जर्मनी में 'ओम जय जगदीश हरे' की गूंज
इतिहास के गवाह हैं ये मंदिर
इतिहास के गवाह हैं ये मंदिर
दुनिया भर में ऐसे कई मंदिर हैं जो पौराणिक वास्तुकला और संस्कृति के सबूत हैं. इनमें से कुछ हिंदू और बौद्ध मंदिर तो भारत से बाहर दूसरे देशों में हैं.
मृतकों का मंदिर, मिस्र
करीब 1300 ईसा पूर्व मिस्र में मृतकों का यह मंदिर बनाया गया. यहां शव रखे जाते थे, जिन्हें पौराणिक देवता अमून को चढ़ाया जाता था.
पार्थेनॉन का मंदिर, ग्रीस
इस मंदिर के खंडहर आज भी सिंकदर वाले ग्रीक साम्राज्य की निशानी हैं. एंथेस नाम की देवी के सम्मान में यह मंदिर 438 ईसा पूर्व में बनाया गया.
टेम्पल ऑफ इनस्क्रिप्शन, मेक्सिको
माया सभ्यता से जुड़ा यह मंदिर सन 683 के आस पास तैयार हुआ. मिस्र के बाहर यह दुनिया में पिरामिड आकार का सबसे बड़ा ढांचा है.
सोमनाथ मंदिर, भारत
सोमनाथ मंदिर पहली बार कब बना, इसका सही सही अंदाजा नहीं है. लेकिन दूसरी बार यह 649 ईसवी में बना. इसके बाद सोमनाथ बार बार हमलों का शिकार हुआ. 1951 में मंदिर का चालुक्य वास्तुकला के अनुसार पुर्नउद्धार किया गया.
बोरोबुडुर मंदिर, इंडोनेशिया
9वीं शताब्दी में सेंट्रल जावा में यह महायान बौद्ध मंदिर बनाया गया. यहां खास अंदाज में गौतम बुद्ध की 500 से ज्यादा मूर्तियां हैं.
प्रांबानन मंदिर, इंडोनेशिया
9वीं शताब्दी के मध्य में ही इंडोनेशिया के दूसरे इलाके में हिंदू साम्राज्य संजया के राजाओं ने प्रांबानन मंदिर बनवाया. 47 मीटर ऊंचा यह मंदिर वास्तुकला का मास्टरपीस भी माना जाता है.
अंकोरवाट मंदिर, कंबोडिया
12वीं शताब्दी में खमेर साम्राज्य के सूर्यवर्णम द्वितीय राजा ने अंकोरवाट में विष्णु का मंदिर बनाया. मान्यताओं के मुताबिक विशाल इलाके में फैला यह मंदिर एक रात में बनाया गया.
हम्पी मंदिर, भारत
भारत के कर्नाटक राज्य में पड़ने वाला यह मंदिर 14वीं शताब्दी में बनाया गया. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक वहां मिले कुछ ढांचे ईसा पूर्व के भी हैं. हम्पी बीजिंग के बाद मध्यकाल का दूसरा बड़ा शहर था. इतिहासकारों के मुताबिक हम्पी तब शायद भारत का सबसे समृद्ध शहर था.
पशुपतिनाथ, नेपाल
15वीं शताब्दी में राजा शुपुष्पा ने पशुपतिनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया. 11वीं शताब्दी के एक ग्रंथ के मुताबिक वहां पहले भी मंदिर था.
वाट अरुण मंदिर, थाइलैंड
13वीं से 17वीं शताब्दी में अयुतथाया स्रामाज्य के दौरान यह मंदिर बनाया गया. यह बौद्ध मंदिर सूर्य को समर्पित है. इसे सूर्योदय का मंदिर भी कहते हैं.
स्वर्ण मंदिर, भारत
16वीं शताब्दी में अमृतसर में एक गुरुद्वारा बनाया गया. लेकिन इसके बाद गुरुद्वारे ने कई हमले झेले. 1802 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर को चमकाने का एलान किया. उन्होंने निर्माण में सोने और संगमरमर का इस्तेमाल किया. 1830 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के लिए खजाने का सोना दान किया.