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जर्मनी में अंग प्रत्यारोपण घोटाला

२१ जुलाई २०१२

जर्मनी में अंग के दान को बढ़ावा देने के लिए कानूनी सुधारों के बीच मरीजों को अंग प्रत्यारोपण के सिलसिले में एक घोटाला सामने आया है. अभियोक्ता कार्यालय जांच कर रहा है और अंगदान पर कड़े नियंत्रण की मांग तेज हो गई है.

तस्वीर: DW

पैसे के बदले नया लीवर? जर्मन शहर गोएटिंगेन के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एक बड़े घोटाले की खबर के बाद अंगदान का मुद्दा फिर से चर्चा में है. एक सीनियर डॉक्टर पर आरोप है कि उसने दो दर्जन मरीजों को कागज पर ज्यादा बीमार दिखाया नतीजा यह हुआ कि उन्हें जल्द ही प्रत्यारोपण के लिए अंग मिल गया. इसकी वजह से दूसरे गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मौत होने की आशंका है.

अंग प्रत्यारोपण आयोग के प्रमुख हंस लिलिए ने कहा है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो यह जर्मनी का सबसे बड़ा मेडिकल घोटाला होगा. अभियोक्ता कार्यालय ने मामले की जांच शुरू कर दी है. इन आरोपों से सिर्फ प्रत्यारोपण के क्षेत्र में काम कर रहे डॉक्टरों को ही अचंभा नहीं हुआ है, बल्कि अंगदान की मुहिम को भी खतरा पहुंचने की संभावना है. हाल ही में सरकार ने अंगदान कानून में सुधार किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंग दाने करने के लिए प्रेरित किया जा सके.

तस्वीर: DW

जर्मनी में गंभीर रूप से बीमार 12,000 मरीज प्रत्यारोपण के लिए दान में दिए गए अंग के इंतजार में हैं. यदि उन्हें समय पर किडनी, लीवर और दिल नहीं मिलता है तो उनकी मौत हो जाएगी. जर्मन ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी के प्रमुख वोल्फ ऑटो बेखश्टाइन कहते हैं, "ऐसी धांधली को अब तक कोई संभव नहीं मानता था." वे खुद सर्जन हैं और गोएटिंगेन के मामले को वे अकेला केस मानते हैं. अब तक डॉक्टरों का आपस में योग्यता और चिकित्सकीय मर्यादा को लेकर बहुत भरोसा है. लेकिन यदि आरोप सही साबित होते हैं तो उसके नतीजे भी होंगे. हंस लिलिए कहते हैं कि लैब रिपोर्टों पर निगरानी के लिए उस पर दो लोगों के दस्तखत को जरूरी बनाया जा सकता है.

डॉक्टरों को अंग देने की प्रक्रिया पर संदेह नहीं है, जिसमें सफलता की संभावना और प्रत्यारोपण की जरूरत पर ध्यान दिया जाता है. बेखश्टाइन का कहना है कि अंग देने की प्रक्रिया अंगों के गैरकानूनी कारोबार से सुरक्षित है. "मुझे अपने ऑपरेशन थियेटर में हर अंग के बारे में मालूम होता है कि वह कहां से आया है." जर्मनी में प्रत्यारोपण के लिए अंग खरीदना संभव नहीं है, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या वेटिंग लिस्ट में गड़बड़ी करना संभव है? बेखश्टाइन के अनुसार यह आसान नहीं है, लेकिन संभव जरूर है.

जर्मन प्रत्यारोपण फाउंडेशन का भी मानना है कि जानबूझकर धांधली करने की कोशिश के खिलाफ दुनिया का कोई सिस्टम काम नहीं कर सकता. 2010 में एक अदालत ने एक ट्रांसप्लांट डॉक्टर को मरीजों से पैसे लेने के आरोप में तीन साल कैद की सजा सुनाई. उसने जल्द और मुख्य चिकित्सक से इलाज के लिए मरीजों पर 'चंदा' देने के लिए दबाव डाला और उनसे डेढ़ लाख यूरो लिए. अब तक साफ नहीं है कि क्या 45 वर्षीय डॉक्टर ने गोएटिंगेन में अपने मरीजों से पैसे लिए.

जर्मनी में प्रत्यारोपण के लिए जरूरी अंगों की भारी कमी है. 2011 में सिर्फ 4000 मरीजों का अंग प्रत्यारोपण किया गया. किसी मृतक का अंग पाने का इंतजार करने के बदले अब निकट संबंधियों से भी अंगदान लिया जा रहा है. 2010 में जर्मनी के पूर्व विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने अपनी पत्नी को किडनी दान में दिया.

प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी को देखते हुए जर्मन संसद ने नया कानून पास किया है, जो नवम्बर से लागू होगा. इसके अनुसार हर नागरिक से जीवन में एक बार जरूर पूछा जाएगा कि वह अंगदान करेगा या नहीं. अभी तो हालत यह है कि अंगदान के इच्छुक लोग भी कई बार अंगदान नहीं कर पाते हैं. सरकार को अब चिंता है कि कहीं गोएटिंगेन के घोटाले के चलते अंगदान के लिए तैयार लोगों में कमी आ सकती है.

मरीज सुरक्षा संगठन के यूजीन ब्रायश का कहना है कि मरीजों में भारी असुरक्षा है. उन्होंने कहा, "हम यहां भारत की बात नहीं कर रहे हैं बल्किन जर्मनी के नामी ट्रांसप्लांटेशन क्लीनिक की बात कर रहे हैं." भारत के क्लीनिक अवैध रूप से लोगों की किडनी लेकर प्रत्यारोपण करने के लिए बदनाम हैं. उनका कहना है कि गोएटिंगेन का माला अकेला मामला नहीं है. वे इस बात की आलोचना करते हैं कि अंगों के वितरण का अधिकार निजी हाथों में है. उनका कहना है कि जीवन के अवसर पर फैसले का अधिकार और नियंत्रण सरकार के हाथों होना चाहिए.

एमजे/एनआर (डीपीए)

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