जर्मनी में पहली चुनावी बहस
२ सितम्बर २०१३इस टीवी बहस में कौन जीता, इसका फैसला टीवी बहस खत्म होने के आधे घंटे बाद ही हो गया. मत सर्वेक्षण करने वाली संस्थाओं ने 1000 से ज्यादा दर्शकों से पूछा. इसके अलावा डॉयचे वेले के दो विशेषज्ञ भी इस बहस पर नजर रखे हुए थे. भाषण की कला सिखाने वाले योर्ग अब्रोमाइट और भाषण की ट्रेनिंग देने वाली बॉन की संस्था रेडेअकादमी के प्रमुख प्रोफेसर युर्गेन फाल्टर ने भी बहस पर नजर रखी. दोनों का मानना है कि "श्टाइनब्रुक ने सकारात्मक रूप से चौंकाया." सवालों का जवाब उन्होंने अच्छे से दिया लेकिन हमेशा की तरह वाले उनके तीखे अंदाज पर उन्होंने लगाम रखी. इसे मतदाता अच्छा मानते हैं. प्रोफेसर फाल्टर कहते हैं, "अंगेला मैर्केल की अध्यक्षीय स्टाइल का फायदा श्टाइनब्रुक ने उठाया."
श्टाइब्रुक ने सवालों पर तेजी से और तथ्यात्मक जवाब दिए. उनके जवाब इतने सटीक थे कि दी गई समयसीमा से कम में ही उन्होंने अपने जवाब पूरे कर लिए. अब्रोमाइट कहते हैं, "मैर्केल शुरुआत में बहुत उत्तेजित और तनाव में थीं लेकिन आखिरी आधे घंटे में चांसलर होने का बोनस उन्होंने ले लिया."
कदम दर कदम जीत
टीवी बहस के बाद के सर्वेक्षण में सामने आया कि चांसलर पद के एसपीडी उम्मीदवार पेयर श्टाइनब्रुक ने पूरे विश्वास, आक्रामकता और दलीलों के साथ जवाब दिए. टीवी बहस शुरू होने के पहले श्टाइनब्रुक ने दर्शकों से अपील की कि वे चांसलर की दलीलों के प्रभाव में न फंसें. उनका कहना है कि जर्मनी में कई सामाजिक समस्याएं हैं जिस पर चांसलर और उनकी सरकार ने कुछ नहीं किया. श्टाइनब्रुक ने कर, स्वास्थ्य सेवा में सुधार के अधूरे वादे याद दिलाते हुए कहा, "चांसलर मैर्केल की खिड़की में कई रंगीन लेकिन खाली डिब्बे पड़े हैं."
सर्वेक्षण में पता चला कि 60 फीसदी दर्शकों की नजर में श्टाइनब्रुक उम्मीद से बेहतर साबित हुए. राजनीति विशेषज्ञ फाल्टर के मुताबिक सबसे निर्णायक है कि अनिश्चय में झूल रहे मतदाताओं पर ये उम्मीदवार क्या असर डालते हैं. वे कहते हैं, "श्टाइनब्रुक इसमें मैर्केल से एक कदम आगे हैं." इस टीवी बहस में श्टाइनब्रुक ने मैर्केल से हाइवे पर सीमा शुल्क लगाने पर साफ बयान निकलवा लिया. पहले इस सवाल पर मैर्केल ने पहले गोल गोल जवाब दिए थे. मैर्केल ने आखिरकार कहा कि वह विदेशियों के लिए प्रस्तावित सीमा शुल्क लागू नहीं करेंगी.
जब श्टाइनब्रुक से पूछा गया कि वह बिजली की बढ़ती कीमतों को कैसे कम करेंगे, उन्होंने साफ जवाब दिया, "मैं ऐसा कोई वादा नहीं करूंगा जो मैं पूरा नहीं कर सकता." और ये खुलापन और साफ जवाब मतदाताओं तक सीधे पहुंचते हैं.
मैर्केल के प्लस प्वाइंट
अंगेला मैर्केल टीवी बहस के दौरान हमदर्द और सक्षम दिखाई दीं. इन्फ्राटेस्ट डिमैप इंस्टीट्यूट के मुताबिक वह श्टाइनब्रुक से चार फीसदी आगे थीं. वहीं एक अन्य सर्वे संस्था फोर्सा मैर्केल को एक अंक आगे बताती हैं. श्टाइनब्रुक और अंगेला मैर्केल दोनों ही इस मुद्दे पर राजी थे कि वह सीरिया विवाद में हाथ नहीं डालेंगे लेकिन दोनों ने ही केमिकल हमले का जवाब मांगा है. मैर्केल ये बताना नहीं भूलीं कि 2005 और 2009 में एसपीडी पार्टी के साथ गठबंधन उन्हें पसंद आया था. इतना ही नहीं, उन्होंने कामगार सुधारों और सामाजिक प्रणाली में सुधार के लिए एसपीडी की तारीफ भी की. "गेरहार्ड श्रोएडर (एसपीडी चांसलर 1998 से 2005) ने हमारे देश के लिए काफी योगदान दिया है."
भाषण कला सिखाने वाले अब्रोमाइट कहते हैं, "मैर्केल की मेल मिलाप के लिए गले लगाने वाली नीति से बचना मुश्किल है. इससे बहुत सहानुभूति मिलती है." वहीं प्रोफेसर फाल्टर का मानना है कि मैर्केल अभी तक किए गए कई फैसलों को अच्छा बताती हैं. बहस के दौरान कई बार मैर्केल ने कहा कि जर्मनी में सब कुछ बुरा नहीं है.
टीवी बहस का असर
फिलहाल जर्मनी में राजनीति में बदलाव का कोई माहौल नहीं दिखाई दे रहा. इस बात की पुष्टि डॉयचे वेले के साथ बातचीत में अब्रोमाइट और फाल्टर ने की. फाल्टर कहते हैं, "आखिरकार वह वही फैसला लेते हैं, जिनका वो पहले से समर्थन कर रहे होते हैं." जो लोग अभी तक फैसला नहीं ले पाए हैं, उनको इस बहस से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अब्रोमाइट कहते हैं, "राजनीतिक पार्टियों के बीच अंतर शायद कम हो जाएगा लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा. श्टाइनब्रुक अच्छे वक्ता साबित हुए और मैर्केल चांसलर बनी रहीं."
टीवी बहस के बाद के सर्वेक्षण में सामने आया कि 41 फीसदी दर्शक ऐसे थे जो बहस के बाद श्टाइनब्रुक के और नजदीक चले गए. वहीं 47 फीसदी दर्शकों के विचार नहीं बदले. सिर्फ 10 फीसदी ही लोग ऐसे थे जिनके विचार इस बहस के बाद पूरी तरह बदल गए. एक अहम नतीजा जो बहस के बाद निकला वो वही था जिसे मैर्केल और श्टाइनब्रुक ने पूरी तरह नकार दिया है लेकिन दर्शकों ने चुना कि सीडीयू सीएसयू और एसपीडी का बड़ा गठबंधन 22 सितंबर को चुना जा सकता है.
रिपोर्टः वोल्फगांग डिर्क/आभा मोंढे
संपादनः ए जमाल