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आमने-सामने आए जर्मनी के चांसलर पद के उम्मीदवार

बेन नाइट
१३ सितम्बर २०२१

अंगेला मैर्केल की जगह कौन लेगा? जर्मनी का अगला चांसलर बनने के दौड़ में शामिल उम्मीदवारों का एक टीवी डिबेट में आमना-सामना हुआ. एसपीडी उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स ने सबसे आगे होने के अपने दावे को एक ठोस प्रदर्शन कर बचाए रखा.

Deutschland | Bundestagswahl | TV-Triell der Kanzlerkandidaten
तस्वीर: Michael Kappeler/AFP/Getty Images

चुनावों से पहले हुए एक पोल के मुताबिक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स ने चुनाव अभियान की अंतिम दौर की सीधी बहस में अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ मामूली लेकिन ठोस बढ़त बनाए रखने के लिए रविवार शाम हुई त्रिपक्षीय टीवी बहस में संतोषजनक प्रदर्शन किया.

जर्मनी की सार्वजनिक प्रसारण सेवा पर डेढ़ घंटे चले इस त्रिपक्षीय द्वंद के खत्म होने के कुछ ही देर बाद जर्मन संस्था इंफ्राटेस्ट डिमाप के एक पोल में पाया गया कि 1500 दर्शकों में से 41 फीसदी ये मानते हैं कि शॉल्त्स सबसे विश्वसनीय रहे. इस पोल के मुताबिक वे क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट और ग्रीन पार्टी की अनालेना बेयरबॉक से काफी आगे रहे. इन दोनों ही उम्मीदवारों पर क्रमश: 27 फीसदी और 25 फीसदी लोगों ने भरोसा जताया.

यह दिखाता है कि शॉल्त्स ने अपने कंजरवेटिव प्रतिद्वंदी लाशेट के सवालों और टिप्पणियों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया. संभावना के मुताबिक ही लाशेट ने बहस की शुरुआत में वित्त मंत्री शॉल्त्स को उनके शांत व्यवहार से विचलित करने की कोशिश की. लेकिन ऐसे हमले बाद की बहस में कम हो गए, जब उम्मीदवारों पर नीतियों को विस्तार से पेश करने के लिए दबाव डाला गया.

कट्टरपंथियों से निपटना

लाशेट ने शॉल्त्स के खिलाफ नंबर बनाने में तेजी दिखाई. पहले उन्होंने शॉल्त्स से यह जानना चाहा कि क्या वे वापपंथी डी लिंके पार्टी के साथ गठबंधन बनाएंगे. शॉल्त्स इस सवाल से बचे, जबकि डिबेट का संचालन कर रही मेब्रिट इलनर ने भी उनपर चुनौतीपूर्ण सवाल दागा कि अब तक उन्होंने चुनाव बाद की संभावित सरकारी टीम या शैडो कैबिनेट के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी है?

ओलाफ शॉल्त्सतस्वीर: Daniel Lakomski/Jan Huebner/imago images

लेकिन लाशेट खुद जल्द ही अपनी पार्टी के सहयोगियों, विशेषकर पूर्वी जर्मनी में सीडीयू के उम्मीदवार हंस-गियॉर्ग मासेन को लेकर दबाव में आ गए. मासेन पहले घरेलू खुफिया सेवा के प्रमुख रहे हैं, और अक्सर अपनी राष्ट्रवादी टिप्पणियों के चलते आलोचना के केंद्र में आ जाते हैं. कई लोग मानते हैं कि उनकी टिप्पणियां एक मध्यमार्गी पार्टी के प्रतिनिधि का विचार होने के बजाए एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी की सोच लगती हैं.

लाशेट ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि अगर वे मासेन के निर्वाचन क्षेत्र के निवासी होते तो क्या उन्हें वोट देते. उन्होंने कहा, "मेरे और मिस्टर मासेन के बीच बहुत अंतर है. और उन्हें उस रास्ते पर चलना होगा, जो मैंने पार्टी के नेता के तौर पर तय किए हैं."

मनी लॉन्ड्रिंग पर कठिन सवाल

इस बीच सरकार के एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग एफआईयू की एक जांच के दौरान हाल ही में वित्त मंत्रालय पर सरकारी अभियोजकों की हालिया छापेमारी के बारे में पूछे जाने पर शॉल्त्स रक्षात्मक होने पर मजबूर हो गए. नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य के मुख्यमंत्री लाशेट ने शॉल्त्स से कहा, "अगर मेरे वित्त मंत्री ने आपकी तरह काम किया होता तो हम गंभीर समस्या में पड़ गए होते."

गुस्साए और हमले के लिए तैयार शॉल्त्स ने लाशेट पर एक भ्रामक तस्वीर पेश करने का आरोप लगाया और जांच को मामूली बताया क्योंकि यह कोलोन में एक कर्मचारी की संभावित अवैध गतिविधियों पर केंद्रित थी. उन्होंने कहा कि 2018 में उनका कार्यकाल शुरु होने के बाद से उन्होंने मंत्रालय में वित्तीय निगरानी को बढ़ावा दिया है.

आर्मिन लाशेटतस्वीर: Daniel Lakomski/Jan Huebner/imago images

अपनी बारी में, ग्रीन उम्मीदवार बेयरबॉक ने इस अवसर का इस्तेमाल सरकार में मौजूद दोनों ही पार्टियों पर हमला बोलने के लिए किया और कहा कि कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए हर साल जर्मनी को होने वाले अरबों के नुकसान की पर्याप्त रोकथाम के प्रयास करने में ये पार्टियां विफल रही हैं. उन्होंने कहा, "अब हम स्पष्ट रूप से देख पा रहे हैं कि यह एक बड़ी समस्या है."

जलवायु संकट

दोनों ही उम्मीदवारों को उनकी पार्टियों के जलवायु संकट से निपटने के रिकॉर्ड के बारे में चुनौती देने के दौरान बेयरबॉक सबसे मजबूत दिखीं. उन्होंने कहा, "हम नाटकीय ढंग से अपने जलवायु लक्ष्यों से चूक रहे हैं और आप दोनों ही साफ कर चुके हैं कि आप खुद को समाधानों की ओर नहीं बढ़ाएंगे बल्कि सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहेंगे कि कौन किस काम में बाधा डाल रहा है."

अपने चुनाव प्रचार में अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली एक लाइन को दोहराते हुए बेयरबॉक ने कहा कि अगली सरकार जलवायु संकट (को रोकने) पर सक्रिय असर डालने वाली अंतिम सरकारों में से एक होगी. उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि हमें पहले कोयला बिजली से मुक्ति पानी होगी और वो भी 2038 (इसके लिए वर्तमान लक्ष्य साल) से काफी पहले. क्योंकि हम अगले 17 सालों तक ऐसे बर्ताव करते हुए नहीं चल सकते, जैसे इससे कुछ प्रभाव (बुरा) ही नहीं पड़ रहा है."

अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: Daniel Lakomski/Jan Huebner/imago images

शॉल्त्स और लाशेट दोनों ने ही दावा किया कि उनकी पार्टियां संकट से गंभीरता से निपट रही हैं. हालांकि दोनों ने जर्मनी के प्रमुख उद्योगों- विशेष तौर पर ऑटो और रासायनिक उद्योग की रक्षा करने के महत्व की बात भी कही. शॉल्त्स और बेयरबॉक पर उद्योगों के पर कतरने का आरोप लगाने से पहले लाशेट ने कहा, "जर्मन ऑटो उद्योग लंबे समय से सामंजस्य की राह पर है. यह कानूनों के साथ, प्रतिबंधों के साथ, नियमों के साथ काम नहीं करेगा बल्कि उस स्फूर्ति के साथ करेगा, जहां हर कोई कुछ नया बनाने की इच्छा रखता है."

अभी भी पीछे मैर्केल की पार्टी

शॉल्त्स ने यह भी कहा कि जर्मनी 100 सालों से भी ज्यादा समय के सबसे बड़े औद्योगिक बदलावों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास पिछले 250 साल का आर्थिक और औद्योगिक इतिहास है, जिसका आधार कोयला, गैस और तेल रहे हैं. और अगर हम इसे बदलना चाहते हैं, तो हमें इसे वाकई सफल करने के लिए काफी काम करना होगा."

चांसलर उम्मीदवारों की रविवार को हुई दूसरी बहस में एसपीडी चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू से छह अंक आगे रही. आईएनएसए (INSA) पोल के मुताबिक जहां एसपीडी को 26 फीसदी लोगों का साथ मिला, सीडीयू 20 फीसदी का ही समर्थन पा सकी. जबकि ग्रीन पार्टी सिर्फ 15 फीसदी के समर्थन के साथ इससे भी 5 अंक पीछे रही. यदि रविवार की बहस के बाद हुए स्नैप पोल्स पर जरा भी विश्वास करें तो सीडीयू के पास अपने पिछड़ने के अंतर को खत्म करने का समय समाप्त होता जा रहा है.

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