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जर्मनी में आतंकवाद विरोधी कानून बढ़ाने पर सहमति

२९ जून २०११

जर्मनी में सत्ताधारी गठबंधन पार्टियों के बीच लंबे विवाद के बाद आंतकवाद विरोधी कानून पर सहमति हो गई है. जरूरी कानूनों को चार साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया गया है.

तस्वीर: AP

गृह मंत्री हंस पेटर फ्रीडरिष (सीएसयू) और कानून मंत्री जबीने लौएटहौएजर-श्नारेनबैर्गर (एफडीपी) ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि खुफिया सेवाओं की जानकारी पाने वाले कुछ कानूनों को नहीं बढ़ाया जाएगा. एफडीपी के दबाव के कारण खुफिया सेवा के जिन अधिकारों में कटौती की जा रही है उनमें पोस्ट के आने जाने और पोस्ट बॉक्स के बारे में सूचना पाना शामिल है.

जांच अधिकारियों के कुछ दूसरे अधिकारों में विस्तार किया जा रहा है. हवाई यात्राओं के बारे में भविष्य में सिर्फ विमान कंपनियों से ही नहीं बल्कि केंद्रीय बुकिंग सेवा से भी जानकारी ली जा सकती है. इसके अलावा खुफिया सेवा को केंद्रीय डेटाबेस से बैंक खातों के बारे में भी सूचना लेने की अनुमति होगी. अब तक उन्हें एक एक बैंकों से इसके बारे में पूछना पड़ता था.

इसी साल मार्च में फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर आतंकियों ने एक बस को निशाना बनायातस्वीर: AP

संदिग्ध व्यक्तियों के बैंक सेफ को देख सकने की गृह मंत्री फ्रीडरिष की मांग को सहयोगी पार्टी एफडीपी ने नहीं माना. जानकारी देने से मना करने पर जुर्माना करने की मांग पर भी सहमति नहीं हो पाई. भविष्य में 'स्मॉल बगिंग' का प्रावधान भी समाप्त किया जा रहा है जिसमें खुफिया एजेंट अपनी सुरक्षा के लिए शरीर पर माइक्रोफोन लगाकर जाते थे. एक आयोग इस बात की जांच करेगा कि 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा कानून किस तरह बदले हैं.

कानून मंत्री लौएटहौएजर-श्नारेनबैर्गर ने सुरक्षा कानूनों को लागू करने के प्रति सोच में बदलाव आने की बात कही है. लेकिन टेलीफोन और इंटरनेट डेटा को सेव कर रखने के विवाद पर गठबंधन पार्टियों के बीच अभी भी समझौता नहीं हुआ है. दोनों ही मामले सरकार की छवि को महीनों से नुकसान पहुंचा रहे हैं. संदिग्ध से संबंधित फ्लाइट, बैंक खातों और टेलीफोन तथा इंटरनेट की जानकारी जुटाने की अनुमति देने वाला ये कानून 2001 के आतंकी हमले के बाद पांच साल के लिए पास किए गए थे और उन्हें एक बार बढ़ाया गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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