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जर्मनी के कई हिस्सों में मई दिवस पर उपद्रव

Ujjwal Bhattacharya२ मई २००९

पहली मई को बर्लिन व हैम्बर्ग में हुए उपद्रवों में अनेक प्रदर्शनकारी व पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. बर्लिन के क्रॉएत्सबैर्ग में शुक्रवार शाम को नकाबपोश अतिवामपंथियों और आप्रवासी युवाओं ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया.

पुलिस प्रदर्शनकारियों में हुई झड़पतस्वीर: AP

उनका मुक़ाबला करने के लिए लाठीचार्ज किया गया व आंसू गैस के गोले छोड़े गए. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लगभग 200 युवाओं को गिरफ़्तार किया गया. हैम्बर्ग में लगातार दूसरी रात को अतिवामपंथियों और पुलिस के बीच झड़पें जारी रही. लगभग 20 उपद्रवियों को गिरफ़्तार किया गया. उल्म व डोर्टमुंड सहित जर्मनी के अनेक नगरों में नवनाज़ियों और उनके विरोधियों के बीच झड़पें हुईं.

झड़पों के बीच इस बार का मई दिवस विश्वव्यापी वित्तीय संकट के माहौल में मनाया गया. प्रेक्षकों के अनुसार पिछले वर्ष के मुक़ाबले कहीं अधिक कामगार सड़क पर उतर आए. जर्मनी के ब्रेमेन शहर में ट्रेड युनियन की मुख्य रैली को संबोधित करते हुए देश के ट्रेड युनियन महासंघ डीजीबी के अध्यक्ष मिषाएल सोम्मर ने इसकी ओर ध्यान दिलाया.

पहली मई कोई त्योहार नहीं है और इस साल तो कतई नहीं. जर्मनी के सैकड़ों शहरों और कस्बों में, यूरोप में हो रहे हज़ारों प्रदर्शनों में, यहां तक कि सारे विश्व में एक ही मुद्दा छाया हुआ है - यह संकट. - मिषाएल सोम्मर.

जर्मनी के विभिन्न शहरों में दसियों हज़ार कामगार सड़कों पर निकल आए. बर्लिन शहर में मई दिवस के अवसर पर उपद्रवों की एक परंपरा बन चुकी है. इस साल भी वहां कुछ युवा प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पत्थर फ़ेंके व गाड़ियों में आगज़नी की. 49 उपद्रवियों को गिरफ़्तार किया गया है. उपद्रवों से निपटने के लिए सारे शहर में 5 हज़ार अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए.

बर्लिन में वामपंथियों का प्रदर्शनतस्वीर: AP

फ़्रांस में देश के आठ ट्रेड युनियन संगठनों की ओर से एक साथ जलूस निकाले गए - द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार कामगारों की ऐसी एकता देखने को मिली. वहां राष्ट्रपति सारकोज़ी की आर्थिक नीतियों के ख़िलाफ़ 6 हफ़्ते पहले तीस लाख कामगार प्रदर्शन कर चुके थे. इन प्रदर्शनों को फ़्रांस के इतिहास में कामगारों का सबसे बड़ा प्रदर्शन कहा जा रहा है.

तुर्की में कामगारों का प्रदर्शन काफ़ी हद तक राजनीतिक था, वे सरकार की निरंकुशता का विरोध कर रहे थे. इस्तांबुल में पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई. समाचारों के अनुसार दो पुलिसकर्मियों सहित आठ लोग घायल हो गए.

इसी प्रकार माद्रिद, वियना और मास्को से भी विशाल प्रदर्शनों की ख़बर आई है. रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में दक्षिणपंथी अतिवादियों के एक जलूस को रोकने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. लगभग सौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

भारत में भी मई दिवस के अवसर पर विभिन्न शहरों में कामगारों के प्रदर्शन हुए. दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में 8 हज़ार कामगारों का प्रदर्शन हुआ. टोकियो में 36 हज़ार प्रदर्शनकारियों ने छंटनी व वेतन में कटौती के विरोध के साथ-साथ देश के रक्षा खर्चों में कमी की मांग के साथ प्रदर्शन किया.

लेखक - उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन - प्रिया एसेलबॉर्न

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