यूरोजोन में आर्थिक विकास की दर उम्मीद से कम रहने के आसार बन रहे हैं. जर्मनी में विकास की रफ्तार कमजोर पड़ी है तो इटली में बिल्कुल रुक ही गई है.
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अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का कहना है कि यूरोजोन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का संकट सर्विस सेक्टर तक फैल सकता है जो पहले से ही वैश्विक कारोबारी तनाव के कारण ठहरा हुआ है.
आईएमएफ का कहना है कि 19 देशों वाले यूरो जोन की विकास दर इस साल 1.2 फीसदी रहने की नौबत आ गई है. इससे पहले अप्रैल में यूरोजोन की विकास दर 1.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. पिछले साल की 1.9 फीसदी विकास दर से इसकी तुलना करें तो यह काफी कम है. आईएमएफ ने 2020 और 2021 में इसके 1.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है. पहले आईएमएफ ने दोनों सालों के लिए यह दर 1.5 फीसदी रहने का अंदाजा लगाया था.
अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ने की मुख्य वजह यूरोजोन की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में विकास मंद पड़ना है. दूसरी तरफ इटली में तो आर्थिक विकास बिल्कुल ठहरा हुआ है जो इस आर्थिक जोन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. आईएमफ ने इन दोनों देशों के विकास दर में इस साल कमी होने की बात कही है.
पहले जर्मनी का आर्थिक विकास 0.8 फीसदी की दर से होने की उम्मीद थी लेकिन अब इसे घटा कर 0.5 फीसदी कर दिया गया है. 2018 के मुकाबले यह विकास दर महज एक तिहाई है. आईएमएफ ने फ्रांस की विकास दर के अनुमान में भी कमी की है जो यूरोजोन की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. तीसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद आईएमएफ के मुताबिक फ्रांस की विकास दर 1.2 फीसदी रहने की उम्मीद है. पहले यह दर 1.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था.
धीमी पड़ती रफ्तार का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यूरोजोन की सरकारों से मौद्रिक उपायों को आजमाने के लिए कहा है. जर्मनी को साफ संकेत दिए गए हैं कि वह निवेश को बढ़ाए. आईएमएफ का कहना है कि अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के पीछे वैश्विक कारोबारी तनाव सबसे बड़ी वजह है. इसका असर मुख्य रूप से यूरोजोन के निर्यात पर हो रहा है जो यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. इतना ही नहीं, इस संकट का विस्तार आगे बढ़ कर सर्विस सेक्टर को भी अपने घेरे में ले सकता है. सर्विस सेक्टर का योगदान यूरोजोन की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है.
अर्थशास्त्र को ऐसे समझिये
अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरों में कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिन्हें समझे बिना कुछ पता नहीं चलता. चलिये समझते हैं इन शब्दों को.
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सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
एक वित्तीय वर्ष के दौरान किसी देश में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है.
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राजस्व घाटा
जब सरकार का खर्च, उसके राजस्व से ज्यादा हो तो ऐसी स्थिति को राजस्व घाटा कहते हैं. अच्छा अर्थशास्त्री इस घाटे को कम से कम करने की कोशिश करता है.
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राजकोषीय घाटा
जब सरकार का कुल खर्च, आय और गैर ऋण पूंजियों से हुई आदमनी से ज्यादा हो जाए तो उसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इसमें सरकार द्वारा लिये गये कर्जे भी शामिल होते हैं.
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सब्सिडी या रियायत
अक्सर सरकारें जरूरी महंगी चीजों को लोगों के लिए सस्ता रखती हैं. महंगी खरीद के बावजूद सरकारें अपनी जेब से कुछ पैसा देकर सेवाओं के मूल्य में कमी बनाए रखती हैं. इस रियायत को ही सब्सिडी कहा जाता है.
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व्यापार घाटा
जब आयात, निर्यात से ज्यादा होता है तो विदेशी मुद्रा देश से बाहर जाती है. अंतरराष्ट्रीय कारोबार में आमदमी से ज्यादा खर्चे को व्यापार घाटा या ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है. यह रकम करंट अकाउंट डेफिसिट में जाती है.
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डायरेक्ट टैक्स
आय के स्रोत पर वसूले जाने वाले प्रत्यक्ष कर को डायरेक्ट टैक्स कहा जाता है. कॉरपोरेट, इनकम और कैपिटल गेन टैक्स इसी के तहत आते हैं.
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इनडायरेक्ट टैक्स
दूसरे शब्दों में, अप्रत्यक्ष कर. यह एक छुपा हुआ टैक्स है जो सेवाओं और सामान पर लगाया जाता है, जैसे सर्विस चार्ज, एक्साइज, वैट, सेल्स टैक्स आदि. विदेश से लाने वाले सामान पर यह कस्टम शुल्क के तौर पर लगाया जाता है.
तस्वीर: imago/Indiapicture
मुद्रास्फीति
नई मुद्रा जारी करने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती हैं. ऐसे में सेवाओं और उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है. इसे मुद्रास्फीति कहते हैं. एक अच्छी अर्थव्यस्था में 5-8 फीसदी की मुद्रास्फीति अच्छी मानी जाती है.
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महंगाई
मुद्रास्फीति और महंगाई में फर्क है. कई बार नई मुद्रा जारी किये बिना भी बाजार में वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य बढ़ जाता है. इसे महंगाई कहा जाता है. महंगाई को आम तौर पर मांग और आपूर्ति व भंडारण प्रभावित करते हैं.
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यूरोपीय संघ से निकलने की ब्रिटेन की अटकी प्रक्रिया भी चिंता का एक कारण है. बिना करार के ब्रेक्जिट, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों पर बुरा असर डालेगा.
अगर योजना के मुताबिक जनवरी में ब्रेक्जिट हो जाता है तो आईएमएफ ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए घोषित इस साल की विकास दर 1.2 फीसदी की पुष्टि कर देगा. यह दर बीते साल 1.4 फीसदी थी और अगले साल भी इतनी ही रहने की उम्मीद जताई गई है.
यूरोजोन में महंगाई की दर इस साल 1.2 फीसदी, अगले साल 1.4 फीसदी और 2021 में 1.5 फीसदी रहने का पूर्वानुमान आईएमएफ ने जताया है. यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने इसे 2 फीसदी के नीचे रखने का लक्ष्य तय किया है.
आम तौर पर हर देश की अपनी मुद्रा होती है. लेकिन दुनिया में कई ऐसी मुद्राएं हैं जो एक से ज्यादा देशों में चलती हैं. इन्हें साझा मुद्रा कहा जाता है. एक नजर ऐसी ही कुछ मुद्राओं पर..
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यूरो
यूरो दुनिया की सबसे जानी मानी साझा मुद्रा है. यह यूरोपीय संघ की आधारिकारिक मुद्रा है और संघ के 28 सदस्य देशों में से 19 में यही मुद्रा चलती है. यूरो वाले देशों को यूरोजोन कहते हैं. इसके अलावा कोसोवो, मोंटेनेग्रो और वेटिकन सिटी ने भी इसे अपनाया हुआ है.
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अमेरिकी डॉलर
अमेरिकी डॉलर को दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा माना जाता है. यह अमेरिका के अलावा इक्वाडोर, अल सल्वाडोर, पनामा, मार्शल आईलैंड, पूर्वी तिमोर, गुआम और पुएर्तो रिको समेत कई देशों और इलाकों की भी आधिकारिक मुद्रा है.
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वेस्ट अफ्रीकन सीएफए फ्रांक
पश्चिमी अफ्रीका के आठ देशों में वेस्ट अफ्रीकन सीएफए फ्रांक चलता है. इन देशों में बेनिन, बुरकीना फासो, गिनी बिसाऊ, आइवरी कोस्ट, माली, निजेर, सेनेगल और टोगो शामिल हैं. इन देशों की कुल आबादी साढ़े दस करोड़ से भी ज्यादा है.
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सेंट्रल अफ्रीकन सीएफए फ्रांक
मध्य अफ्रीका के छह देशों में सेंट्रल अफ्रीकन सीएफए फ्रांक आधिकारिक मुद्रा है. इन देशों में कैमरून, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, रिपब्लिक ऑफ कांगो, इक्वाटोरियल गिनी और गैबोन शामिल हैं. दोनों ही सीएफए फ्रांक कीमत में एक दूसरे के बराबर हैं.
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हांगकांग डॉलर
हांगकांग अब चीन का हिस्सा है लेकिन उसकी अपनी अलग मुद्रा है. हांगकांग के अलावा हांगकांग डॉलर से आप मकाऊ में भी खरीददारी कर सकते हैं. मकाऊ भी चीन का एक इलाका है जिसकी अपनी अलग मुद्रा का नाम मैकेनीज पाटाका है.
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भारतीय रुपया
भारतीय रुपया दुनिया में दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की मुद्रा है. आप चाहें तो भारत के अलावा नेपाल और भूटान में भी रुपये में आराम से चीजें खरीद सकते हैं. इसके अलावा अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में आजकल भारतीय मुद्रा चल रही है. आर्थिक संकट झेल रहे जिम्बाब्वे में दुनिया की कई मुद्राएं भी चलन में हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
रूसी रूबल
रूबल रूस की आधिकारिक मुद्रा है जो अबखाजिया और दक्षिणी ओसेतिया में भी चलती है. ये दोनों ही इलाके खुद को अलग देश मानते हैं, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें मान्यता नहीं है. रूस इन्हें अलग देश समझता है.
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स्विस फ्रैंक
स्विट्जरलैंड की मुद्रा स्विस फ्रैंक यूरोपीय देश लिष्टेनश्टाइन में भी चलती है. लिष्टेनश्टाइन का नाम अकसर उन देशों में आता है जहां दुनिया भर के अमीर लोग टैक्स बचाने के लिए अपना पैसा रखते हैं. आम बोलचाल में इसे काला धन भी कहा जाता है.
तस्वीर: Reuters/K. Pempel
सिंगापुर डॉलर/ब्रूनेई डॉलर
सिंगापुर और ब्रूनेई की अपनी अलग अलग मुद्राए हैं. लेकिन सिंगापुर में ब्रूनेई डॉलर और ब्रूनेई में सिंगापुर डॉलर बड़े आराम से चलता है. आकार में ये दोनों देश बहुत ही छोटे हैं, लेकिन दुनिया के सबसे अमीर देशों में इनकी गिनती होती है.
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न्यूजीलैंड डॉलर
न्यूजीलैंड की यह मुद्रा अनौपचारिक तौर पर कई और छोटे छोटे देशों में भी चलती है. इनमें कुक आइलैंड, नियू और पिटकैर्न आईलैंड जैसे देश और क्षेत्र शामिल हैं. न्यूजीलैंड डॉलर उन टॉप 10 मुद्राओं में शामिल है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा कारोबार होता है.
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साउथ अफ्रीकन रैंड
दक्षिण अफ्रीका के अलावा साउथ अफ्रीकन रैंड मुद्रा नामीबिया, लेसोथो और स्वाजीलैंड में भी चलती है. हालांकि इन तीन देशों की अपनी अलग मुद्राएं भी हैं. रैंड को 14 फरवरी 1961 में उस वक्त के यूनियन ऑफ साउथ अफ्रीका ने शुरू किया था.
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टर्किश लीरा
तुर्की की आधिकारिक मुद्रा टर्किश लीरा उत्तरी साइप्रस की भी मुद्रा है जो खुद को टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दन साइप्रस कहता है. तुर्की इसे एक अलग देश मानता है जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में यह रिपब्लिक ऑफ साइप्रस का ही एक हिस्सा है.