जर्मनी में हुए एक सर्वे में दो तिहाई लोगों ने माना कि नस्लवाद आज भी देश में एक बड़ी समस्या बना हुआ है. हालांकि शरणार्थी मुद्दे पर लोग इतने परेशान नहीं दिखे.
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जर्मनी ट्रेंड नाम के इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 64 फीसदी लोगों ने माना कि वे नस्लवाद को एक बहुत बड़ी (17 प्रतिशत) या फिर बड़ी (47 प्रतिशत) समस्या मानते हैं. 35 फीसदी लोगों का कहना था कि नस्लवाद देश की एक छोटी सी समस्या है या फिर वे इस समस्या के रूप में नहीं देखते.
राजनीतिक रुझान के अनुसार भी इन नतीजों का विश्लेषण किया गया. नतीजों में देखा गया कि ज्यादातर दक्षिणपंथी नस्लवाद की समस्या को नहीं देखते, जबकि अधिकतर वामपंथियों के लिए यह एक बड़ी समस्या है. वहीं उदारवादियों में इसे ले कर मत बंटा हुआ दिखा.
जर्मनी की उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के 37 फीसदी समर्थकों ने ही देश में नस्लवाद की बात स्वीकारी. इसके विपरीत पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी के 77 समर्थकों ने नस्लवाद की बात मानी. सेंटर-लेफ्ट पार्टी एसडीपी के भी 77 फीसदी समर्थकों ने ऐसे ही जवाब दिए, जबकि वामपंथी पार्टी डी लिंके के 73 फीसदी समर्थकों ने इसे माना. रूढ़िवादी सीडीयू/सीएसयू के समर्थकों में यह संख्या 59 फीसदी रही, जबकि सेंटर-राइट एफडीपी में 57 फीसदी.
इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि लोग कहां से नाता रखते हैं. लोग आप्रवासी पृष्ठभूमि के हों या नहीं, नतीजे लगभग एक जैसे ही रहे. आप्रवासी पृष्ठभूमि वालों में 68 फीसदी ने, तो बाकियों में 63 फीसदी लोगों ने नस्लवाद की बात स्वीकारी. साथ ही जर्मनी के इतिहास को देखते हुए पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में भी फर्क को परखा गया. पूर्व से नाता रखने वालों में 71 फीसदी ने नस्लवाद को समस्या बताया, जबकि पश्चिमी हिस्से में 62 फीसदी ने.
जर्मनी में फुटबॉल खिलाड़ी मेसुत ओएजिल के इस्तीफे के बाद से नस्लवाद पर बहस और तेज हो गई है. ओएजिल ने कहा था कि इतने साल जर्मनी में रहने के बाद भी उन्हें समाज में पूरी तरह स्वीकारा नहीं गया है. साथ ही उनका कहना था कि जब वह टीम को जिताते, तब वह सब के लिए जर्मन बन जाते लेकिन जब टीम हार जाती, तो वे तुर्क मूल के कहलाते हैं.
इस सर्वे में हैरान करने वाला एक नतीजा यह था कि ज्यादातर लोगों के लिए शरणार्थियों का देश में आना बहुत बड़ी चिंता की बात नहीं थी. लोगों ने अन्य सामाजिक समस्याओं को ज्यादा जरूरी बताया. 97 फीसदी लोगों ने चिकित्सीय और बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी सेवाओं को जरूरी बताया. दूसरे नंबर पर रही पेंशन और अन्य सोशल बेनिफिट स्कीम. सात मुद्दों में शरणार्थी नीति का मुद्दा 39 फीसदी के साथ छठे नंबर पर रहा.
अधिकतर लोगों ने माना कि मौजूदा सरकार इन सामाजिक मुद्दों को सुलझाने में नाकाम है. जब लोगों से पूछा गया कि अगर अभी दोबारा चुनाव करा दिए जाएं, तो वे किसे चुनेंगे, तो महज 29 फीसदी ने ही मौजूदा सीडीयू/सीएसयू को अपना समर्थन दिया.
रिपोर्ट: जेफरसन चेज/आईबी
ये हैं जर्मनी की मुख्य राजनीतिक पार्टियां
ये हैं जर्मनी की मुख्य राजनीतिक पार्टियां
जर्मन संसद बुंडेसटाग में कुल सात पार्टियां मौजूद हैं. ऐसा कम ही होता है कि ये एक दूसरे से किसी बात पर सहमत दिखें. जानिए क्या हैं इन पार्टियों की नीतियां और कैसे हैं ये एक दूसरे से अलग.
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क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू)
सीडीयू संसद में सबसे बड़ी पार्टी है. पारंपरिक रूप से यह सेंटर-राइट पार्टी रही है. लेकिन चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में पार्टी का रुझान मध्य की ओर ज्यादा रहा है. लेफ्ट पार्टियों की तुलना में सीडीयू रूढ़िवादी मानी जाती है. यह यूरोपीय संघ और नाटो में सदस्यता का समर्थन करती है.
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क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू)
सीएसयू बवेरिया प्रांत में सीडीयू की सहोदर पार्टी है. राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियां एक साथ सीडीयू/सीएसयू के रूप में काम करती हैं. सामाजिक मुद्दों में सीएसयू को सीडीयू से भी अधिक रूढ़िवादी माना जाता है. बवेरिया प्रांत में पार्टी ने सभी सरकारी इमारतों में क्रॉस लगाने के आदेश दिए हैं.
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सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी)
एसपीडी जर्मनी की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और मुख्य सेंटर-लेफ्ट के रूप में सीडीयू/सीएसयू की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भी. 2017 के चुनावों के बाद इन पार्टियों ने मिल कर गठबंधन सरकार बनाई. गठबंधन की विफल कोशिशों के बाद चुनाव होने के लगभग छह महीने बाद देश में सरकार बन सकी.
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अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी)
एएफडी उग्र दक्षिणपंथी पार्टी है, जिसका गठन पहली बार 2013 में हुआ. 2017 के चुनावों के बाद पहली बार कोई धुर दक्षिणपंथी पार्टी संसद में पहुंच पाई है और यह सबसे बड़े विपक्ष का काम कर रही है. एएफडी मैर्केल की शरणार्थी नीति से इत्तेफाक नहीं रखती और ना ही यूरो और यूरोपीय संघ का समर्थन करती है.
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फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी)
एफडीपी को भले ही कभी भी 15 फीसदी से ज्यादा वोट ना मिले हों लेकिन सरकार बनाने में एफडीपी का हमेशा ही बड़ा हाथ रहा है. कभी एसपीडी के साथ, तो कभी सीडीयू/सीएसयू के साथ एफडीपी गठबंधन बनाती रही है. हालांकि 2017 के चुनावों के बाद उसने गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया. धार्मिक मुद्दों और समलैंगिकों के विवाह पर पार्टी के उदारवादी विचार हैं.
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ग्रीन पार्टी
अस्सी के दशक में पर्यावरण के मुद्दों के साथ ग्रीन पार्टी का गठन हुआ. कृषि सुधार और परमाणु ऊर्जा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर पार्टी आवाज उठाती रही है. इसके अलावा यह कई सामाजिक विरोध आंदोलनों की अगुवाई भी करती रही है. सामाजिक मुद्दों पर इस पार्टी का उदारवादी मत है लेकिन कई अन्य मुद्दों पर पार्टी के सदस्यों में आपसी मतभेद भी दिखे हैं.
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वामपंथी पार्टी (डी लिंके)
डी लिंके का गठन 2007 में हुआ लेकिन इसे 1989 तक पूर्वी जर्मनी (जीडीआर) पर राज करने वाली सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी (एसईडी) का वंशज माना जाता है. आज भी जर्मनी के पूर्वी हिस्से में ही इसे लोकप्रियता हासिल है. मुख्यधारा की पार्टियां अक्सर इससे दूर ही रहना पसंद करती है. डी लिंके नाटो की सदस्यता का भी विरोध करती है.