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जर्मनी को इस साल आधी से ज्यादा बिजली अक्षय स्रोतों से मिली

२९ सितम्बर २०२३

इस साल जर्मनी ने जितनी बिजली का उपयोग किया उसका आधे से ज्यादा हिस्सा अक्षय ऊर्जा से हासिल हुआ. रूस से गैस की सप्लाई बंद होने के बाद जर्मनी ने वैकल्पिक उपायों पर तेजी से कदम बढ़ाए हैं.

जर्मनी ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान लगाया है
कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र के पड़ोस में बना सोलर पार्कतस्वीर: Jochen Tack/IMAGO

जर्मनी में बिजली के इस्तेमाल का यह आंकड़ा पहली तीन तिमाहियों का है. यह आंकड़ा जेएसडब्ल्यू रिसर्च सेंटर और जर्मनी की यूटिलिटी इंडस्ट्री एसोसिएशन बीडीईडब्ल्यू ने जुटाया है. शुरुआती गणनाओं से पता चल रहा है कि जर्मनी में जो बिजली उपयोग की जा रही है उसका लगभग 52 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से हासिल हुआ. यह पिछले साल की इसी अवधि में अक्षय ऊर्जा से प्राप्त बिजली की तुलना में पांच फीसदी ज्यादा है.

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अक्षय ऊर्जा का विस्तार

अक्षय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार जर्मन सरकार के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके साथ ही जर्मनी जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को तेजी से घटाने में जुटा है. बीडीईडब्ल्यू की प्रबंध निदेशक केर्स्टिन आंद्रे का कहना है कि फोटोवोल्टाइक सिस्टमों ने खासतौर से बिजली की सप्लाई में बहुत बड़ा योगदान दिया है. हालांकि यह भी साफ है कि अक्षय ऊर्जा से बिजली का उत्पादन घटता बढ़ता रहता है.

घरों की छत पर लगे सोलर पैनलतस्वीर: Harold Cunningham/Getty Images

जब सूरज की रोशनी में तेज नहीं होता या फिर सूरज निकलता ही नहीं या फिर इतनी हवा नहीं चलती कि पवनचक्कियों के डैने घूम सकें तब अक्षय ऊर्जा से मिलने वाली बिजली की मात्रा घट जाती है. हालांकि ऐसे समय में गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए हाइड्रोजन का इस्तेमाल हो सकता है. आंद्रे ने कहा, "इसलिए यह जरूरी है कि इस तरह के लचीले बिजली संयंत्रों का निर्माण किया जाए और निवेश की सुरक्षा तय की जा सके."

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जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने की मुहिम

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने के लिए यूरोपीय संघ में विशेष तौर पर दबाव बनाया जा रहा है. यूरोपीय संघ कानूनी रूप से बाध्यकारी एक लक्ष्य तय करने में जुटा है जिसमें 2030 तक समस्त ऊर्जा का 42 फीसदी अक्षय ऊर्जा स्रोतों से लेने की बात है.

जर्मन शहर फ्राइबुर्ग में छतों पर लगे सोलर पैनलतस्वीर: Harold Cunningham/Getty Images

यूक्रेन पर रूसी हमले और फिर नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन में धमाके के बाद जर्मनी के लिए गुजरा साल काफी चुनौतीपूर्ण रहा है. एक तरफ गैस और तेल की सप्लाई घट गई और कीमतें बढ़ गईं, वहीं जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की ओर बढ़ने का दबाव भी बढ़ गया. ऐसी परिस्थितियों में जर्मनी ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं जिसका कुछ नतीजा इन आंकड़ों में दिख रहा है. हालांकि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

ऊर्जा संकट के दौर में जर्मनी को कोयले और परमाणु ऊर्जा से चलने वाले बिजली घरों का भी इस्तेमाल करना पड़ा. जर्मनी पिछले कुछ सालों से इन बिजली घरों से छुटकारा पाने की कोशिश में है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सालों में यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)

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