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जर्मनी खरीदेगा हमलावर ड्रोन

२५ जनवरी २०१३

जर्मन सरकार भविष्य में विदेशों में होने वाले सैनिक अभियानों के लिए ड्रोन खरीदेगी. यह पहला मौका है कि लों पसरकार ने खुलेआम ड्रोन खरीदने की बात कही है. जर्मनी अमेरिका से प्रिडेटर ड्रोन खरीदना चाहता है.

तस्वीर: REUTERS/Stuart Phillips/U.S. Navy/Handout

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह बात सरकार ने वामपंथी पार्टी डी लिंके द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कही है. सेना काफी समय से ड्रोन खरीदने की मांग कर रही है. सरकार ने कहा है कि विदेशों में जर्मन सेना की तैनाती के अनुभवों से साफ होता है कि हथियारबंद टोही अभियान खतरे की "अचानक बदलने वाली स्थिति को देखते हुए सुरक्षा के लिए जरूरी है."

श्पीगेल ऑनलाइन ने सरकारी जवाब के हवाले से कहा है कि हथियार रहित ड्रोनों के विपरीत हथियारों से लैस हवाई रोबोट दुश्मन के ठिकानों पर तुरंत और ठीक ठीक हमला कर सकते हैं. "इसके अलावा वे विरोधी ताकतों की क्षमता के कारण स्थायी और न समझे जाने वाले खतरे के सामने होते हैं और जवाबी कार्रवाई की क्षमता सीमित होती है." जर्मन सरकार का कहना है कि ड्रोन को हथियारों से लैस करना सुरक्षा के लिए फायदा और दुश्मनों के लिए पुख्ता धमकी हो सकती है.

सैनिकों की जान बचाने की कोशिश करती जर्मन सरकारतस्वीर: AP

जर्मन सरकार ने खरीदे जाने वाले मॉडलों के सिलसिले में प्रिडेटर का नाम लिया है. अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स के प्रिडेटर ड्रोन लेजर चालित हेलफायर रॉकेटों से लैस है. उसका बेसिक मॉडल 8.20 मीटर लंबा और 16.80 मीटर चौड़ा है. 217 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार वाला यह ड्रोन 40 घंटे तक हवा में रह सकता है और 1,240 किलोमीटर तक जा सकता है.

प्रिडेटर का इस्तेमाल खास तौर पर अमेरिका करता है. जर्मन सरकार अब तक बिना हथियारों के ड्रोन का इस्तेमाल करती रही है. हथियारों से लैस ड्रोनों पर विवाद है. अमेरिका ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और यमन में संदिग्ध कट्टरपंथियों को मारने के लिए किया है. इसके दौरान बहुत से निर्दोष लोगों की जान जाती है.

पाकिस्तान में ड्रोन हमलों का विरोधतस्वीर: picture alliance/Photoshot

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने लड़ाकू ड्रोनों की तैनाती और लोगों की निशाने की तरह हत्या करने की जांच शुरू की है. आतंकवाद और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्टर बेन इमरसन संयुक्त राष्ट्र महासभा को इस साल लड़ाई के नए तरीके के बारे में रिपोर्ट देंगे. ब्रिटिश वकील इमरसन ने लंदन में कहा, "सैनिक और असैनिक क्षेत्रों में ड्रोन की तैनाती में आई तेजी स्थापित अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए चुनौती है."

तीन देशों ने इस जांच के लिए आवेदन दिया था. इनमें पाकिस्तान भी है. इस्लामाबाद की सरकार औपचारिक रूप से अपने इलाके में नियमित रूप से होने वाले ड्रोन हमलों की निंदा करती है, जिसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अतीत में कम से कम कुछ हमलों के लिए अपनी सहमति दी है.

इस बीच कई देशों की सेनाएं ड्रोनों का इस्तेमाल कर रही हैं. रिमोट से चलाए जाने वाले ये मानव रहित विमान एक दिन या उससे ज्यादा हवा में रह सकते हैं. ये मिनी विमान पहले निगरानी के काम आते थे, लेकिन आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक से लैस इन विमानों को अब दुश्मन के ठिकानों का पता करने और उन पर हमला करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

एमजे/ओएसजे ((डीएपीडी, एएफपी)

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