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चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहता है जर्मनी

२७ नवम्बर २०१९

चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगुर मुसलमानों के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले पर जर्मनी ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि यूरोपीय संघ को चीन के खिलाफ एकजुट हो कर कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है.

Berlin Bundestag Rede Bundeskanzlerin Angela Merkel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler

मैर्केल ने बुधवार को जर्मनी के संसद में कहा कि सबसे बड़े खतरों में से एक यह है कि प्रत्येक यूरोपीय देश अपनी एक अलग नीति पर चलता है और यूरोपीय लोग विरोधाभाषी संदेश देते हैं. उन्होंने कहा, "यह चीन के लिए विनाशकारी नहीं होगा लेकिन यूरोप में हमारे लिए विनाशकारी होगा." मैर्केल ने 5जी मोबाइल नेटवर्क के सुरक्षा मापदंड को उदाहरण के तौर पर बताया. उन्होंने कहा कि उइगुर अल्पसंख्यकों के साथ किए गए दुर्व्यवहार के लिए चीन की आलोचना जरूर होनी चाहिए. उसने स्वीकार किया कि यूरोपीय यूनियन और चीन के बीच `सिस्टम की एक प्रतियोगिता है' और कहा, "मुझे नहीं लगता कि सिस्टम की प्रतियोगिता का जवाब ... अलगाव हो सकता है."

जर्मन अखबार रुंडशाउ ने भी टिप्पणी की है कि चीन शिनचियांग क्षेत्र में स्वतंत्र विशेषज्ञों को जाने की अनुमति नहीं देगा. मीडिया में आ रही खबरों में कहा गया है कि यह वह क्षेत्र है जहां हजारों उइगुर मुस्लिमों के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की जा रही है. हाल में इस मामले को लेकर कई रिपोर्टें सामने आई हैं. इन रिपोर्टों के आने से कुछ कार्रवाई होने की संभावना बढ़ गई है. बुधवार को अपने संपादकीय में अखबार ने लिखा, "एक बार फिर सरकारें, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र नाराज है. वे जोरदार तरीके से मांग कर रहे हैं कि चीन स्वतंत्र विशेषज्ञों को इस क्षेत्र में जाने की इजाजत दे. इससे इस क्षेत्र में चलाए जा रहे चीन के तथाकथित व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र के झूठ का खुलासा होगा और ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए. चीन की नैतिकता के ऊपर जो उंगली उठ रही है, उसके लिए उसे धैर्यपूर्वक इंतजार करना चाहिए."

अखबार ने आगे लिखा, "बाजार के वैश्वीकरण की वजह से निर्भरता बढ़ी है और इसका असर ये हुआ है कि कई सरकारें और कंपनियां इसके खिलाफ खुद को शक्तिहीन महसूस कर रही हैं. उनकी शक्ति कम हो रही है. इस मामले पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देना भी उतना ही गलत होगा. क्योंकि यह झटका वैश्वीकरण के परिणामों पर चमक को रोकने के लिए सही गति प्रदान कर सकता है. जो लोग कट्टरपंथी सोच में परिवर्तन लाने के लिए तैयार हैं, वे कार्रवाई के नए तरीकों को पहचान सकते हैं."

तस्वीर: Getty Images/AFP/E. Bunand

इससे एक दिन पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो ने कहा कि लीक हुए दस्तावेजों से साबित होता है कि चीनी अधिकारी पश्चिमी चीन में मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों के बड़े पैमाने पर दमन में लगे हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कई विदेशी सरकारों ने चीनी सरकार के इस अभियान के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है. पोम्पेयो ने कहा कि दस्तावेज 'एक मजबूत सबूत' है कि चीन के नेता शिनजियांग क्षेत्र में मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं.

पोम्पेयो ने कहा, "ये ब्यौरे शिनजियांग में चीनी पार्टी के क्रूर हिरासत, उइगुरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के दमन के बारे में बता रहे हैं. हमने चीनी सरकार से मनमाने तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने और शिनजियांग में नागरिकों को डराने वाली अपनी कट्टर नीतियों को समाप्त करने के लिए कहा है." पोम्पेयो की यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को खत्म करने की बातचीत और हांगकांग में स्थिति को लेकर अमेरिका द्वारा जताई गई चिंता के बीच आई है. हांगकांग में भी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच  लगातार हिंसक झड़प हो रही है. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री ने किसी तरह के प्रतिबंध की चेतावनी नहीं दी है लेकिन अमेरिकी सांसद यह  दबाव बना रहे हैं कि बड़े पैमाने पर लोगों को हिरासत में लेने के लिए चीन को दंडित करना चाहिए.

तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Baker

लीक हुए दस्तावेज यह बताते हैं कि चीन में जो कैंप चलाए जा रहे हैं वे व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए नहीं हैं. कैंपों का इस्तेमाल जबरन लोगों की विचारधारा और उनके स्वभाव को बदलने के लिए किया जा रहा है. दस्तावेज ये भी बता रहे हैं कि चीन कैसे हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम के जरिए उन लोगों की पहचान कर रहा है जिन्हें इन हिरासत केंद्रों में लाना है. साथ ही सिस्टम के सहारे उन लोगों के बारे में भी अनुमान लगा रहा है जो भविष्य में किसी तरह का अपराध कर सकते हैं.

जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने जर्मन चाइना केबल्स टीम को बताया कि 'यदि वास्तव में शिविरों में हजारों उइगुरों को हिरासत में लिया जा रहा है, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता है.' ब्रसेल्स में यूरोपीय कमीशन ने कहा कि उसने चीन कोअपने अतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लग रहे आरोपों पर सफाई देने के लिए कहा है. जापान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह माना जाता है कि ''स्वतंत्रता, मौलिक मानवाधिकारों के लिए सम्मान और कानून का शासन, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में सार्वभौमिक मूल्य हैं, चीन में भी यह पूरी तरह से लागू होना चाहिए.'' इस बीच ऐसे संकेत मिले हैं कि चीन मानवाधिकार हनन और दुर्व्यवहार से जुड़े तमाम सबूतों को नष्ट कर सकता है.

आरआरक/एनआर (एपी/डीपीए)

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