत में बढ़ा है और इस वजह से ट्रेनों में जरूरत से ज्यादा भीड़ की शिकायतें भी आ रही हैं.
ट्रेन में भीड़ बढ़ने से कई बार असुविधा की स्थिति भी पैदा हो रही हैतस्वीर: Arne Dedert/dpa/picture alliance
मुफ्त सार्वजनिक परिवहन
2020 में लग्जमबुर्ग पहला ऐसा देश बना जिसने सार्वजनिक परिवहन को पूरे देश में मुफ्त कर दिया. वहां के अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद ट्रैम का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया. टॉम टॉम के आंकड़े दिखाते हैं कि हाल के महीनों में महामारी से दौर से पहले की तुलना में भी ट्रैफिक जाम काफी कम है.
हालांकि कुछ जर्मन लोगों को उनकी कारों से दूर कर पाना एक बड़ी जंग से कम नहीं है. टॉम टॉम के शेफर खुद ही कहते हैं कि वो अब भी बर्लिन में हर रोज अपने दफ्तर जाने के लिए कार का इस्तेमाल करते हैं ताकि अपना समय बचा सकें.
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
क्या पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री करने का समय आ गया है?
डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कैसे निपटें? एक तरीका है बस, मेट्रो, ट्राम या ट्रेन में यात्रा फ्री कर देनी चाहिए. कई यूरोपीय देश और शहर ऐसा कर रहे हैं.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
जर्मनी
बढ़ती महंगाई और यूक्रेन युद्ध की वजह से ऊर्जा चुनौतियों के बीच जर्मन सरकार ने 9 यूरो का मासिक टिकट शुरू किया है, जिससे पूरे महीने देश भर में कहीं भी, कितनी भी यात्रा की जा सकती है. आम तौर पर किसी एक शहर के लिए ऐसा मासिक टिकट 50 से 90 यूरो में आता है. माना जा रहा है कि 9 यूरो के टिकट से लोगों की कुछ बचत भी होगी और वे कारों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करेंगे.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
लक्जमबर्ग
दुनिया भर में लक्जमबर्ग पहला ऐसा देश है जिसने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बिल्कुल मुफ्त कर दिया है. एक मार्च से वहां किसी को ट्रेन, बस या ट्राम का टिकट लेने की जरूरत नहीं. इस छोटे से देश में रहने वाले विदेशी और सैलानी भी इसका फायदा उठा सकते हैं. लक्जमबर्ग में काम करने वाले 45 फीसदी लोग आसपास के देशों से हर दिन वहां आते-जाते हैं. वहां की सरकार चाहती है कि लक्जमबर्ग इस मामले में दुनिया के लिए मिसाल बने.
तस्वीर: Frank Rumpenhorst/dpa/picture alliance
माल्टा
माल्टा में भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट 1 अक्टूबर से बिल्कुल फ्री होने जा रहा है. इस तरह यह यूरोप का दूसरा देश होगा, जहां यात्रा करने के लिए नागरिकों और पर्यटकों को कोई टिकट नहीं खरीदना होगा. माल्टा ने इस योजना की घोषणा अक्टूबर 2021 में की थी. यहां भी सरकार का यही मकसद है कि लोग कारों को छोड़कर ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें.
तस्वीर: Franz Perc/picture alliance
हासेल्ट, बेल्जियम
कुछ शहरों ने भी अपने स्तर पर इस तरह के कदम उठाए हैं. जैसे कि बेल्जियम में का शहर हासेल्ट. उसने 1997 में ही ट्रेन और बसों में सफर को मुफ्त कर दिया था. इस बात की दुनिया भर में चर्चा हुई. लेकिन शहर प्रशासन ने बढ़ती लागत के बीच 2013 में इस फैसले को पलट दिया. अब फिर से इस शहर के लोगों को सार्वजनिक परिवहन में सफर करने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है.
तस्वीर: Yorick Jansens/BELGA/dpa/picture alliance
टालिन, एस्टोनिया
एस्टोनिया की राजधानी टालिन में सभी रजिस्टर्ड निवासी 2013 से बस और ट्रेनों में मुफ्त सफर कर सकते हैं. शहर प्रशासन ने जब देखा कि वित्तीय संकट की वजह से आम लोग टिकट खरीदने के लिए जूझ रहे है तो उन्होंने यह कदम उठाया. जानकार कहते हैं कि मुफ्त टिकट के बाजवूद शहर की सड़कों पर कारों की संख्या नहीं घटी है. वैसे एस्टोनिया के कई दूसरे इलाकों में भी इसी तरह फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पहल शुरू की गई है.
तस्वीर: Guo Chunju/Photoshot/picture alliance
डनकर्क, फ्रांस
फ्रांस के शहर डनकर्क में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री करने के बाद सड़कों पर ट्रैफिक घटा है. वहां 2018 से लोग सार्वजनिक परिवहन में फ्री में यात्रा कर सकते हैं. यात्रा फ्री होने के बाद लोगों ने कारों का इस्तेमाल कम कर दिया. सर्वे में पांच प्रतिशत लोगों ने कहा कि फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बाद उन्होंने अपनी कार बेचने या दूसरी कार ना खरीदने का फैसला किया. इसका मतलब है कि यह कदम अपने मकसद में सफल रहा.
तस्वीर: Jarry Andia/IMAGO
डेनमार्क के द्वीप
डेनमार्क के कुछ द्वीपों पर आर्थिक कारणों से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री किया गया. खासकर कोरोना महामारी के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया. 2020 और 2021 में बिना कारों वाले लोगों को इन द्वीपों पर जाने के लिए फेरी का टिकट नहीं लेना पड़ता था. गर्मियों के दौरान भी टिकट के दामों में कमी की गई. 2022 में फेरी के टिकट फ्री नहीं है, लेकिन लोग टिकट पर मिलने वाली छूट का फायदा उठा सकते हैं.