जर्मनी में चीनी बाजार के गुर
१९ दिसम्बर २०१३अगर सफेद रंग में पैकिंग कर दी, तो ग्राहक दुकान छोड़ कर बाहर ही जाएगा, खरीदारी नहीं करेगा. फ्रैंकफर्ट में इस तरह की सलाह बहुत जरूरी होती जा रही है, जहां अब सबसे ज्यादा खरीदार चीन से आने लगे हैं. ग्लोबल ब्लू की वित्तीय सलाहकार रुथेनबर्ग को फ्रैंकफर्ट चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस काम पर लगाया है कि वे स्थानीय दुकानदारों को चीनी तहजीब के बारे में बता सकें. उनका कहना है कि चीन की सभ्यता में रंगों का खास महत्व होता है.
पूरे जर्मनी में अब सबसे ज्यादा खरीदार चीन से आने लगे हैं. पहले यह संख्या रूस और सऊदी अरब के पर्यटकों की थी. फ्रैंकफर्ट में रहते हुए वे औसतन 850 यूरो (करीब 70,000 रुपये) खर्च करते हैं, जो किसी और सैलानी से 300 यूरो ज्यादा है. यूरोपीय शहरों के पर्यटन संघ ईसीएम के मुताबिक फ्रैंकफर्ट में विदेशी ग्राहकों के संख्या बहुत बढ़ी है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के योआखिम श्टोल का कहना है, "अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की वजह से फ्रैंकफर्ट को फायदा पहुंचता है. हमारा अनुभव बताता है कि ज्यादातर सैलानी अपनी यात्रा के आखिरी पड़ाव में खरीदारी करते हैं." इसके बाद वे अपने देश के लिए रवाना हो जाते हैं.
फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट कंपनी की सेल्स एक्सपर्ट लारीसा एल्फेस का कहना है कि चीन के लोगों के लिए 'मेड इन यूरोप' ब्रांड का खासा महत्व है, "यहां उन्हें इस बात की पूरी संतुष्टि होती है कि वे सही सामान खरीद रहे हैं." इसके अलावा असली सामान का दाम चीन के मुकाबले कम होता है. कई सामान पर वहां 350 प्रतिशत तक शुल्क लगता है. एल्फेस का कहना है, "जर्मनी में शॉपिंग एक अच्छा सौदा है."
फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो पूरी तरह से चीनी भाषा बोल सकते हैं और उन्हें चीन की संस्कृति की भी अच्छी जानकारी है. लेकिन चीनी सैलानी क्या खरीदना पसंद करते हैं? ग्लोबल ब्लू और जर्मन टूरिस्ट ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक घड़ियां और जेवरात सूची में सबसे ऊपर हैं. रुथेनबर्ग एक आसान सा टिप देती हैं कि दुकानदार एक दो लाइन चीनी भाषा सीख लें और अच्छी सी मुस्कान दें. और हां, "ग्राहक को हमेशा सामान दोनों हाथों से पकड़ाएं".
एजेए/एमजे (डीपीए)