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जर्मनी में गिरफ्तार मिस्री पत्रकार रिहा

२२ जून २०१५

जर्मनी में गिरफ्तार हुए अल जजीरा के वरिष्ठ पत्रकार अहमद मंसूर को रिहा कर दिया गया है. शनिवार को गिरफ्तार हुए मंसूर ने अपने खिलाफ आरोपों को नकारते हुए गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया था.

Ahmed Mansour
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Al-Dschasira

अल जजीरा में अरबी भाषा के वरिष्ठ पत्रकार अहमद मंसूर को उस समय बर्लिन हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया था जब वह दोहा जा रही कतर एयरलाइंस की फ्लाइट पर सवार होने जा रहे थे. मिस्र ने उन्हें 2011 की क्रांति को दौरान उत्पीड़न के आरोप में 15 साल की सजा सुनाई हुई है. बर्लिन में पुलिस कस्टडी में रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में मंसूर ने जर्मन अधिकारियों द्वारा अपनी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, "जांचकर्ताओं ने मुझे बताया कि मेरी गिरफ्तारी जर्मन अधिकारियों की मांग पर हुई है ना कि इंटरपोल की मांग पर." यह वीडियो अल जजीरा के अरबी भाषा की वेबसाइट पर उनकी गिरफ्तारी के बाद पोस्ट किया गया. अल जजीरा ने मंसूर के खिलाफ आरोपों को बेतुका बताया.

मंसूर पर 2011 में काहिरा के तहरीर चौक पर एक वकील के साथ होने वाले उत्पीड़न में शामिल होने के आरोप हैं. काहिरा की अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए 15 साल की सजा सुनाई. मंसूर ने कहा कि उन्हें शक है कि उनकी गिरफ्तारी हाल में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी की जर्मनी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए गुप्त समझौते का नतीजा है.

काहिरा की अदालत ने मंसूर को दोषी करार देते हुए 15 साल की सजा सुनाई.तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken

जर्मनी के लिए शर्मनाक बात

मंसूर ने कहा, "कुछ वकीलों ने मुझे बताया कि मुमकिन है कि मेरे मामले के बारे में जर्मनी और मिस्र के अधिकारियों के बीच कोई गुप्त डील हुई हो." उन्होंने कहा, "अगर यह सच है तो यह जर्मनी के लिए बेहद शर्मनाक बात है." मंसूर ने कहा, "मैं आपको आश्वासन देता हूं कि यह मामला गलत है और जर्मन सरकार और ईयू को इसमें घसीटने के लिए मिस्र की सरकार बहुत कमजोर है."

इससे पहले अल जजीरा के पत्रकार मंसूर ने गुस्से भरे ट्वीट किए थे. उन्होंने कहा, "सवाल अब यह उठता है कि कैसे जर्मन सरकार और अंतरराष्ट्रीय इंटरपोल मिस्र में खून की प्यासी उस सरकार के हथियार बन गए जिसे आतंकवादी अब्दुल फतह अल सीसी चला रहे हैं."

मंसूर की गिरफ्तारी के बाद बर्लिन में अदालत के बाहर प्रदर्शनकारियों ने विरोध जाहिर किया.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Sohn

मंसूर की गिरफ्तारी के बाद बर्लिन में अदालत के बाहर प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया. जर्मन इजिप्शियन यूनियन फॉर डेमोक्रेसी के सदस्य अली अलावदी ने कहा, "हमें समझ नहीं आ रहा कि मंसूर को बर्लिन में क्यों गिरफ्तार किया गया. वह निर्दोष पत्रकार हैं जिनपर मिस्र ने अनुचित रूप से मुकदमा चलाया."

कानूनी तकरार

मिस्र के विदेश मंत्री सामेश शौकरी ने इस बात की पुष्टि की कि मिस्र की मंशा थी कि मंसूर को उन्हें सौंपा जाए और उनकी गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय मांग पर हुई है. शौकरी ने स्थानीय टीवी चैनल से कहा, "मिस्र उन्हें हासिल करने की और न्याय करने की पूरी कोशिश कर रहा है." गिरफ्तारी के बाद बर्लिन में सरकारी वकील के कार्यालय के प्रवक्ता मार्टिन श्टेल्टनर ने कहा था कि मंसूर के प्रत्यर्पण के बारे में कोई फैसला लिए जाने से पहले कई मीटिंग होंगी.

अल जजीरा के मिस्र की सरकार के साथ संबंध पहले भी अच्छे नहीं रहे हैं. 2013 में अल जजीरा के तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद से बार बार मीडिया को दबाए जाने की बात उठती रही है. तीनों पर गलत जानकारी देने और आतंकवादी समूहों का समर्थन कर मिस्र की राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के आरोप में मुकदमा चलाया गया.

तीन में से दो पत्रकारों, कनाडा के नागरिक मुहम्मद फहमी और मिस्र के बहर मुहम्मद को जमानत पर छोड़ दिया गया जबकि तीसरे पत्रकार ऑस्ट्रेलियाई नागरिक पीटर ग्रेस्टे को वापस उनके देश भेज दिया गया.

एसएफ/एमजे (एएफपी/रॉयटर्स/एपी)

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