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जर्मनी के डुइसबर्ग शहर में लव परेड हादसा

२६ जुलाई २०१०

लव परेड हादसा, अहिंसा सिल्क बाज़ार, और यूक्रेनियों ने खोजा'लाइन लगाऊ' पेशा के साथ साथ हमारी अंतरा की स्पेशल कड़ी गुलाबी गैंग श्रोताओं के कैसे लगी, यह सब हम आपके साथ भी साझा करना चाहते है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पश्चिमी जर्मनी के ड्यूसबर्ग शहर में लव परेड के दौरान भगदड़ मचने से 19 लोगों की हुई दर्दनाक मौत ने समूचे विश्व को दहला दिया. हंसी खुशी के मौके इस तरह का हादसा मानव जगत के लिए स्तब्ध करने वाला है. मृतकों और घटना में घायलों के प्रति हम हार्दिक संवेदना व्यक्त करते है. परेड में लगभग 14 लाख लोगों ने हिस्सा लिया, लेकिन लगता है सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबन्द नहीं थी और प्रशासनिक खामियां भी उजागर हुई, अन्यथा घटना के बाद लव परेड को रद्द नहीं किया गया. यह कहना कि प्रशासन को इस बात का खतरा था कि इसकी वजह से लोगों में फिर दहशत फैल सकती है और दोबारा कुछ अप्रिय हो सकता है, पूरी तरह से निराधार है. ये अच्छी बात है कि कोई और अप्रिय हादसा नहीं हुआ अन्यथा मंजर कुरुक्षेत्र सा होता. हम शोकाकुल परिजनों के प्रति इस दुख की घड़ी ढांढस व हिम्मत प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.

रवि श्रीवास्तव, इन्टरनेशनल फ़्रेन्ड्स क्लब-इलाहाबाद

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बर्लिन के वामपंथी दैनिक नोएस डॉएचलांड में पर्यावरण रक्षा के लिए सक्रिय वाराणसी के वीरभद्र मिश्र के बारे में रिपोर्ट दी गई, वह सही नहीं हैं. कहा गया है कि वे 25 सालों से गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन एसा कुछ संघर्ष हकीकत में नजर नहीं आता हैं. गंगा में क्या क्या भरा हुआ हैं इसका तो पता 20 साल पहले ही लग गया था. विश्वविद्यालय व इसके विशेषज्ञों के संस्थान तो सिर्फ खानापूर्ति कर रहें है. गंगा को गंदी कर रही गतिविधियों पर प्रतिबंध लगेगा तभी गंगा स्वच्छ हो पायेगी. स्वच्छता के नाम पर एक ही नहीं, कितनी ही जैव परियोजना तैयार की जाये कुछ नहीं होने वाला है. गंगा स्वच्छता के नाम पर अब तक प्रोफेसर ने सरकारों से प्राप्त धन को कितना खर्च किया है. इसके हिसाब पर अब ध्यान दिया जाना चाहिए है.

सुवालाल जंगू , ईमेल से

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डॉयचे वेले की वेब साईट में 'यूक्रेनियों ने खोजा लाइन लगाऊं पेशा' के बारे में रोचक जानकारी पढ़ाने को मिली.आज की व्यस्त ज़िंदगी और बेलगाम जनसंख्या के बीच लाइन लगाने का पेशा बहुत अच्छा है. इससे कई बेरोज़गारों को धंधा मिल जाएगा. भारत के बेरोजगारों को यह पेशा निःसंकोच अपनाना चाहिए.

चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़

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आपकी वेबसाईट पर श्रीलंकन स्पिनर मुरलीधरन के बारे में रिपोर्ट पढ़ी. इतनी बाधाओं के बावजूद मुरली ने अपने सफ़र को बखूबी अंजाम दिया. उनके विवादास्पद एक्शन को भुलाकर उनकी क्रिकेट के प्रति दीवानगी सचमुच काबिले तारीफ़ है. आशा करते हैं कि क्रिकेट के इस महान खिलाड़ी की विदाई के साथ ही उनसे जुड़े सारे विवाद भी समाप्त हो जायेंगे.

माधव शर्मा, जिला नागौर, राजस्थान

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सरोकार में 22.07.10 को सड़क से घर पहुंचने में लगे 25 साल और 20.07.10 को अहिंसा सिल्क के बारे में दी गई जानकारियां बहुत पसंद आयी. ये जानकारीयां खोज पर्यावरण ही नहीं, लोगों को रोज़गार दिलाने में सहायक होने के कारण भी महत्वपूर्ण थी.

संजय सक्सेना, फतेहपुर शेखावाटी

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और अब अंतरा की स्पेशल कड़ी श्रोताओं को कैसे लगी, इस पर हमें कुछ श्रोताओं ने अपने विचार लिखें हैं

तस्वीर: DW

आज 22 जुलाई को अंतरा स्पेशल की पहली कड़ी को सुना. गुलाबी गैंग पर बहुत उमदा जानकारी मिली. बुन्देलखंड के पड़ोस में होने पर भी मुझे इतनी विस्तृत जानकारी न थी. अगली कड़ियों का इंतज़ार है.

रिजवान सज्जाद, अलहिंद रेडियो लिस्नर्स क्लब, फफुंद, उत्तर प्रदेश

22 जुलाई शाम के प्रसारण में अंतरा सुना. बुंदेलखंड सफ़र की प्रथम कड़ी में गुलाबी गैंग और सम्पत पाल की बहादुरी पर जो प्रसारण सुना वे काफी अच्छा लगा.

बिधान सान्याल, रेडियो मास्को लिस्नर्स क्लब, बालुरघाट, पश्चिम बंगाल

अंतरा को, गुलाबी साड़ी और गुलाबी डंडे को मेरा दिल से सलाम. अब समय आ गया है कि महिलाएं कमान संभाल के देश को आगे ले चलें

सतीश, कैमूर, बिहार

आज शाम की सभा में अंतरा कार्यक्रम सुना. महिलाओं पर होने वाले शोषण, अत्याचार के खिलाफ बुंदेलखंड के गुलाबी गैंग के संघर्ष के बारे में जानकारी और इसमें सम्पत पाल की भूमिका पर रिपोर्ट काफी प्रेरणादायी थी. भारत जैसे देशों में जहां न्याय व्यवस्था नहीं के बराबर लगती है, वहां गुलाबी गैंग का होना स्त्री के रक्षण के लिए काफ़ी ज़रुरी है जिससे कम से कम स्त्रियों पर होनेवाले अत्याचार में कमी आ सकती है. ऐसे गुलाबी गैंग की हर राज्य में जरुरत है. कार्यक्रम और जानकारी के लिए धन्यवाद.

सविता जावले, मार्कोनी डी एक्स क्लब, परली वैजनाथ, महाराष्ट्र

अंतरा डॉयचे वेले हिंदी का एक प्रसिद्ध कार्यक्रम है परन्तु प्रस्तुतकर्ता उसे एक अच्छे तरीके से प्रस्तुत करके उसे लोकप्रिय व सुन्दर बना देता है. जैसे कि अनवर जमाल ने 22 जुलाई को अंतरा पेश किया. गुलाबी गैंग और उसके कार्य, सच में सराहनीय हैं. भारतीय समाज में जहां गांव की महिलाओं के साथ जो समस्याएं हैं. श्रीमती संपत पाल तो बुंदेलखंड की हीरो हैं. गुलाबी गैंग बहुत नेक काम कर रही है और उनका लक्ष्य अच्छा और साफ है इसलिए उन्हें सफलता मिल रही है. वैसे तो यह टॉपिक ही सशक्त था पर अनवरजी आपकी प्रस्तुति ने तो चार चांद लगा दिए.

बी एस शर्मा, जमशेदपुर झारखंड

रिपोर्टः विनोद चढ्डा

संपादनः आभा एम

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