कोरोना महामारी के चलते मार्च में जर्मनी में स्कूल बंद कर दिए गए थे. अब फिर से क्लासरूम पढ़ाई शुरू की जा रही हैं. जानिए स्कूलों को खोलने के पीछे कैसी तैयारियां की गई हैं.
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जर्मनी के कुछ प्रांतों में करीब 3,63,000 छात्रों के लिए 10 अगस्त को स्कूल खुल गए. देश के 792 स्कूलों में सोमवार से ज्यादा से ज्यादा क्लासरूम पढ़ाई की तैयारी शुरू हो गई. जिन प्रांतों में स्कूल खुले हैं उनमें से एक श्लेसविष होल्स्टाइन की शिक्षा मंत्री कारीन प्रीन के मुताबिक स्कूलों को कोरोना से लड़ने के लिए अच्छी तरह तैयार किया गया है.
शिक्षा मंत्रालय स्कूलों के लिए एक प्लान पहले ही तैयार कर चुका था. प्लान के मुताबिक, हाथ धोना, क्लासरूमों को हवादार बनाए रखना और फिक्स ग्रुप में रहते हुए पढ़ाई करना अनिवार्य है. सातवीं क्लास और उससे ऊपर के छात्रों को सलाह दी गई है कि वे स्कूल के गलियारों में मास्क लगाकर मुंह और नाक कवर रखें. खेल कूद संबंधी गतिविधियां सिर्फ खुली जगह पर ही होंगी.
प्लान के तहत अभिभावकों के लिए इंफॉर्मेनशन लेटर भेजे गए हैं. इन चिट्ठियों में अभिभावकों से अपील की गई है कि वे जुकाम या फ्लू के लक्षण दिखने पर बच्चे को बिल्कुल स्कूल न भेजें. कफ या नाक बहने पर भी बच्चे को 48 घंटे तक घर पर रखने का सुझाव दिया गया है. अगर 48 घंटे बाद बच्चे में बुखार या कफ का कोई संकेत नजर न आए तो ही उसे स्कूल और किंडरगार्टन भेजा जाए. अभिभावकों को यह लिखकर देना होगा कि बीते 48 घंटे में बच्चे में बुखार या जुकाम का कोई संकेत नहीं मिला.
विदेशों के रिस्क जोन से आ रहे बच्चों के लिए क्वारंटीन अनिवार्य है. इसके साथ ही माता पिता को एक फॉर्म भी भरना होगा.
स्कूलखोलनाजल्दबाजी!
सोमवार को देश के बहुत से स्कूलों में छात्रों के साथ साथ टीचर भी वापस लौटे. हालांकि जर्मन मीडिया के मुताबिक 1,600 टीचर मेडिकल सर्टिफिकेट देकर छुट्टी पर हैं, क्योंकि वे रिस्क ग्रुप में हैं. जर्मनी में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है. करीब ढाई महीने बाद अगस्त में फिर से एक दिन में संक्रमण के एक हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं. ऐसे हालात के बीच कुछ लोग स्कूल खोलने के फैसले को जल्दबाजी करार दे रहे हैं.
हालांकि दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से आने वाले बच्चे बीते पांच महीनों की ऑनलाइन पढ़ाई में काफी पिछड़ चुके हैं. ऐसे स्कूलों को और ज्यादा समय तक बंद रखने वे बच्चे पढ़ाई के मौकों से और दूर हो जाएंगे.
फिलहाल जर्मनी के कई प्रांतों में गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं. सड़कों और परिवहन के दूसरे साधनों तथा होटलों आदि पर बोझ न बढ़े इसके लिए अलग अलग प्रांतों में स्कूलों की छुट्टियां अलग अलग तारीखों के बीच रखी जाती हैं. अगस्त के आखिर तक पूरे देश में छुट्टियां खत्म हो जाएंगी.
कोरोनाकीदूसरीलहरकाडर
कोरोना वायरस से प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए जर्मनी की तारीफ होती रही है. यूरोप में ब्रिटेन (46,659), इटली (35,205), फ्रांस (30,327) और स्पेन (28,503) की तुलना में जर्मनी में अब तक कोविड-19 के चलते 9,203 लोगों की मौत हुई है.
जर्मनी में अप्रैल के बाद से कोरोना के मामले लगातार कम होते रहे. लेकिन जुलाई के आखिर में संक्रमण के मामलों में तेजी आती दिख रही है. इसलिए देश भर में एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं और जोखिम वाले इलाकों से आने वाले लोगों के लिए कोरोना टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है.
बच्चों को कोरोना वायरस से “करीब करीब सुरक्षित" बताने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का वीडियो तो सोशल मीडिया साइटों से हटा दिया गया. लेकिन बच्चों में कोरोना के खतरे को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं.
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गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा कम
बच्चों के कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा काफी कम है. इसके भी सबूत हैं कि उनके संक्रमित होने की संभावना भी कम है. लेकिन एक बार संक्रमित होने के बाद वे इसे कितना फैला सकते हैं, इस बारे में अभी पक्की जानकारी नहीं है.
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उम्र के साथ बढ़ता है खतरा भी
सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका की मिसाल देखें तो पता चलता है कि अस्पताल में भर्ती हुए कुल कोरोना मरीजों में केवल दो फीसदी ही 18 साल से कम उम्र के हैं. अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों में 18 से कम उम्र वालों का केवल 0.1 फीसदी हिस्सा है.
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लक्षण या तो नहीं या तो बहुत हल्के
कोरोना वायरस की शुरुआत जहां से हुई उस देश चीन में कराई गई एक स्टडी से पता चला कि जिन 2,143 बच्चों में कोरोना का संदेह था या फिर उसकी पुष्टि हो चुकी थी, उनमें से करीब 94 फीसदी बिना किसी लक्षण, या हल्के और मध्यम दर्जे के लक्षणों वाले थे.
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कुछ बच्चों में गंभीर क्यों
जो बच्चे कोरोना के संक्रमण के कारण बीमार पड़ रहे हैं उनमें अकसर पहले से कोई ना कोई स्वास्थ्य समस्या पाई गई. अमेरिका के शिकागो में एक स्टडी से पता चला कि मार्च और अप्रैल में जितने भी बच्चे अस्पताल में भर्ती कराए गए उनमें या तो पहले से कोई समस्या या फिर कोरोना के अलावा कोई और संक्रमण भी था.
हालांकि इस पर अभी काफी कम रिसर्च हुई है लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार, एक साल से छोटे बच्चों में इससे बड़े बच्चों के मुकाबले संक्रमण का खतरा थोड़ा अधिक है. आम तौर पर छोटे बच्चों को गंभीर फ्लू की समस्या होती है लेकिन कोविड-19 इस मामले में थोड़ा अलग पाया गया.
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क्या बच्चों की जान नहीं जाती
बच्चों की भी कोरोना के कारण जान जाती है लेकिन यह देखा गया है कि इसकी संभावना वयस्कों और बुजुर्गों के मुकाबले काफी कम है. इसीलिए बच्चों को कोरोना वायरस से इम्यून बताना एक गलत जानकारी है.
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स्कूल कितने सुरक्षित
अब तक इसे लेकर पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस्राएल में कई स्कूलों में बड़े स्तर पर संक्रमण फैलने की घटना सामने आई है. वहीं अमेरिका के शिकागो में हुई एक स्टडी से पता चला कि पांच साल से नीचे के बच्चों की नाक में वयस्कों की तुलना में वायरस का जेनेटिक पदार्थ 10 से 100 गुना तक ज्यादा होता है. यानि संक्रमण फैलाने में बच्चों की अहम भूमिका हो सकी है लेकिन अभी इसे साबित करने के लिए और रिसर्च की जरूरत है.
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बच्चों में कोरोना संक्रमण कम क्यों
इसके लिए कई संभावनाएं जताई जा रही हैं. जैसे कि शायद कोरोना वायरस बच्चों की कोशिकाओं से उतनी आसानी से नहीं चिपकता. या शायद इसलिए कि बच्चों को वैसे ही सर्दी-जुकाम काफी होता रहता है जिसके चलते उनके शरीर में फ्लू जैसे संक्रमणों से लड़ने वाली टी-कोशिकाएं पहले से ही मौजूद होती हैं.
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बच्चों में सामने आई एक दुर्लभ समस्या
ऐसा काफी कम मामलों में होता है लेकिन कभी कभी कोविड संक्रमण के एक महीने बाद कर बच्चों में एक पोस्ट-वायरल कंडीशन पैदा हो जाती है, जिसे मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) कहते हैं. इसके कारण शरीर के कई अंगों में एक साथ बहुत दर्द और सूजन आ जाती है.
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किन बच्चों में है सिंड्रोम का ज्यादा खतरा
औसत रूप से देखा जाए तो इस दुर्लभ सिंड्रोम से ग्रसित करीब दो फीसदी बच्चों की जान चली जाती है. इसका ज्यादा खतरा अमेरिका के अश्वेत या हिस्पैनिक मूल के लगभग आठ साल के आसपास की उम्र के बच्चों में पाया गया.
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क्या बच्चे जल्दी संक्रमित होते हैं
आइसलैंड में 13,000 पर हुए सर्वे में 10 साल के छोटे 850 बच्चे भी शामिल थे. इसमें औसतन 0.8 फीसदी लोगों में संक्रमण पाया गया जबकि 10 साल से कम वालों में एक भी संक्रमित नहीं था. इससे समझा जा सकता है कि बच्चे जल्दी संक्रमित नहीं होते. स्पेन, इटली और स्विट्जरलैंड में भी ऐसे सर्वे के समान ही नतीजे मिले.
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क्या बच्चों से आसानी से फैलता है वायरस
अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के सबसे बड़े अधिकारी एंथनी फाउची खुद एक स्टडी का नेतृत्व कर रहे हैं जो बच्चों और बड़ों में संक्रमण दर को समझने के लिए है. इसके नतीजे दिसंबर तक आने की उम्मीद है. वहीं दक्षिण कोरिया में बड़े स्तर पर हुई एक स्टडी से पता चला है कि 10 साल से नीचे के बच्चों से घर के करीबी लोगों में संक्रमण होने की संभावना काफी कम है. जबकि 10 से ऊपर के बच्चों और वयस्कों से काफी ज्यादा.