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जर्मनी ने लीबियाई राजदूत से वापस जाने को कहा

३१ जुलाई २०११

जर्मन विदेश मंत्रालय ने रविवार को जानकारी दी कि उसने लीबियाई दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी को देश छोड़ कर जाने के आदेश दे दिए हैं. जर्मनी लीबिया पर संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई में शामिल नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मन विदेश मंत्रालय के मुताबिक सुरक्षा अधिकारियों से मशविरा करने के बाद यह फैसला लिया गया है. लीबियाई राजदूत के कर्नल गद्दाफी के साथ सहयोग करने की खबरें आने के बाद उन्हें देश से बाहर भेजने के फैसला किया गया है. लीबियाई राजदूत को अपने परिवार को भी साथ ले जाने के लिए कहा गया है.

इससे पहले फोकस पत्रिका में यह खबर छपी थी कि लीबियाई राजदूत को निकाला गया है. रविवार को विदेश मंत्रालय ने इन खबरों को पुष्ट कर दिया कि हिशम अल शरीफ को परिवार के साथ जर्मनी छोड़ कर जाने के आदेश दे दिए गए हैं. हिशम अल शरीफ को गद्दाफी सरकार ने बर्लिन में 22 जुलाई से लीबियाई दूतावास का प्रमुख घोषित किया था. फोकस पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शरीफ ने अपने निकाले जाने का विरोध किया है. उनकी तरफ से उनके वकील ने कहा है कि लीबिया में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है, इसके बावजूद उन्हें अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ वापस लौटने को कहा जा रहा है.

तस्वीर: DW

लगातार टूट रहे हैं अंतरराष्ट्रीय संबंध

लीबिया की कर्नल गद्दाफी सरकार से दुनिया के तमाम देश एक एक कर अपना संबंध तोड़ रहे हैं. बीते बुधवार को ही ब्रिटेन ने लंदन के लीबियाई दूतावास के सभी कर्मचारियों से वापस चले जाने को कहा. इसके साथ ही लीबिया के विद्रोहियों से लंदन में अपना प्रतिनिधि भेजने के लिए भी कह दिया गया है. लीबिया के विद्रोहियों को दुनिया के देशों से मिला समर्थन आगे बढ़ रहा है.

इसी महीने की 26 तारीख को बुल्गारिया ने भी लीबियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया. यहां राजधानी सोफिया में तो इस राजदूत ने विद्रोहियों के साथ होने का दावा करते हुए दूतावास में विद्रोह का भी बिगुल बजा दिया था. हालांकि बाद में विद्रोहियों के गुट ने पत्र लिख कर बुल्गारिया को बताया कि वह उनके साथ नहीं है. इसके बाद बुल्गारिया की सरकार ने सलाहेद्दीन बिशारी को देश छोड़ कर जाने का आदेश सुनाया. स्वीडन और इटली भी लीबियाई राजदूतों को बाहर जाने का आदेश पहले ही सुना चुके हैं.

एक एक कर सारे देश लीबिया की गद्दाफी सरकार से नाता तोड़ रहे हैं और इसके साथ ही विद्रोही गुट ट्रांजिशनल नेशनल काउंसिल के लिए समर्थन भी बढ़ता जा रहा है.

तस्वीर: DW

खूनी संघर्ष

इस बीच रविवार की सुबह को बेनगाजी में विद्रोहियों और गद्दाफी के समर्थकों के बीच खूनी झड़प हुई है. विद्रोहियों के प्रवक्ता महमूद शम्माम ने पत्रकारों से कहा कि बेनगाजी में झड़प हुई जिसमें विद्रोहियों ने एक मिलिशिया पर हमला किया. इस मिलिशिया पर गद्दाफी समर्थक 300 कैदियों को जेल तोड़ कर भागने में मदद करने का आरोप है. जेल तोड़ कर भागने की यह घटना शुक्रवार को हुई.

महमूद शम्माम के मुताबिक विद्रोहियों ने निदा ब्रिगेड नाम के मिलिशिया के बैरकों को चारों तरफ से घेर लिया. रॉकेट लॉन्चर से दागे जाने वाले ग्रेनेड और भारी मशीनगनों से काफी गोलाबारी हुई. इसके बाद मिलिशिया के 30 लोगों ने समर्पण कर दिया और विद्रोहियों ने उनके हथियार अपने कब्जे में ले लिये. इस दौरान छह विद्रोही भी मारे गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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