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जर्मनी ने नव नाजी संगठन हैमरस्किन्स पर प्रतिबंध लगाया

१९ सितम्बर २०२३

दक्षिणपंथी कट्टरपंथ को जर्मन लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए सरकार ने हैमरस्किन्स नाम के संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस मामले की जांच में अमेरिका ने जर्मनी की मदद की.

जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर
तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार सुबह धुर दक्षिणपंथी ग्रुप हैमरस्किन्स जर्मनी पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी दी. मंत्रालय के मुताबिक, लंबी जांच और अमेरिकी प्रशासन की मदद से यह संभव हो सका. हैमरस्किन्स से जुड़ा एक और संगठन क्रू 38 भी प्रतिबंध के दायरे में आया है. प्रतिबंध हैमरस्किन्स जर्मनी की सभी प्रांतीय शाखाओं पर भी लागू होगा.

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मंगलवार सुबह जर्मनी के बर्लिन और बवेरिया प्रांत समेत 10 राज्यों में पुलिस ने छापे मारे. मंत्रालय के मुताबिक 28 संदिग्ध सदस्यों के फ्लैटों की तलाशी ली गई.

बर्लिन में संभावित संदिग्धों के घर पर पुलिस ने छापा मारातस्वीर: Dominik Totaro/dpa/picture alliance

हैमरस्किन्स से परेशानी क्यों

हैमरस्किन्स जर्मनी, 1990 के दशक में अमेरिका में शुरू हुए व्हाइट सुप्रीमैसिस्ट ग्रुप हैमरस्किन्स का हिस्सा है. व्हाइट सुपरमैसी मानने वाले गोरे लोगों को सर्वश्रेष्ठ नस्ल मानते हैं. वे अक्सर ये संदेश देते हैं कि समाज या राजनीतिक व्यवस्था में आ रही ज्यादातर समस्याओं के लिए अश्वेत लोग और उनकी वकालत करने वाला राजनीतिक तंत्र जिम्मेदार हैं.

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हैमरस्किन्स, जर्मनी के संविधान को नकारता है. संगठन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को भी खारिज करता है. मंत्रालय के मुताबिक संगठन की गतिविधियां आपराधिक कानून का उल्लंघन करती हैं. प्रतिबंध को जायज ठहराते हुए आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि ग्रुप, म्यूजिक कंसर्ट के जरिए चरमपंथी दक्षिणपंथी विचारधारा फैलाता है. ग्रुप से बाहर के लोगों तक भी कंसर्ट के जरिए विचारधारा फैलाई जाती है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे से जुड़े हैं कई दक्षिणपंथी चरमपंथी संगठनतस्वीर: Agustin Marcarian/REUTERS

"जर्मन लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा"

जर्मन सरकार के मुताबिक हैमरस्किन्स जर्मनी की तह तक जाने के लिए संघीय और प्रांतीय स्तर पर लंबी जांच चली. एक साल से ज्यादा लंबी इस तफ्तीश के दौरान अमेरिकी प्रशासन की भी मदद ली गई. जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर के मुताबिक हैमरस्किन्स को मिलाकर जर्मनी में अब तक 20 अतिदक्षिणपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है.

फैजर का दावा है कि यह प्रतिबंध "संगठित दक्षिणपंथी चरमपंथ पर एक कड़ा प्रहार है." वह दावा करती हैं कि, प्रतिबंध "नस्लभेद और यहूदी विरोधी सोच के विरुद्ध एक स्पष्ट संकेत देता है."

फैजर कहती हैं, दक्षिणपंथी चरमपंथ अब भी "हमारे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा कट्टरपंथी खतरा है. इसीलिए हम दृढ़ इच्छाशक्ति से दक्षिणपंथी चरपंथ के ढांचों को ध्वस्त करने में जुटे रहेंगे."

जर्मनी में मुख्यधारा की चार पार्टियों को पीछे छोड़ चुकी है एएफडीतस्वीर: dts Nachrichtenagentur/IMAGO

जर्मनी पर मंडराता दक्षिणपंथी विचारधारा का साया

यूरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी बीते एक दशक से दक्षिणपंथ का उभार देख रहा है. जर्मनी में विदेशी मूल के लोगों बढ़ती संख्या पर आपत्ति, जर्मन लोकतंत्र को कुलीनों का अड्डा और यूरो मुद्रा का विरोध करते हुए राजनीति में आई, धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनाटिव फुर डॉयचलांड (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी या एएफडी) इस वक्त, लोकप्रियता के लिहाज से देश में दूसरे नंबर पर है. हालिया सर्वेक्षणों में एएफडी ने सत्ताधारी गठबंधन की तीनों पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है.

2015 के शरणार्थी संकट ने एएफडी को लोकप्रियता दिलाने में बड़ी मदद की. 2017 के संघीय चुनावों में पार्टी 13 फीसदी वोटों के साथ संसद में पहुंची. 1961 के बाद यह पहला मौका था, जब जर्मनी में कोई दक्षिणपंथी पार्टी संसद में इतनी बड़ी जीत के साथ दाखिल हुई. 2021 के चुनावों में एएफडी का प्रदर्शन बेहद बुरा रहा. तब कई राजनीतिक विश्लेषकों ने एएफडी के राजनीतिक अंत की भविष्यवाणी भी कर दी.

यूक्रेन युद्ध, महंगाई, जर्मनी की शरणार्थी नीति और मौजूदा सरकार की गिरती लोकप्रियता ने एक बार फिर धुर दक्षिणपंथी पार्टी को अहम मंच पर ला खड़ा किया है. पूर्वी जर्मनी के बड़े इलाके में एएफडी सबसे मजबूत पार्टी बन चुकी है. कुछ शहरों में उसके मेयर हैं.

ओएसजे/एनआर (डीपीए)

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